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जालिम स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के बाद महिला की दर्दनाक मौत ने हिलाया प्रशासन — लापरवाही पर भड़के ग्रामीण

#लातेहार #स्वास्थ्य_लापरवाही : जालिम उपकेंद्र में प्रसव के बाद महिला की मौत से मचा हड़कंप — जांच और कार्रवाई की उठी मांग

लातेहार जिले के जालिम उपकेंद्र (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) में शुक्रवार सुबह हुई एक दर्दनाक घटना ने एक बार फिर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी। सिंजो गांव की पिंकी देवी (25 वर्ष) ने प्रसव के कुछ ही मिनट बाद दम तोड़ दिया। ग्रामीणों के अनुसार, केंद्र पर डॉक्टर मौजूद नहीं थे, और न ही कोई आपातकालीन सुविधा उपलब्ध थी। जब तक एंबुलेंस पहुंची, तब तक सब खत्म हो चुका था।

प्रसव के बाद बिगड़ी हालत, एंबुलेंस के इंतज़ार में बुझी ज़िंदगी

घटना शुक्रवार सुबह करीब 8:45 बजे की है जब पिंकी देवी को प्रसव पीड़ा के चलते जालिम उपकेंद्र लाया गया। 9:25 बजे प्रसव कराया गया, लेकिन प्रसव के कुछ ही मिनट बाद उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी।
मौके पर मौजूद एएनएम किरण देवी ने तुरंत ममता वाहन और 108 एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंची। जब तक वाहन आया, पिंकी देवी की मौत हो चुकी थी।
ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र में ऑक्सीजन सिलेंडर तक सही स्थिति में नहीं था, और डॉक्टर का कोई अता-पता नहीं था।

ग्रामीण राजेश यादव ने बताया: “हमने बार-बार स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की मांग की, पर हर बार केवल एएनएम पर ही निर्भर रहना पड़ता है। प्रसव जैसे जोखिम भरे मामलों में यह लापरवाही जानलेवा है।”

“जांच तक नहीं हुई, लापरवाही से गई जान” — सांसद प्रतिनिधि

घटना की सूचना मिलते ही सांसद स्वास्थ्य प्रतिनिधि डॉ. चंदन कुमार सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने केंद्र की पूरी व्यवस्था का निरीक्षण किया और अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की।

डॉ. चंदन कुमार सिंह ने कहा: “यह मौत सीधे-सीधे लापरवाही और कुप्रबंधन का परिणाम है। प्रसव से पहले महिला की बीपी, शुगर, और हीमोग्लोबिन जांच तक नहीं की गई। अगर जांच होती, तो यह जान बच सकती थी। यहां न डॉक्टर हैं, न उपकरण, न आपात तैयारी। यह स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर असफलता है।”

डॉ. सिंह ने इस घटना को प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा धब्बा बताया और जिला प्रशासन से उच्चस्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते और दोषियों पर कार्रवाई आवश्यक है।

परिवार में मातम, पूरे गांव में आक्रोश

पिंकी देवी की मौत के बाद सिंजो गांव में शोक और आक्रोश दोनों है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
परिजनों ने कहा कि “अगर समय पर डॉक्टर या बेहतर इलाज मिल जाता, तो हमारी बेटी बच सकती थी।”
ग्रामीणों का कहना है कि जालिम उपकेंद्र में लंबे समय से डॉक्टर की कमी है और मरीजों को केवल एएनएम और हेल्थ असिस्टेंट पर निर्भर रहना पड़ता है। कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ।

गांव की महिला कमला देवी बोलीं: “हम हर महीने दवा लेने आते हैं, पर यहां न दवा मिलती है, न इलाज। सरकार का आयुष्मान केंद्र केवल नाम का है।”

स्वास्थ्य विभाग की सफाई — “मैं अवकाश पर हूं”

इस मामले पर जब चिकित्सा प्रभारी डॉ. विवेक विद्यार्थी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा —

डॉ. विवेक विद्यार्थी ने कहा: “मैं चार दिनों से अवकाश पर हूं, फिलहाल प्रभार डॉ. सुनील भगत के पास है।”

यह बयान सुनकर ग्रामीणों में और गुस्सा बढ़ गया। लोगों का कहना है कि जब अधिकारी खुद जिम्मेदारी नहीं लेते, तो ऐसी घटनाएं होना स्वाभाविक है। स्थानीय लोगों ने कहा कि यह जवाब स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही की कमी को उजागर करता है।

ग्रामीणों की मांग — पूरे केंद्र की जांच और जवाबदेही तय हो

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जालिम उपकेंद्र की पूरी कार्यप्रणाली की जांच कराई जाए। उनका आरोप है कि केंद्र में दवा की कमी, उपकरणों की अनुपलब्धता और डॉक्टर की लगातार अनुपस्थिति जैसी समस्याएं आम हो चुकी हैं।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि कई बार प्रसव के दौरान अस्पताल भेजने में देरी के कारण महिलाओं की जान चली जाती है। अब वे डीसी और सीएस से केंद्र को सुधारने और दोषियों को सज़ा देने की मांग कर रहे हैं।

ग्रामीण रामबाबू यादव ने कहा: “हर बार हादसे के बाद जांच की बात होती है, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकलता। अब हम चुप नहीं रहेंगे।”

न्यूज़ देखो: लापरवाही का इलाज ज़रूरी है

जालिम उपकेंद्र में हुई यह मौत केवल एक महिला की नहीं, बल्कि एक व्यवस्था की विफलता की कहानी है। ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी सच्चाई यही है कि डॉक्टर कम, सुविधाएं अधूरी और जवाबदेही गायब है। यदि यही हाल रहा तो ‘आयुष्मान भारत’ जैसे अभियान केवल कागज़ों तक सिमट जाएंगे।
अब प्रशासन को दिखाना होगा कि जवाबदेही शब्दों से नहीं, कार्रवाई से तय होती है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

ज़िम्मेदारी लें, बदलाव की शुरुआत करें

पिंकी देवी जैसी घटनाएं हमें झकझोरती हैं — ये सिर्फ आंकड़े नहीं, किसी की ज़िंदगी और उम्मीद की कहानी होती है। अब समय है कि स्थानीय नागरिक, प्रतिनिधि और अधिकारी सब मिलकर ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करें।
अगर हम सवाल नहीं उठाएंगे, तो ऐसी मौतें यूं ही होती रहेंगी। अपनी आवाज़ उठाएं, इस खबर को शेयर करें, और कमेंट कर बताएं — क्या आपकी पंचायत में भी स्वास्थ्य केंद्र की हालत ऐसी ही है?
आपकी जागरूकता ही बदलाव की पहली सीढ़ी है।

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