#मेदिनीनगर #एनपीयू_विवाद : अखिल पलामू छात्र संघ ने कुलाधिपति से की शिकायत — कहा, नकल प्रकरण में शामिल शिक्षकों को जांच लंबित रहने तक किसी परीक्षा कार्य में न जोड़ा जाए
- नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय (NPU) में पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2023 नकल प्रकरण को लेकर विवाद गहराया।
- अखिल पलामू छात्र संघ (आपसू) ने राज्यपाल सह कुलाधिपति को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की।
- संयोजक राहुल कुमार दुबे ने आरोपी प्रोफेसरों को परीक्षा कार्य से दूर रखने की अपील की।
- आपसू ने कहा — जांच रिपोर्ट लंबित रहते हुए भी डॉ. सुल्ताना परवीन को बार-बार परीक्षा ड्यूटी दी जा रही।
- मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और UGC तक पहुंच चुका है, पारदर्शिता पर उठे सवाल।
नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2023 के दौरान सामने आए नकल प्रकरण को लेकर छात्र संगठनों का विरोध तेज हो गया है। अखिल पलामू छात्र संघ (आपसू) ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए राज्यपाल सह कुलाधिपति को पत्र भेजा है। पत्र में मांग की गई है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक आरोपी शिक्षकों को किसी भी प्रकार की परीक्षा से जुड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जाए।
कुलाधिपति को भेजा गया शिकायत पत्र
आपसू के संयोजक राहुल कुमार दुबे ने पत्र में लिखा है कि हाल में हुई सिंडिकेट बैठक में 17वें प्लांट के तहत डॉ. सुल्ताना परवीन के खिलाफ जांच की संस्तुति की गई थी। बावजूद इसके, उन्हें लगातार परीक्षा कार्य से जोड़ा जा रहा है। यह न केवल जांच प्रक्रिया को प्रभावित करता है, बल्कि विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
राहुल कुमार दुबे ने कहा: “जब मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुका है और UGC ने रिपोर्ट मांगी है, तब भी आरोपी प्रोफेसरों को परीक्षा कार्य देना विश्वविद्यालय की गरिमा के साथ खिलवाड़ है।”
आपसू की तीन प्रमुख मांगें
छात्र संगठन ने कुलाधिपति से तीन ठोस मांगें रखी हैं —
1️⃣ आरोपी प्रोफेसरों को परीक्षा कार्य से तत्काल रोका जाए।
2️⃣ जांच पूरी होने तक उन्हें किसी परीक्षा ड्यूटी से दूर रखा जाए।
3️⃣ दोष सिद्ध होने पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
आपसू ने कहा कि छात्रों के हित और विश्वविद्यालय की साख के लिए यह कदम जरूरी है। यदि पारदर्शिता नहीं बनी तो छात्रों का विश्वास संस्थान से उठ जाएगा।
विश्वविद्यालय की गरिमा पर सवाल
एनपीयू के छात्र और शिक्षक समुदाय इस मामले को लेकर चिंतित हैं। विश्वविद्यालय की साख को बचाने के लिए पारदर्शी जांच और जिम्मेदारी तय करने की मांग जोर पकड़ रही है। छात्रों का कहना है कि दोषियों पर कार्रवाई न होने से पूरे सिस्टम की छवि धूमिल हो रही है।
आपसू संयोजक राहुल कुमार दुबे ने कहा: “हम किसी भी कीमत पर छात्रों के अधिकार और विश्वविद्यालय की शुचिता से समझौता नहीं करेंगे। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।”
मामला राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा
यह मामला अब प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) तक पहुंच चुका है। इससे विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि वह शीघ्र और निष्पक्ष जांच कराए। छात्र संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि आरोपी प्रोफेसरों को परीक्षा कार्य से नहीं हटाया गया, तो वे चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेंगे।
न्यूज़ देखो: विश्वविद्यालय की साख के लिए पारदर्शिता जरूरी
एनपीयू विवाद यह बताता है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में जवाबदेही और पारदर्शिता बनाए रखना कितना आवश्यक है। जब छात्र अपने ही विश्वविद्यालय की निष्पक्षता पर सवाल उठाने लगें, तो यह गहरी चिंता का विषय है। जांच प्रक्रिया निष्पक्ष और समयबद्ध होनी चाहिए ताकि छात्रों का भरोसा बहाल हो सके।
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शिक्षा में ईमानदारी ही असली प्रगति का मार्ग
विश्वविद्यालय ज्ञान का मंदिर है — यहाँ पारदर्शिता और न्याय सर्वोपरि होना चाहिए। यदि छात्र अपने ही शिक्षकों पर सवाल उठाने लगें, तो व्यवस्था को आत्ममंथन करना चाहिए। अब समय है कि हम सब मिलकर ऐसी शैक्षणिक संस्कृति बनाएं जहाँ सत्य, अनुशासन और नैतिकता सर्वोच्च हो।
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