#रांची #सामुदायिकमुद्दा : आमया संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के मुस्लिम समुदाय और स्थानीय नीति के मुद्दों पर मुख्यमंत्री को विस्तृत मांग पत्र सौंपा
- आमया संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर राज्य के मुस्लिम और स्थानीय समुदाय के महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए।
- राज्य में स्थानीय नीति का अनुपालन न होने और बाहरी अभ्यर्थियों को लाभ मिलने के मुद्दे पर चिंता जताई गई।
- उर्दू शिक्षक पद, सहायक आचार्य भर्ती और स्कूल बहाली से जुड़ी लंबित समस्याओं पर संगठन ने विस्तृत जानकारी दी।
- मॉब लिंचिंग बिल 2021, मदरसा परीक्षा और रांची गोलीकांड मामले में कार्रवाई की मांग की गई।
- धार्मिक स्थलों की भूमि पट्टा, अल्पसंख्यक कोचिंग योजना और सरकारी कामों में असमानता के मुद्दे उठाए गए।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी मसलों का संज्ञान लेने और समाधान के लिए कार्रवाई का आश्वासन दिया।
झारखंड के मुस्लिम समुदाय और स्थानीय मुद्दों को लेकर आमया संगठन ने राज्य की राजधानी रांची में एक निर्णायक कदम उठाया। संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष एस. अली के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और राज्य में लागू स्थानीय नीति, पिछड़ा वर्ग आरक्षण, उर्दू शिक्षक बहाली, मदरसा शिक्षा, अल्पसंख्यक योजनाओं और धार्मिक स्थलों की भूमि पट्टा से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत मांग पत्र सौंपा। इस बैठक में प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के मुस्लिम और स्थानीय समुदाय के लोगों की समस्याओं को प्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री तक पहुंचाया।
बैठक का उद्देश्य और उठाए गए मुद्दे
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि राज्य में स्थानीय नीति लागू न होने से बाहरी अभ्यर्थियों को लगातार लाभ मिल रहा है और पिछड़ा वर्ग को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण नहीं मिल रहा। साथ ही जेएसएससी द्वारा सहायक आचार्य (भाषा) पद पर आलिम डिग्री धारकों का परिणाम घोषित किया गया जबकि फाजिल डिग्री धारकों को माध्यमिक आचार्य बहाली में शामिल नहीं किया गया।
एस. अली ने कहा: “हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री हमारी समस्याओं पर संज्ञान लेंगे और सभी लंबित मुद्दों का शीघ्र समाधान करेंगे।”
संगठन ने मदरसा आलिम-फाजिल परीक्षा का संचालन, रांची विश्वविद्यालय से परीक्षा न होना, मॉब लिंचिंग बिल 2021 को राज्य में लागू न करना और 10 जून 2022 रांची गोलीकांड के मामलों में कार्रवाई न होना जैसे गंभीर मसलों पर भी ध्यान आकर्षित किया।
उर्दू शिक्षक पद और सरकारी योजनाओं की लंबित समस्याएं
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि 3712 उर्दू शिक्षक पदों को टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से भरने के बजाय सहायक आचार्य पद बना दिया गया। इसके अलावा, 544 उर्दू स्कूलों का दर्जा छिनने के बाद बहाली लंबित है और उर्दू एकेडमी का गठन भी अभी तक नहीं हुआ।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अल्पसंख्यक कोचिंग योजना की शुरुआत नहीं हुई और बांग्लाभाषी झारखंडी मुस्लिमों के उत्पीड़न, भैंसवंशी पशुओं के वध पर रोक, बुनकर और टेलरिंग समितियों को सरकारी काम न मिलने, तथा मुस्लिम धार्मिक स्थलों की भूमि पट्टा संबंधी समस्याओं पर भी कार्रवाई की आवश्यकता है।
प्रतिनिधिमंडल की संरचना और बैठक का आयोजन
इस बैठक में आमया संगठन के लतीफ आलम, जियाउद्दीन अंसारी, मो. फुरकान, इमरान अंसारी, नौशाद आलम, रहमतुल्लाह अंसारी, एकराम हुसैन, औरंगजेब आलम, अब्दुल गफ्फार, अलाउद्दीन अंसारी, सफदर सुल्तान, अरशद जिया, अफजल खान, मो. अब्दुल्लाह सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।
अधिकारी का नाम ने कहा: “सभी मुद्दों का संज्ञान लिया गया है और जल्द ही इनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिनिधिमंडल से बातचीत में आश्वासन दिया कि सभी मामलों को गंभीरता से देखा जाएगा और संबंधित विभागों के माध्यम से जल्द समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।
न्यूज़ देखो: झारखंड में मुस्लिम समुदाय और स्थानीय मुद्दों पर प्रशासन की सक्रियता का परीक्षण
यह बैठक राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि सामाजिक और शैक्षिक मुद्दों पर समुदाय की चिंता को गंभीरता से लिया जा रहा है। आमया संगठन द्वारा उठाए गए मुद्दे प्रशासन और जनता के बीच एक पुल का काम करेंगे।
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समुदाय और प्रशासन में संवाद की जरूरत
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