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मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने और बाबा साहेब पर टिप्पणी के विरोध में अंबेडकर चेतना परिषद व यूनाइटेड मिल्ली फोरम की कार्रवाई की मांग

#हुसैनाबाद #सामाजिक_एकता : असंवैधानिक कृत्यों के खिलाफ संगठनों का विरोध – दोषियों की गिरफ्तारी और कठोर कार्रवाई की मांग

हुसैनाबाद (पलामू): देशभर में सामाजिक सौहार्द और संवैधानिक मूल्यों को झकझोर देने वाली दो घटनाओं को लेकर अंबेडकर चेतना परिषद और यूनाइटेड मिल्ली फोरम, हुसैनाबाद ने जोरदार विरोध जताया है। एक ओर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई पर न्यायालय परिसर में जूता फेंकने की घटना ने देश को स्तब्ध कर दिया, वहीं ग्वालियर में अनिल मिश्रा द्वारा भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।

संगठनों ने दोनों घटनाओं को बताया असंवैधानिक और निंदनीय

संयुक्त बयान जारी कर अंबेडकर चेतना परिषद और यूनाइटेड मिल्ली फोरम ने इन दोनों घटनाओं को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा कि यह कृत्य अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और सामाजिक समरसता को तोड़ने वाले हैं। संगठनों ने प्रशासन से दोनों मामलों में तुरंत और सख्त कार्रवाई की मांग की।

संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा: “बाबा साहेब पर अपमानजनक टिप्पणी और मुख्य न्यायाधीश पर हमला, दोनों ही राष्ट्र की आत्मा पर प्रहार हैं। दोषियों को कठोर दंड मिलना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति संविधान और न्यायपालिका का अपमान करने की जुर्रत न करे।”

हुसैनाबाद में बढ़ा जनाक्रोश

हुसैनाबाद में दोनों घटनाओं को लेकर नागरिकों और सामाजिक संगठनों के बीच गहरा आक्रोश देखा गया। लोगों ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने इस देश को संविधान देकर समानता, न्याय और स्वतंत्रता की दिशा दिखाई है। ऐसे में उनके प्रति की गई कोई भी अपमानजनक टिप्पणी समाज को बांटने का कार्य करती है और इसकी निंदा हर जिम्मेदार नागरिक को करनी चाहिए।

प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग

विरोध जताते हुए संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने वाले व्यक्ति और अनिल मिश्रा दोनों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो यह देशभर में गलत संदेश देगा और समाज में असंतोष बढ़ेगा।

कार्यक्रम में रहे कई प्रमुख उपस्थित

विरोध सभा में नगर पंचायत उपाध्यक्ष गयासुद्दीन सिद्दीकी, व्यापार मंडल अध्यक्ष कृष्णा बैठा, विकास कुमार रंजक, भारती अब्बास कादरी, अकरम खान, विरेंद्र कुमार मेहता, कृष्णा राम, सुनेश्वर राम, प्रेम कुमार, रामेश्वर मेहता, सुरेश मेहता, कामेश्वर परहिया, हरि यादव, राजेंद्र मेहता, राज कुमार सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में कहा कि संविधान की गरिमा को ठेस पहुंचाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए।

न्यूज़ देखो: संविधान की मर्यादा पर आघात बर्दाश्त नहीं

इस घटना ने फिर साबित कर दिया है कि आज भी समाज में कुछ तत्व संवैधानिक मूल्यों और न्यायपालिका की गरिमा को चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे कृत्यों का खुला विरोध होना आवश्यक है ताकि लोकतंत्र की नींव मजबूत बनी रहे। प्रशासन को सख्ती से कदम उठाकर न्यायपालिका और बाबा साहेब की गरिमा की रक्षा करनी चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संविधान की रक्षा, समाज की शांति

हम सबका दायित्व है कि देश के संविधान और उसके निर्माताओं का सम्मान करें। समाज में शांति और एकता तभी संभव है जब हर नागरिक समानता और न्याय के सिद्धांतों को अपनाए।
अब समय है कि हम सब आवाज उठाएं — असंवैधानिक कृत्यों के खिलाफ और सामाजिक सौहार्द के पक्ष में। अपनी राय कमेंट करें, खबर साझा करें और जागरूकता फैलाएं ताकि न्याय और संविधान की मर्यादा कायम रहे।

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