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मेदिनीनगर में युवक ने की आत्महत्या, चार पन्नों के सुसाइड नोट में जताया घरवालों से दर्द

#मेदिनीनगर #आत्महत्या : जीएलए कॉलेज के पास युवक ने की आत्महत्या — सुसाइड नोट में मदद नहीं मिलने की पीड़ा, पुलिस जांच में जुटी
  • मेदिनीनगर टाउन थाना क्षेत्र में युवक शशिकांत प्रजापति ने की आत्महत्या
  • चार पन्नों के सुसाइड नोट में लिखा: “कोई मदद नहीं करता, सब कुभाखर बोलते हैं”
  • मृतक अपनी मां के साथ रहता था, सुबह दरवाजा नहीं खुलने पर सामने आया मामला
  • कमरे से मिला सुसाइड नोट, परिजनों और पुलिस ने मौके पर दी पुष्टि
  • टाउन थाना पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की

आत्महत्या से पहले लिखा भावनात्मक सुसाइड नोट

मेदिनीनगर टाउन थाना क्षेत्र के अंतर्गत जीएलए कॉलेज के पास रविवार को एक युवक ने आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान शशिकांत प्रजापति के रूप में हुई है। घटना के बाद पूरे इलाके में शोक की लहर फैल गई है। शशिकांत ने अपने अंतिम चार पन्नों में जीवन की विफलताओं और अपनों से उपेक्षा का दर्द बयां किया।

“कोई साथ नहीं देता, सब कुभाखर बोलते हैं”

सुसाइड नोट में युवक ने लिखा कि वह जहां भी हाथ डालता है, वहां असफलता ही मिलती है। उसने अपने दादा और चाचा पर उपेक्षा का आरोप लगाया और कहा कि वे उसकी कोई मदद नहीं करते। शशिकांत के अनुसार, वह बाइक खरीदना चाहता था, लेकिन घर में किसी ने आर्थिक सहयोग नहीं किया।

मां की चीख ने खोला राज, पुलिस मौके पर पहुंची

रविवार सुबह करीब 10 बजे जब शशिकांत की मां ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया, तो वह नहीं खुला। खिड़की से झांकने पर देखा कि शशिकांत फंदे से लटका हुआ था। चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और पुलिस को सूचना दी गई।

मेदिनीनगर टाउन थाना प्रभारी देवव्रत पोद्दार ने बताया कि सुसाइड नोट बरामद कर लिया गया है और मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। पुलिस के अनुसार, शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है

परिवार में छह बहनों का इकलौता भाई था मृतक

शशिकांत अपने मां और बहनों के साथ रहता था, और छह बहनों में वह इकलौता भाई था। इस घटना ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है। उसकी मां बार-बार यही कहती रही कि अगर समय रहते किसी ने उसका साथ दिया होता, तो शायद आज वह जिंदा होता।

न्यूज़ देखो: उपेक्षा और अवसाद के बीच झूलती ज़िंदगियां

यह हृदयविदारक घटना बताती है कि घर के भीतर की बेरुखी और उपेक्षा कितनी खतरनाक हो सकती है। जब कोई युवा अपने सपनों को टूटता देखता है और अपनों से सहयोग नहीं मिलता, तो वह ऐसे खौफनाक कदम उठाने को मजबूर हो जाता है।
न्यूज़ देखो अपील करता है कि मानसिक स्वास्थ्य, परिवारिक संवाद और भावनात्मक सहयोग को प्राथमिकता दें। समय पर की गई एक मदद किसी की जान बचा सकती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना खतरनाक

आज के युवाओं को सुनने, समझने और मार्गदर्शन देने की जरूरत है। समाज और परिवार को मिलकर एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहां आशा और आत्मबल की भावना जगे
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