Giridih

गैर-मजूरुआ भूमि पर पीएम आवास निर्माण का आरोप, बिरनी में योजना की पारदर्शिता पर उठे सवाल

#बिरनी #प्रधानमंत्रीआवासयोजना : मंडरखा गांव में नियमों के उल्लंघन का आरोप, जांच की मांग।

गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड अंतर्गत मंडरखा गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत गैर-मजूरुआ भूमि पर आवास निर्माण कराए जाने का गंभीर आरोप सामने आया है। स्थानीय निवासी रामचंद्र महतो ने इस संबंध में बिरनी अंचल अधिकारी को लिखित आवेदन देकर विधिसम्मत जांच और निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग की है। आरोप है कि जिस भूमि पर आवास का निर्माण हो रहा है, वह भूमि अभिलेखों में गैर-मजूरुआ प्रकृति की दर्ज है। यह मामला योजना की पारदर्शिता और नियमों के पालन को लेकर अहम माना जा रहा है।

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  • मंडरखा गांव, बिरनी प्रखंड में पीएम आवास निर्माण पर विवाद।
  • गैर-मजूरुआ भूमि पर आवास निर्माण का आरोप।
  • लाभुक बैजनाथ वर्मा को स्वीकृत हुआ है पीएम आवास।
  • आवास आईडी JH106892492 का उल्लेख आवेदन में।
  • ग्रामीणों ने अंचल अधिकारी से जांच और रोक की मांग की।

गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड अंतर्गत मंडरखा गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत हो रहे एक निर्माण कार्य ने प्रशासन और ग्रामीणों का ध्यान खींचा है। स्थानीय निवासी रामचंद्र महतो ने इस मामले को लेकर बिरनी अंचल अधिकारी को लिखित आवेदन सौंपा है, जिसमें उन्होंने योजना के तहत स्वीकृत आवास के निर्माण में गंभीर अनियमितता का आरोप लगाया है। आवेदन के बाद गांव और आसपास के इलाकों में इस विषय को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

आवेदन में आरोप लगाया गया है कि मंडरखा निवासी बैजनाथ वर्मा, पिता रामचंद्र महतो को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत आवास स्वीकृत किया गया है। बताया गया है कि उक्त आवास का आईडी नंबर JH106892492 है। लेकिन जिस भूमि पर आवास का निर्माण कराया जा रहा है, वह भूमि राजस्व अभिलेखों में गैर-मजूरुआ श्रेणी की दर्ज है, जिस पर निजी आवास निर्माण झारखंड के भूमि कानूनों के तहत प्रतिबंधित माना जाता है।

गैर-मजूरुआ भूमि पर निर्माण का आरोप

आवेदन में विस्तार से भूमि का विवरण भी दिया गया है। आरोप के अनुसार, जिस भूमि पर पीएम आवास का निर्माण हो रहा है, उसका खाता संख्या 40, प्लॉट संख्या 792 और कुल रकबा 5 एकड़ 52 डिसमिल बताया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह भूमि गैर-मजूरुआ प्रकृति की है, जिसका उपयोग निजी आवास निर्माण के लिए नहीं किया जा सकता।

स्थानीय लोगों का तर्क है कि प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य गरीब और बेघर परिवारों को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना है, लेकिन यदि योजना का लाभ नियमों के विरुद्ध भूमि पर निर्माण कर दिया जाए, तो इससे न केवल कानून का उल्लंघन होता है, बल्कि योजना की साख पर भी सवाल खड़े होते हैं।

अंचल अधिकारी से की गई लिखित शिकायत

स्थानीय निवासी रामचंद्र महतो द्वारा अंचल अधिकारी, बिरनी को दिए गए आवेदन में मांग की गई है कि पूरे मामले की स्थल जांच कराई जाए। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि जब तक जांच पूरी न हो जाए, तब तक गैर-मजूरुआ भूमि पर चल रहे निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए।

आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग की प्रवृत्ति बढ़ सकती है और इससे वास्तविक जरूरतमंद लाभुकों को नुकसान पहुंचेगा।

ग्रामीणों में चर्चा और नाराजगी

मामले के सामने आने के बाद मंडरखा गांव और आसपास के इलाकों में इस विषय को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि यदि भूमि चयन में नियमों की अनदेखी की गई है, तो यह प्रशासनिक लापरवाही का मामला भी हो सकता है। वहीं, कुछ लोग इसे योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की कमी से जोड़कर देख रहे हैं।

ग्रामीणों का मानना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजना तभी सफल हो सकती है, जब इसके सभी प्रावधानों और नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। गैर-मजूरुआ भूमि पर निर्माण की अनुमति मिलने से अन्य लोग भी इसी तरह नियमों को नजरअंदाज करने का प्रयास कर सकते हैं।

पीएम आवास योजना और भूमि नियम

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब और बेघर परिवारों को पक्का आवास उपलब्ध कराना है। योजना के तहत आवास निर्माण के लिए भूमि की प्रकृति और वैधता का विशेष ध्यान रखा जाता है। राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि की श्रेणी के अनुसार ही आवास निर्माण की अनुमति दी जाती है।

झारखंड में गैर-मजूरुआ भूमि को लेकर सख्त नियम हैं। ऐसी भूमि पर निजी आवास निर्माण प्रतिबंधित माना जाता है, जब तक कि विधिवत प्रक्रिया के तहत भूमि की प्रकृति में परिवर्तन न किया गया हो। इसी कारण ग्रामीणों का कहना है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन है।

प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद

ग्रामीणों और शिकायतकर्ता की ओर से अंचल अधिकारी से अपेक्षा की जा रही है कि वे पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराएंगे। लोगों का कहना है कि यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित लाभुक और निर्माण से जुड़े अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।

साथ ही यह भी मांग की गई है कि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को रोकने के लिए पीएम आवास योजना के तहत भूमि सत्यापन की प्रक्रिया को और सख्त किया जाए, ताकि योजना का लाभ केवल पात्र और नियमों के अनुसार ही दिया जा सके।

आगे की स्थिति पर नजर

फिलहाल यह मामला अंचल कार्यालय तक पहुंच चुका है। अब सभी की निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि समय रहते जांच कर उचित निर्णय लिया जाएगा, ताकि योजना की पारदर्शिता और विश्वास बना रहे।

न्यूज़ देखो: योजना की पारदर्शिता की असली परीक्षा

बिरनी के मंडरखा गांव में सामने आया यह मामला प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में सतर्कता की आवश्यकता को उजागर करता है। यदि भूमि चयन में नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो यह प्रशासनिक निगरानी पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखना अहम होगा कि जांच कितनी तेजी और निष्पक्षता से पूरी होती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

नियमों का पालन, तभी योजनाओं पर विश्वास

सरकारी योजनाएं तभी सार्थक हैं, जब उनका लाभ सही तरीके से पहुंचे।
भूमि और पात्रता से जुड़े नियमों का पालन सभी के लिए जरूरी है।
आपकी राय इस मामले में क्या है, जरूर साझा करें।
खबर को आगे बढ़ाएं ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही की आवाज मजबूत हो सके।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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