
#लातेहार #अस्पताल_उगाही : सदर अस्पताल में आदिवासी मरीज से बायोप्सी जांच के लिए 7000 रुपये मांगने का मामला सामने आने के बाद कार्रवाई की मांग तेज
- प्रतुल शाहदेव, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, और उपायुक्त को टैग कर शिकायत दर्ज कराई।
- लातेहार सदर अस्पताल में एक आदिवासी मरीज से 7000 रुपये बायोप्सी जांच के नाम पर मांगे जाने का आरोप।
- वीडियो के आधार पर ओटी असिस्टेंट दीपक कुमार पर गम्भीर अनियमितताओं का आरोप लगा।
- पैसा न देने पर जांच के सैंपल को बोतल में बंद कर परिवार को लौटाने का आरोप।
- प्रतुल ने कहा—यह आदिवासी मूलवासियों के साथ स्वास्थ्य अधिकारों का उल्लंघन, सरकार ले तुरन्त कार्रवाई।
लातेहार जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल—लातेहार सदर अस्पताल—में स्वास्थ्य सेवाओं की बदतर स्थिति और पैसे उगाही के गंभीर आरोप सामने आए हैं। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने एक वीडियो शेयर कर आरोप लगाया है कि अस्पताल में गरीब और आदिवासी मरीजों से दलालों और अस्पताल कर्मियों द्वारा जबरन पैसे वसूले जा रहे हैं। सोमवार को सामने आए एक मामले ने पूरे जिले में प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आदिवासी मरीज से 7000 रुपये की मांग का गंभीर आरोप
प्रतुल शाहदेव द्वारा साझा की गई घटना के अनुसार, लातेहार के होटवाग निवासी एक आदिवासी परिवार अपनी बेटी रंजू कुमारी, पति देव प्रसाद उरांव का इलाज कराने सदर अस्पताल आया था। डॉक्टर द्वारा ऑपरेशन के बाद मरीज को बायोप्सी जांच की आवश्यकता बताई गई।
आरोप क्या है?
मरीज की माँ रानी देवी के अनुसार:
- बायोप्सी जांच कराने के नाम पर ₹7000 की मांग की गई।
- जब परिवार ने पैसे देने में असमर्थता जताई,
- तब अस्पताल कर्मी और ओटी असिस्टेंट दीपक कुमार ने जांच सैंपल को बोतल में बंद कर वापस परिवार को थमा दिया।
प्रतुल ने इसे “मूलवासियों के स्वास्थ्य अधिकारों का अमानवीय उल्लंघन” बताते हुए तत्काल जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की है।
प्रतुल शाहदेव की तीखी प्रतिक्रिया
प्रतुल शाहदेव ने सीधे मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और लातेहार उपायुक्त को एक्स (Twitter) पर टैग कर लिखा कि सदर अस्पताल की व्यवस्था “बहुत बिगड़ चुकी है” और गरीब आदिवासी परिवारों से इलाज के नाम पर वसूली होना शर्मनाक है।
उन्होंने कहा:
प्रतुल शाहदेव ने कहा: “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अबुआ सरकार में आदिवासी मूलवासियों को सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं। पैसा नहीं देने पर इलाज रोक देना मानवता के खिलाफ है। ऐसे दोषी कर्मियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।”
प्रतुल ने यह भी दावा किया कि सदर अस्पताल में दलालों का सक्रिय नेटवर्क है जो मरीजों से मोटी रकम वसूलता है, और कई अस्पताल कर्मी इसमें शामिल रहते हैं।
घटना का वीडियो वायरल, लोगों में नाराजगी
प्रतुल द्वारा साझा वीडियो वायरल होने के बाद लोगों में गुस्सा बढ़ गया है। आरोपों के अनुसार:
- दलाल सक्रिय रूप से हर विभाग में मरीजों से संपर्क करते हैं,
- मुफ्त जांच और सेवा भी पैसों पर निर्भर कर दी जाती है,
- और गरीब आदिवासी परिवारों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों ने भी आरोप लगाया कि कई बार सैंपल जांच और अन्य प्रक्रियाओं के लिए अवैध रूप से पैसे मांगे जाते हैं, जबकि ये सभी सेवाएँ सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध होनी चाहिए।
ओटी असिस्टेंट दीपक कुमार पर गंभीर सवाल
वीडियो व शिकायत में ओटी असिस्टेंट दीपक कुमार का नाम विशेष रूप से लिया गया है।
परिजनों का दावा है कि:
- वही व्यक्ति बायोप्सी सैंपल लेकर गया,
- उसने ही पैसे की मांग की,
- और जब पैसे देने से इनकार हुआ,
- तो सैंपल वापस लौटा दिया गया।
यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल अस्पताल नियमों का उल्लंघन है बल्कि मरीजों की जीवन सुरक्षा से सीधा खिलवाड़ है।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे बड़े सवाल
लातेहार सदर अस्पताल में यह स्थिति पहली बार उजागर नहीं हुई है। कई बार स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि:
- दलालों का दबदबा है,
- जांच रिपोर्ट में देरी होती है,
- कई बार मुफ्त सेवाओं के बदले पैसे वसूले जाते हैं,
- और असहाय मरीजों का शोषण होता है।
इस मामले ने पूरे जिले में स्वास्थ्य तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य तंत्र की सच्चाई उजागर करने वाला मामला
यह घटना बताती है कि सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था जमीनी स्तर पर कितनी कमजोर और भ्रष्टाचार से प्रभावित हो सकती है। एक आदिवासी परिवार से जांच के लिए पैसे मांगना गंभीर संवेदनहीनता को दर्शाता है। प्रशासन यदि तत्काल कार्रवाई नहीं करता, तो ऐसे मामले बढ़ते रहेंगे और गरीब मरीजों का भरोसा टूटता जाएगा।
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अब आपकी जिम्मेदारी—स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने में निभाएँ भूमिका
जब स्वास्थ्य सेवाएँ गरीबों और आदिवासियों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद होती हैं, ऐसे भ्रष्टाचार के मामले समाज और व्यवस्था दोनों को कमजोर करते हैं। यदि आप अस्पतालों में किसी भी तरह की अवैध उगाही या मरीजों के साथ दुर्व्यवहार देखें, तो तुरंत इसकी सूचना जिला प्रशासन को दें।
अपने आसपास के लोगों को अधिकारों के बारे में जागरूक करें ताकि कोई भी गरीब इलाज से वंचित न हो।
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