
#हुसैनाबाद #मुशायरा : मोहम्मदगंज के बटौआ में उर्दू साहित्य प्रेमियों के लिए आयोजित होगा प्रमुख शायरी कार्यक्रम
- आल इंडिया मुशायरा 9 नवंबर 2025 को बटौआ गांव, मोहम्मदगंज में आयोजित होगा।
- मुशायरा की अध्यक्षता सैयद गुफरान अशरफी करेंगे और कांवेनर हैं कुद्रतुल्लाह कादरी।
- देशभर के दर्जन भर नामी शायर और शायरा कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।
- दिल्ली की मशहूर शायरा अना देहलवी, कोलकाता के रइस आजम हैदरी, कानपुर के आशिफ सफवी सहित कई प्रतिभागी शामिल होंगे।
- कार्यक्रम का आयोजन अब्दुल हमीद इस्लामिक एकेडमी ट्रस्ट बटौआ द्वारा किया जा रहा है।
हुसैनाबाद के मोहम्मदगंज प्रखंड के बटौआ गांव में 9 नवंबर को आल इंडिया मुशायरा आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में देशभर से नामी शायर और शायरा शामिल होंगे, जो उर्दू अदब प्रेमियों के लिए साहित्यिक मनोरंजन का अवसर प्रदान करेंगे। मुशायरा की अध्यक्षता सैयद गुफरान अशरफी करेंगे और कार्यक्रम का संचालन कांवेनर कुद्रतुल्लाह कादरी द्वारा किया जाएगा। कार्यक्रम का आयोजन अब्दुल हमीद इस्लामिक एकेडमी ट्रस्ट के तत्वावधान में किया जा रहा है।
प्रमुख शायर और शायरा होंगे उपस्थित
मुशायरा में दिल्ली की प्रसिद्ध शायरा अना देहलवी, कोलकाता के रइस आजम हैदरी, कानपुर के आशिफ सफवी, कोलकाता के हलीम साबिर, इलाहाबाद के रुस्तम, औरंगाबाद के शब्बीर हसन शब्बीर, रांची की हिना बंधन, दिल्ली के फराज देहलवी, कोलकाता के सैयद ज्याउल इस्लाम, रांची की शालिनी नायक, कोलकाता की शबनम सैयद और शबाना कफील, औरंगाबाद की अंजुम आरा, गुलफाम सिद्दीकी, शिबली फिरदौसी, सासाराम के अख्तर इमाम अंजुम, हसन इमाम, दानिश कैमुरी, गया के इरफान मैनपुरी, नवादा के कारी इमरान, डाल्टनगंज के डा. मकबूल मंजर सहित कई अन्य शायर और शायरा शामिल होंगे।
कांवेनर कुद्रतुल्लाह कादरी ने कहा: “इस मुशायरा का उद्देश्य उर्दू साहित्य को बढ़ावा देना और लोगों को उर्दू अदब से जोड़ना है।”
उर्दू साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा
अब्दुल हमीद इस्लामिक एकेडमी ट्रस्ट बटौआ ने इस मुशायरा को सफल बनाने के लिए सभी व्यवस्थाएं शुरू कर दी हैं। ट्रस्ट के पदाधिकारी और सदस्य कार्यक्रम के हर पहलू पर ध्यान दे रहे हैं ताकि यह आयोजन एक यादगार साहित्यिक अनुभव बन सके। उन्होंने आम जनता से भी इस कार्यक्रम में शामिल होने और उर्दू साहित्य का आनंद लेने का आह्वान किया।
आर्गनाइजर प्रवेज सिद्दीकी ने बताया: “उर्दू अदब से मुहब्बत रखने वाले सभी लोग और आम लोग इस मुशायरा में शामिल होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएं।”
मुशायरा में शामिल होने वाले शायरों और शायरा की उपस्थिति उर्दू साहित्य के क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार करेगी और श्रोताओं को साहित्यिक रूप से समृद्ध करेगी।
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इस कार्यक्रम से यह साबित होता है कि स्थानीय स्तर पर उर्दू साहित्य और शायरी को बढ़ावा देने के लिए समाजिक और सांस्कृतिक पहल की जा रही है। शायरों और शायरा की भागीदारी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी।
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प्रेरक समापन और सामाजिक संदेश
साहित्य और कला को बढ़ावा देना समाज के लिए महत्वपूर्ण है। सजग रहें, सक्रिय बनें। इस मुशायरा में भाग लेकर उर्दू साहित्य की समृद्ध परंपरा को समझें और दूसरों के साथ साझा करें। अपनी राय कमेंट करें और कार्यक्रम की जानकारी फैलाएं।