
#किशनगंज #बिहार_चुनाव_2025 : AIMIM ने बिहार में अपने राजनीतिक विस्तार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 16 जिलों की 32 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की।
- एआईएमआईएम ने 16 जिलों की 32 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया।
- घोषणा किशनगंज में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने की।
- किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया जैसे सीमांचल जिलों में पार्टी की विशेष फोकस।
- गया, दरभंगा, अररिया समेत कई जिलों में प्रत्याशी उतारे जाएंगे।
- ओवैसी की पार्टी का लक्ष्य — सीमांचल से लेकर मगध तक संगठन विस्तार।
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। शनिवार को किशनगंज में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने घोषणा की कि पार्टी 16 जिलों की 32 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। पार्टी ने सीमांचल क्षेत्र को केंद्र में रखते हुए कई मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बनाई है।
सीमांचल पर एआईएमआईएम की खास नजर
एआईएमआईएम की सबसे मजबूत पकड़ मानी जाने वाली किशनगंज जिले की सभी चार सीटों — किशनगंज, कोचाधामन, बहादुरगंज और ठाकुरगंज — पर पार्टी चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा पूर्णिया की तीन सीटों (अमौर, बायसी, कस्बा) और कटिहार की पांच सीटों (बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी, बरारी, कदवा) पर भी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, सीमांचल का इलाका एआईएमआईएम के लिए सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से अहम माना जाता है। 2020 के चुनाव में किशनगंज और आसपास के इलाकों में पार्टी को मिली सफलता ने उसके आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
अन्य जिलों में भी विस्तार
एआईएमआईएम सिर्फ सीमांचल तक सीमित नहीं रहना चाहती। इस बार पार्टी ने अररिया की दो सीटों (जोकीहाट, अररिया), गया की दो सीटों (शेरघाटी, बेलागंज), पूर्वी चंपारण की दो सीटों (ढाका, नरकटिया) और दरभंगा की चार सीटों (जाले, दरभंगा ग्रामीण, केवटी, गौरा बौराम) पर भी प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है।
इसी के साथ पार्टी नवादा, जमुई (सिकंदरा), भागलपुर (नाथनगर), सिवान, समस्तीपुर (कल्याणपुर), सीतामढ़ी (बाजपट्टी), मधुबनी (बिस्फी), वैशाली (महुआ) और गोपालगंज से भी चुनाव मैदान में उतरेगी। इससे स्पष्ट है कि एआईएमआईएम राज्य के उत्तर, दक्षिण और मध्य बिहार में समानांतर राजनीतिक उपस्थिति बनाना चाहती है।
अख्तरुल ईमान ने क्या कहा
पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि एआईएमआईएम बिहार में विकास, शिक्षा और सम्मान की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अख्तरुल ईमान ने कहा: “हम उन वर्गों की आवाज़ बनना चाहते हैं जिन्हें दशकों से नज़रअंदाज़ किया गया है। बिहार के हर जिले में एआईएमआईएम अपनी नीति और विचारधारा के साथ उतर रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि पार्टी का मुख्य फोकस गरीबों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण पर रहेगा।
राजनीतिक विश्लेषण: क्या बदलेगा समीकरण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एआईएमआईएम की सक्रियता से सीमांचल के साथ-साथ कुछ पारंपरिक सीटों पर भी मुस्लिम वोट बैंक में हलचल हो सकती है। पार्टी की रणनीति उन सीटों पर केंद्रित है जहाँ मुस्लिम मतदाता 25% से अधिक हैं।
राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि अगर एआईएमआईएम ने सही उम्मीदवार चुने और स्थानीय मुद्दों पर काम किया, तो वह कई जगह किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है।
न्यूज़ देखो: सीमांचल से उठी नई राजनीतिक आवाज़
एआईएमआईएम का यह कदम बिहार की राजनीति में एक नई धारा का संकेत है। सीमांचल जैसे उपेक्षित इलाकों में पार्टी का उभार मुख्यधारा की राजनीति को चुनौती दे सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता ओवैसी की पार्टी को एक विकल्प के रूप में स्वीकार करती है या नहीं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब जनता का चुनाव
बिहार की जनता इस बार नए विकल्पों के सामने खड़ी है। सवाल यह है कि क्या लोग पुराने समीकरणों से बाहर निकलकर नई राजनीति को मौका देंगे।
अब समय है जागरूक मतदाता बनने का — विचारों के आधार पर निर्णय लेने का।
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