झारखंड की प्रशासनिक सेवा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 1988 बैच की आईएएस अधिकारी अलका तिवारी ने राज्य की तीसरी महिला चीफ सेक्रेटरी के रूप में पदभार ग्रहण किया। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार, उन्हें राजस्व पर्षद सदस्य के पद से स्थानांतरित किया गया है। अलका तिवारी ने आज से राज्य की प्रशासनिक जिम्मेदारी संभालते हुए एल. ख्यांगते की सेवानिवृत्ति के बाद यह पद ग्रहण किया। उनसे पहले राज्य में डॉ. लक्ष्मी सिंह और राजबाला वर्मा इस पद पर रह चुकी हैं।
प्रशासनिक पृष्ठभूमि और महत्वपूर्ण अनुभव:
अलका तिवारी का प्रशासनिक अनुभव व्यापक है। गुमला और लोहरदगा जिले में उपायुक्त के रूप में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किए, जिससे उनकी दक्षता और प्रबंधन कौशल की सराहना हुई। राज्य और केंद्र सरकार के विभिन्न पदों पर उन्होंने कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं, जिनमें नीति आयोग में परामर्शी और उर्वरक विभाग में सचिव का पद शामिल है। फर्टिलाइजर कंपनी एफसीआई एरावली जिप्सम एंड मिनरल्स इंडिया लिमिटेड (एफएजीएमएल) के सीएमडी के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने कंपनी को घाटे से निकालकर फायदे में पहुंचाया, जो उनके कुशल नेतृत्व का उदाहरण है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि में प्रशासनिक सेवा:
अलका तिवारी के पति, डॉ. डीके तिवारी भी झारखंड के चीफ सेक्रेटरी रह चुके हैं। 1986 बैच के आईएएस अधिकारी रहे डीके तिवारी राज्य के 22वें चीफ सेक्रेटरी थे और 2020 में रिटायर हुए। रघुवर दास सरकार में उन्होंने यह पद संभाला और वर्तमान में वे राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं।
शैक्षिक और व्यावसायिक उपलब्धियां:
मेरठ विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्वर्ण पदक के साथ स्नातकोत्तर करने वाली अलका तिवारी ने यूके के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से एमएससी किया है। यहां उन्होंने विकास परियोजनाओं के प्रबंधन और कार्यान्वयन पाठ्यक्रम में टॉप किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने रांची विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की और हार्वर्ड विश्वविद्यालय, यूएसए से “रीथिंकिंग फाइनेंशियल इंक्लूजन” पर कोर्स किया है। ड्यूक विश्वविद्यालय से “वित्तीय सलाहकारों के लिए सार्वजनिक राजकोषीय प्रबंधन” पर भी एक विशेष पाठ्यक्रम उन्होंने पूरा किया।
आगे का कार्यकाल:
30 सितंबर 2025 को सेवानिवृत्त होने तक अलका तिवारी मुख्य सचिव का पद संभालेंगी। उनके नेतृत्व में राज्य प्रशासन से सकारात्मक बदलावों की उम्मीद की जा रही है, जो झारखंड के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।