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झारखंड आंदोलन के प्रेरणा स्रोत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर विशुनपुरा में शोक की लहर

#विशुनपुरा #श्रद्धांजलि : एचपीसीएल पेट्रोल पंप पर झामुमो कार्यकर्ताओं ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। मंगलवार को गढ़वा जिले के विशुनपुरा प्रखंड में झामुमो इकाई ने उनके सम्मान में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। यह कार्यक्रम एचपीसीएल गौरव प्रताप देव उर्फ सोनू देव के पेट्रोल पंप परिसर में हुआ। कार्यकर्ताओं ने गुरुजी को याद करते हुए दो मिनट का मौन रखा और उनके संघर्षों को सलाम किया।

श्रद्धांजलि सभा में उठी गुरुजी की यादें

श्रद्धांजलि सभा का नेतृत्व झामुमो प्रखंड अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने आदिवासी अधिकारों, सामाजिक न्याय और झारखंड की अस्मिता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

धर्मेंद्र सिंह ने कहा: “गुरुजी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने हमें सिखाया कि संघर्ष से ही हक मिलता है।”

झामुमो नेताओं ने जताया संकल्प

इस अवसर पर गौरव प्रताप देव, प्रशांत प्रताप देव उर्फ चिंटू देव, लतीफ अंसारी, संजय चंद्रवंशी, बालकृष्णा सिंह, सुदामा राम, परमेश्वर राम, उदय सिंह, लक्ष्मण चंद्रवंशी, सरफुद्दीन अंसारी, महेंद्र यादव सहित दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने संकल्प लिया कि वे गुरुजी के अधूरे सपनों को साकार करेंगे और झारखंड के लिए किए गए उनके संघर्षों को आगे बढ़ाएंगे।

शिबू सोरेन का योगदान क्यों है ऐतिहासिक?

शिबू सोरेन ने झारखंड आंदोलन को धार दी और राज्य गठन की लड़ाई का नेतृत्व किया। उनका जीवन आदिवासी समाज की अस्मिता और अधिकारों के लिए संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने गरीबी, शोषण और अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की।

आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा

गुरुजी की जीवन यात्रा आज भी यह सिखाती है कि समर्पण और संघर्ष से बदलाव संभव है। यही कारण है कि उनके निधन के बाद भी लोग उन्हें याद कर रहे हैं और उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प ले रहे हैं।

न्यूज़ देखो: संघर्ष की मशाल को जलाए रखना होगा

शिबू सोरेन का जाना केवल एक नेता का जाना नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। अब यह जिम्मेदारी हम सबकी है कि उनकी विरासत को सहेजें और उनकी नीतियों को जन-जन तक पहुंचाएं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब समय है सजग और संगठित रहने का

गुरुजी का संघर्ष हमें याद दिलाता है कि समाज में बदलाव तभी आएगा जब हम सब एकजुट होकर न्याय और विकास की लड़ाई लड़ेंगे। अब समय है कि हम उनके विचारों को अपनाएं और राज्य की बेहतरी के लिए कदम बढ़ाएं।
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