Palamau

विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्रवाई से छात्र नेताओं की आवाज़ दबाने का आरोप

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#पलामू #छात्र_आन्दोलन : दीक्षांत समारोह के अवसर पर छात्र नेताओं को हिरासत में रखने के विरोध में छात्र संगठन ने जताया विरोध
  • पलामू पुलिस प्रशासन ने दीक्षांत समारोह के दौरान कई छात्र नेताओं को हिरासत में लिया।
  • छात्र नेता राणा हिमांशु सिंह ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आवाज़ दबाने का आरोप लगाया।
  • हिरासत में रखे गए छात्र नेताओं को मेदिनीनगर शहर थाना में दिन भर रखा गया और शाम 5 बजे मिली बेल।
  • छात्र नेताओं का कहना है कि उनका विरोध दीक्षांत समारोह का नहीं बल्कि एनपीयू के कुलपति के कार्यों के खिलाफ था।
  • छात्र नेता ने आश्वस्त किया कि वह आगे भी छात्र हित में काम करते रहेंगे।

पलामू के विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह के मौके पर छात्र नेताओं की हिरासत ने स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा और शांति बनाए रखने के नाम पर कई प्रमुख छात्र नेताओं को हिरासत में लिया, जिसमें प्रमुख छात्र नेता राणा हिमांशु सिंह शामिल थे। छात्र नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य समारोह का विरोध नहीं बल्कि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक निर्णयों पर सवाल उठाना था।

छात्र नेताओं का बयान

छात्र नेता राणा हिमांशु सिंह ने कहा: “विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी आवाज़ दबाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा। हमने दीक्षांत समारोह का विरोध नहीं किया बल्कि कुलपति के कार्यों का विरोध किया है। हिरासत की ये कार्रवाई हमारी लड़ाई को नहीं रोक सकती। मैं आगे भी छात्र हित में काम करता रहूंगा।”

छात्र नेताओं की हिरासत के दौरान उन्हें मेदिनीनगर शहर थाना में रखा गया और शाम 5 बजे उन्हें बेल पर छोड़ दिया गया। छात्रों ने इस कार्रवाई को अत्यधिक अनुचित और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया।

विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस की भूमिका

पुलिस प्रशासन ने हिरासत को सुरक्षा सुनिश्चित करने और संभावित उग्र प्रदर्शन को रोकने के उद्देश्य से बताया, जबकि छात्रों का आरोप है कि यह कदम छात्र नेतृत्व और उनकी आवाज़ को दबाने के लिए उठाया गया। यह घटना छात्र समुदाय और प्रशासन के बीच चल रहे मतभेद को उजागर करती है।

न्यूज़ देखो: छात्र नेताओं की हिरासत से विश्वविद्यालय में बढ़ी असहमति

यह मामला यह दर्शाता है कि शिक्षा संस्थानों में छात्रों की आवाज़ को दबाने के प्रयास शिक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं। प्रशासन और पुलिस को छात्रों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान तलाशना चाहिए।

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छात्रों के अधिकारों की रक्षा और संवाद को प्रोत्साहित करें

शिक्षा केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं, बल्कि छात्रों के अधिकार और आवाज़ का संरक्षण भी है। छात्र नेतृत्व को प्रोत्साहित करें और ऐसे मामलों में अपनी राय साझा करें। इस खबर को कमेंट, शेयर करें और अपने सामाजिक दायित्व के तहत जागरूकता फैलाएं ताकि शिक्षा संस्थानों में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हो सके।

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