- सेंट मरियम स्कूल के चेयरमैन अविनाश देव ने शेख भिखारी के बलिदान को आज के संदर्भ में प्रासंगिक बताया।
- रामगढ़ के बेड़मा बभांडी गांव में आयोजित शहादत समारोह में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने भी हिस्सा लिया।
- शेख भिखारी ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 08 जनवरी 1858 को अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दी।
- समारोह में शेख भिखारी के विचारों और उनके सपनों का भारत बनाने का आह्वान किया गया।
मेदिनीनगर में अमर शहीद शेख भिखारी की शहादत दिवस पर एक विशेष श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सेंट मरियम स्कूल के चेयरमैन अविनाश देव ने उनके बलिदान को आज के समय में अत्यधिक प्रासंगिक बताया। यह आयोजन रामगढ़ प्रखंड के बेड़मा बभांडी गांव में मोमिन कॉन्फ्रेंस के शहादत समारोह के तहत हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने भी भाग लिया।
शेख भिखारी: स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय नायक
1856 में, शेख भिखारी की अद्भुत प्रशासनिक क्षमता को देखकर राजा विश्वनाथ शाहदेव ने उन्हें अपने रियासत का दीवान नियुक्त किया। अंग्रेजों के हमले की आशंका को भांपते हुए, उन्होंने तीन हजार सैनिकों की एक सेना बनाई और शेख भिखारी को सेनापति नियुक्त किया। 1857 के संग्राम में उन्होंने हजारीबाग की चुलूपालू घाटी में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ा।
“08 जनवरी 1858 को अंग्रेजों ने शेख भिखारी को फांसी दी। उनका संघर्ष छोटानागपुर से संथाल परगना तक अंग्रेजों के लिए चुनौती बना रहा।”
अविनाश देव ने क्यों बताया प्रासंगिक?
अविनाश देव ने शेख भिखारी के बलिदान को वर्तमान समय में अत्यधिक प्रासंगिक बताते हुए कहा:
“आज, जब देश में नफरत की राजनीति हो रही है और लोकतंत्र के खिलाफ साजिशें हो रही हैं, शहीद शेख भिखारी जैसे क्रांतिकारियों के विचार और बलिदान अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। हमें उनके सपनों का भारत बनाने की जरूरत है।”
उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भी सराहना की, जिन्होंने राज्य के शहीदों और नायकों को सम्मान देने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है।
शहीदों के सपनों का भारत बनाना है लक्ष्य
समारोह में सभी वक्ताओं ने शेख भिखारी के बलिदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और उनके विचारों को अपनाने का आह्वान किया।
अविनाश देव ने कहा, “शहीदों के सपनों का भारत तभी बनेगा, जब हम नफरत और असमानता के खिलाफ खड़े होकर उनके विचारों को अपनाएंगे।”
हुल जोहार! इस प्रकार के आयोजन समाज को प्रेरित करते हैं और हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को जीवंत बनाते हैं।
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