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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दुमका ने कुलपति को सौंपा ज्ञापन: बीएड फीस वृद्धि रोकने और पीएचडी प्रवेश स्थगित करने की मांग

#दुमका #छात्र_आंदोलन : एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर शिक्षा से जुड़ी समस्याओं पर गंभीर पहल की मांग उठाई

दुमका में आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय पहुंचकर कुलपति महोदय को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में शिक्षा से जुड़ी कई अहम मुद्दों को उठाया गया, जिनका सीधा असर गरीब और मध्यमवर्गीय छात्रों पर पड़ रहा है।

बीएड फीस वृद्धि पर आपत्ति

एबीवीपी ने ज्ञापन में स्पष्ट कहा कि हाल ही में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बीएड नामांकन शुल्क में भारी बढ़ोतरी की गई है। पहले शुल्क ₹88,000 था, जिसे अब ₹1,30,000 कर दिया गया है। परिषद ने इसे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया और तुरंत इसे वापस लेने की मांग की।

संथाल परगना के छात्रों के लिए सीट आरक्षण

ज्ञापन में एबीवीपी ने यह भी कहा कि संथाल परगना क्षेत्र के छात्रों के लिए बीएड में 60% सीटें सुरक्षित की जानी चाहिए। परिषद का तर्क है कि इस क्षेत्र के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में उचित अवसर नहीं मिल पाता, इसलिए क्षेत्रीय आरक्षण आवश्यक है।

पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पर मांग

परिषद ने पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर भी आपत्ति जताई। उन्होंने मांग की कि जब तक JET परीक्षा का परिणाम घोषित नहीं हो जाता, तब तक पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को स्थगित रखा जाए ताकि सभी योग्य छात्रों को समान अवसर मिल सके।

छात्रों का चेतावनी भरा रुख

एबीवीपी ने कुलपति से कहा कि अगर इन मांगों पर तत्काल और सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई तो वे आंदोलन को उग्र रूप देंगे। छात्र नेताओं का कहना था कि शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

एबीवीपी प्रतिनिधियों ने कहा: “हमारी तीनों मांगें छात्रों के भविष्य से जुड़ी हुई हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन को इसे गंभीरता से लेकर शीघ्र निर्णय करना चाहिए।”

बैठक के दौरान कई छात्र नेता मौजूद रहे और उन्होंने एकजुट होकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाने का संकल्प लिया।

न्यूज़ देखो: छात्रों की आवाज़ पर गौर करना ज़रूरी

एबीवीपी का यह ज्ञापन दर्शाता है कि शिक्षा व्यवस्था में फीस वृद्धि, सीट आरक्षण और प्रवेश प्रक्रिया की पारदर्शिता जैसे मुद्दे गहराई से जुड़े हैं। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन इन पर गंभीरता से विचार करता है तो छात्रों का भरोसा मजबूत होगा और शिक्षा का माहौल बेहतर बनेगा।

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शिक्षा में समान अवसर सबका हक

अब वक्त है कि हम सभी मिलकर छात्रों की आवाज़ को समर्थन दें और शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने का प्रयास करें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह संदेश पहुँचाएं।

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