#गढ़वा #मानवताकीमिसाल – SDM ने ट्विटर पर देखी पोस्ट, रविवार को 50 किमी दूर दिव्यांग के घर पहुंच बोले – “मकान बनते ही मिठाई लेकर आऊंगा”
- SDM संजय कुमार ने रविवार को सोशल मीडिया पोस्ट पर लिया त्वरित संज्ञान
- कांडी के डुमरसोता गांव में दिव्यांग युवक छोटन पासवान से मिले
- झोपड़ी में रह रहे युवक को मकान, राशन, ट्राई साइकिल सहित कई समस्याएं
- SDM ने दिया भरोसा – सभी योजनाओं से जोड़ेंगे, खुद लेंगे निगरानी
- छोटन बोले – “SDM देहरी पर आ गए, मेरी समस्याएं ही खत्म हो गईं”
सोशल मीडिया से जमीन पर उतरी संवेदनशीलता
गढ़वा सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने एक बार फिर अपने संवेदनशील और सक्रिय प्रशासनिक रवैये की मिसाल पेश की है। रविवार को उन्होंने ट्विटर (एक्स) पर कांडी प्रखंड के डुमरसोता गांव निवासी 35 वर्षीय दिव्यांग छोटन पासवान की समस्या पढ़ी, और तुरंत संज्ञान लेते हुए 50 किमी दूर गांव में उनके घर पहुंच गए।
झोपड़ी में गुजर-बसर, फिर भी हिम्मत नहीं हारी
छोटन पासवान, जो बचपन से दिव्यांग हैं, गांव में पंचर की दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनके पास अपनी जमीन है, लेकिन मकान नहीं। एक झोपड़ी में पत्नी, बेटा और मां के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि दिव्यांगता पेंशन मिल रही है, लेकिन आवास, राशन कार्ड, बैटरी चालित ट्राई साइकिल, हैंड पंप जैसी बुनियादी सुविधाओं की अब भी कमी है।
“SDM खुद आए हैं, मेरी तो सारी समस्याएं ही खत्म हो गईं”
जब ग्रामीणों ने छोटन से कहा कि SDM के सामने खुलकर अपनी बातें रखें, तो उन्होंने भावुक होकर कहा,
“SDM खुद मेरी देहरी पर आ गए हैं, तो लगता है अब कोई समस्या बची ही नहीं है। ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।”
प्रशासन ने दी हर संभव मदद का भरोसा
SDM संजय कुमार ने छोटन की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुना और कहा कि वे उन्हें सभी सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश देंगे। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा –
“जब इनका घर बन जाएगा, तो मैं खुद मिठाई लेकर आऊंगा।”
गांव की समस्याएं भी जानीं
SDM ने डुमरसोता गांव के अन्य नागरिकों से भी बातचीत कर गांव की सामूहिक समस्याएं जानीं। मौके पर शशांक शेखर द्विवेदी, साजिद शैम, शिवपूजन विश्वकर्मा, मणिकांत गुप्ता समेत कई लोग उपस्थित थे।

न्यूज़ देखो : संवेदनशील प्रशासन, सशक्त नागरिक
न्यूज़ देखो मानता है कि जब प्रशासन संवेदनशीलता से काम करता है, तब असली बदलाव की शुरुआत होती है। SDM संजय कुमार की ये पहल बताती है कि सिर्फ कुर्सी पर बैठकर नहीं, जमीनी स्तर पर जाकर ही प्रशासनिक भरोसा बनता है। ऐसे प्रयास ही नागरिकों का आत्मविश्वास बढ़ाते हैं — हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
मानवता और दायित्व के इस समन्वय ने यह दिखा दिया कि सोशल मीडिया से शुरू हुई बात व्यवस्था की देहरी तक भी पहुंच सकती है, अगर नेतृत्व ईमानदार हो।