
#झारखंड #विपक्ष_हमला : नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर मंईयां सम्मान योजना के फॉर्म न लेने और पुराने आवेदनों को लंबित रखने का गंभीर आरोप लगाया।
- बाबूलाल मरांडी का आरोप, मंईयां सम्मान योजना के फॉर्म स्वीकृत नहीं।
- पिछले वर्ष जमा हुए कई आवेदन अभी लंबित, ग्रामीणों की शिकायत।
- विपक्ष ने कहा—बांग्लादेशी घुसपैठियों को फायदा, झारखंड की महिलाओं को नुकसान।
- सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को मरांडी ने बताया “आडंबर”।
- अधिकारियों पर लापरवाही और रिश्वतखोरी के आरोप।
झारखंड में “आपकी योजना–आपकी सरकार–आपके द्वार’’ कार्यक्रम को लेकर आज राजनीतिक माहौल गरमा गया, जब नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यक्रम के दौरान मंईयां सम्मान योजना के नए फॉर्म नहीं लिए जा रहे, जबकि पिछले वर्ष जिन हजारों महिलाओं ने आवेदन जमा किए थे, उन्हें अब तक स्वीकृति नहीं मिली है। उनके मुताबिक विभिन्न जिलों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि लाभुकों को योजना से वंचित किया जा रहा है।
मरांडी के आरोप: महिलाओं को अधिकार से वंचित करने का आरोप
मरांडी ने दावा किया कि राज्यभर के शिविरों में महिलाओं के आवेदन लेने से परहेज किया जा रहा है। उनके अनुसार यह समझ से परे है कि सरकार योजना के फॉर्म क्यों नहीं स्वीकार कर रही है, जबकि इसे महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए लाया गया था। उन्होंने कहा कि यदि योजना चल रही है तो आवेदन लेने और मंजूरी देने की प्रक्रिया क्यों बाधित है—इस पर सरकार को स्पष्ट जवाब देना चाहिए।
घुसपैठियों को लाभ पहुंचाने का आरोप
नेता प्रतिपक्ष ने एक कदम आगे बढ़कर यह भी आरोप लगाया कि सरकारी शिविरों में बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या मुसलमानों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाभ पहुंचाया जा रहा है, जबकि झारखंड की माताओं और बहनों को उनके वैध अधिकारों से दूर किया जा रहा है। उन्होंने इन मामलों की जांच और पारदर्शी कार्रवाई की मांग की।
“सरकार आपके द्वार कार्यक्रम जनता को भ्रमित करने की कवायद”
मरांडी ने कहा कि वे शुरू से ही कहते रहे हैं कि यह कार्यक्रम जनता की आंखों में धूल झोंकने का साधन है। उनका आरोप है कि शिविरों में जमा आवेदनों को गंभीरता से नहीं देखा जाता और उन्हें “कूड़े के ढेर” में फेंक दिया जाता है। यह दावा ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही शिकायतों के अनुरूप ही है, जिनमें कहा जाता है कि कई विभागों के आवेदन आज तक अटके हुए हैं।
अधिकारियों पर रिश्वतखोरी और लापरवाही के आरोप
नेता प्रतिपक्ष ने कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कई अधिकारी कार्यालयों में जनता की समस्याएं हल नहीं करते, और रिश्वतखोरी के कारण कार्य बाधित होते हैं। ऐसे में वही अधिकारी शिविरों में जाकर किस तरह जनता का काम करेंगे—यह सरकार को बताना चाहिए।
न्यूज़ देखो: योजनाओं की पारदर्शिता पर उठे सवालों का जवाब जरूरी
मंईयां सम्मान योजना को लेकर जनता और विपक्ष की शिकायतें प्रशासनिक व्यवस्था की पारदर्शिता पर गहरे सवाल खड़े करती हैं। यदि वास्तव में आवेदन लंबित हैं, तो सरकार को तत्काल स्पष्टीकरण और समाधान की दिशा में कदम उठाने चाहिए। विपक्ष के आरोप गंभीर हैं और इन पर स्पष्ट तथा तथ्य आधारित प्रतिक्रिया अनिवार्य है, ताकि जनता के भरोसे को कायम रखा जा सके।
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योजनाओं में पारदर्शिता ही लोकतंत्र की असली शक्ति
जब सरकारी योजनाएँ जनता तक बिना बाधा और बिना भेदभाव के पहुँचती हैं, तभी सामाजिक विश्वास मजबूत होता है। जरूरत है कि प्रत्येक पात्र महिला, किसान, मजदूर और आम नागरिक को उसका हक मिले और प्रशासन जवाबदेही के साथ काम करे।
आइए, हम सब मिलकर पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को मजबूत करें। अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस खबर को आगे भेजें ताकि ज्यादा लोग जागरूक हों और योजनाओं में सुधार की आवाज बुलंद हो सके।





