
#रांची #विश्वविद्यालय_विवाद : रांची विश्वविद्यालय में छात्रों की मांगों की अनदेखी और प्रशासनिक रवैये के विरोध में AISA ने कुलपति डॉ डी. के. सिंह का किया पुतला दहन—छात्रसंघ चुनाव से लेकर RTI मूल्यांकन तक कई मुद्दों पर जताई नाराजगी।
- AISA ने रांची विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के सामने किया प्रदर्शन
- कुलपति डॉ डी के सिंह की “तानाशाही” के खिलाफ जलाया गया पुतला
- JNU छात्रसंघ ने भी जताई एकजुटता, भूख हड़ताल को बताया न्यायसंगत
- छात्रों की मांगों में RTI के तहत मूल्यांकन, नियमित क्लासेस शामिल
- AISA नेताओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर कार्रवाई को बताया अलोकतांत्रिक
- 26 जून से JNU में जारी भूख हड़ताल को बताया शिक्षा अधिकार की लड़ाई
छात्र संघ की बहाली और पारदर्शिता की मांग
रांची विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार पर शुक्रवार को अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA) के बैनर तले दर्जनों छात्रों ने कुलपति डॉ डी. के. सिंह का पुतला दहन कर विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि कुलपति छात्रों की आवाज को दबा रहे हैं और लगातार लोकतांत्रिक अधिकारों की अनदेखी कर रहे हैं।
AISA के राज्य सचिव त्रिलोकीनाथ ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव, नियमित कक्षाएं, पारदर्शी मूल्यांकन और RTI के तहत स्क्रूटनी की मांग करना छात्रों का संवैधानिक अधिकार है, जिसे कुलपति दबाने का प्रयास कर रहे हैं।
त्रिलोकीनाथ ने कहा: “छात्रों पर मुकदमा दर्ज करना और धमकी देना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान है। विश्वविद्यालय में भय और दमन का माहौल बना दिया गया है।”
JNU से भी समर्थन, भूख हड़ताल के साथ एकजुटता
प्रदर्शन में JNU छात्रसंघ के सदस्यों ने भी भाग लिया। उन्होंने रांची विश्वविद्यालय में चल रहे विरोध को समर्थन दिया और कहा कि 26 जून 2025 से JNU में शुरू हुई भूख हड़ताल भी इसी तानाशाही रवैये के खिलाफ है। भूख हड़ताल का उद्देश्य न केवल प्रवेश परीक्षा को पुनः शुरू कराना है बल्कि विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता की रक्षा करना भी है।
AISA कार्यकर्ता संजना मेहता ने कहा कि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन शांति से विरोध कर रहे छात्रों की आवाज दबाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह देशभर के छात्रों की शिक्षा अधिकार के लिए संघर्ष है।
संजना मेहता ने कहा: “छात्रों को लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करने का हर प्रयास नाकाम होगा। हमारी लड़ाई शिक्षा, स्वायत्तता और पारदर्शिता की है।”
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
AISA ने कुलपति से स्पष्ट जवाब की मांग करते हुए कहा कि प्रशासन केवल दमन और मुकदमों के सहारे छात्रों को डराना चाहता है। यह रवैया न केवल छात्र विरोधी है बल्कि शैक्षणिक संस्थानों की साख को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही छात्रों की मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं की गई, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
न्यूज़ देखो: छात्र संघर्षों की गूंज बनता आंदोलन
AISA और JNU छात्रसंघ का यह संयुक्त प्रदर्शन विश्वविद्यालयों में लोकतंत्र और शिक्षा के अधिकार की पुनः स्थापना की मांग का प्रतीक है। News Dekho छात्रों की इन आवाज़ों को सामने लाकर यह सुनिश्चित कर रहा है कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, जिम्मेदारी और स्वायत्तता बनी रहे।
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