
#महुआडांड़ #स्मार्ट_मीटर : प्रीपेड मीटर लगाने के दौरान चाय-पानी के नाम पर 100 से 500 रुपये की कथित वसूली ने ग्रामीणों में असंतोष पैदा किया
- महुआडांड़ प्रखंड क्षेत्र में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के दौरान कथित अवैध वसूली।
- ग्रामीणों ने बताया कि चाय-पानी के नाम पर 100 से 500 रुपये तक की वसूली की जा रही है।
- बिना अतिरिक्त भुगतान के मीटर लगाना या संबंधित प्रक्रिया करवाना मुमकिन नहीं।
- गरीब और मजदूर परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ने की चिंता।
- स्मार्ट मीटर की वसूली और रिचार्ज प्रक्रिया को लेकर स्थानीय राजनीति और चर्चाएँ तेज़।
- कई ग्रामीणों ने कहा कि रोज कमाने वाले परिवारों के लिए बार-बार रिचार्ज करना मुश्किल, अवैध वसूली स्थिति को और गंभीर बना रही है।
महुआडांड़ प्रखंड के ग्रामीणों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया को लेकर नाराज़गी बढ़ती जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि मीटर लगाने के दौरान चाय-पानी के नाम पर 100 से 500 रुपये तक की वसूली हो रही है। इस प्रक्रिया के बिना मीटर लगवाना या उससे संबंधित अन्य कार्य करवाना लगभग असंभव हो गया है। कई ग्रामीण आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, और उन्हें इस अतिरिक्त भुगतान से और मुश्किलें बढ़ रही हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि रिचार्ज आधारित मीटर गरीब और मजदूर वर्ग पर और अधिक बोझ डाल सकता है। रोज़ कमाने-खाने वाले परिवारों के लिए बार-बार रिचार्ज करना मुश्किल होगा। ऊपर से चाय-पानी के नाम पर वसूली ने स्थिति और गंभीर बना दी है। इस कारण स्मार्ट मीटर की प्रक्रिया को लेकर लोगों में असंतोष और अविश्वास फैल रहा है।
अवैध वसूली और ग्रामीण असंतोष
ग्रामीणों ने कहा कि मीटर लगवाने में पहले से ही झंझट और लंबी प्रक्रियाएँ हैं। इस पर अतिरिक्त भुगतान की मांग ने लोगों में नाराज़गी बढ़ा दी है। कई लोग अब मीटर को लेकर आशंकित हैं और इसे गरीब परिवारों के लिए आर्थिक बोझ वाला कदम मान रहे हैं।
“हम पहले से ही तंगी में हैं, ऐसे में 100 से 500 रुपये देने का झंझट हमें और परेशान कर रहा है। बिना पैसे देने मीटर लगवाना नामुमकिन है।”
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
स्मार्ट मीटर को लेकर महुआडांड़ में अब स्थानीय स्तर पर राजनीतिक बयानबाज़ी और चर्चा तेज़ हो गई है। ग्रामीणों की नाराज़गी को देखते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से शिकायत की जा रही है। समाज में चर्चा का मुख्य मुद्दा यह बन गया है कि गरीब और मजदूर वर्ग के लिए इस तरह के रिचार्ज आधारित मीटर कैसे स्वीकार्य हैं और क्या प्रशासन इस वसूली के आरोपों की जांच करेगा।
एक स्थानीय नेता ने कहा: “ऐसे मामलों में प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और अवैध वसूली पर रोक लगानी चाहिए, अन्यथा ग्रामीणों का विश्वास पूरी तरह टूट जाएगा।”
न्यूज़ देखो: अवैध वसूली ग्रामीणों का भरोसा तोड़ रही है
महुआडांड़ में स्मार्ट मीटर की प्रक्रिया और अवैध वसूली का मामला यह दर्शाता है कि तकनीकी सुधारों के साथ पारदर्शिता और ग्रामीणों के अधिकारों का ध्यान रखना कितना जरूरी है। गरीब और मजदूर वर्ग पर आर्थिक बोझ डालने वाली व्यवस्थाओं से विकास के लक्ष्यों में बाधा आती है। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित करे कि जनता की सहमति और अधिकार का उल्लंघन न हो।
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जागरूक नागरिक बनें और अवैध वसूली के खिलाफ आवाज उठाएँ
ग्रामीण और नागरिकों को चाहिए कि वे अपनी समस्याओं और असंतोष को प्रशासन तक पहुँचाएँ। पारदर्शिता और जवाबदेही तभी संभव है जब हर व्यक्ति सचेत हो और अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करे। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और ऐसे मामलों में जागरूकता फैलाएँ।





