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जीवनरक्षक की तरह काम करें एम्बुलेंस चालक: कॉफ़ी विद एसडीएम कार्यक्रम में रखीं समस्याएं और मिले समाधान के आश्वासन

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#गढ़वा #कॉफीविदएसडीएम : सदर एसडीएम संजय कुमार के साथ एम्बुलेंस चालकों ने संवाद में उठाई मानदेय, सुरक्षा किट और मरम्मत की समस्याएं
  • गढ़वा के एसडीएम संजय कुमार के साथ एम्बुलेंस चालकों की हुई सीधी बातचीत।
  • अनियमित मानदेय और एजेंसी द्वारा पैसों की कटौती पर कर्मियों ने जताई नाराजगी।
  • सुरक्षा किट और बेहतर रहने की सुविधा की मांग रखी गई।
  • निजी एम्बुलेंस शुल्क तय सीमा से अधिक न लेने का निर्देश एसडीएम ने दिया।
  • “राह वीर योजना” की जानकारी देकर घायल व्यक्तियों की मदद करने को प्रेरित किया गया।
  • कार्यक्रम में 108 सेवा, निजी एम्बुलेंस, रेड क्रॉस और ममता वाहन के कर्मियों ने की सहभागिता।

गढ़वा में बुधवार को आयोजित “कॉफ़ी विद एसडीएम” कार्यक्रम में क्षेत्र के एम्बुलेंस चालकों ने अपनी समस्याएं और सुझाव साझा किए। सदर एसडीएम संजय कुमार ने कर्मियों से संवाद कर उनकी बातें सुनीं और कई मुद्दों पर आश्वासन भी दिया। कार्यक्रम में सरकारी, निजी, रेड क्रॉस और ममता वाहन से जुड़े एम्बुलेंस कर्मी शामिल हुए। इस दौरान मानदेय में अनियमितता, सुरक्षा किट की कमी, गाड़ियों की खराब स्थिति और रहने की न्यूनतम सुविधाओं की मांग प्रमुख रूप से उठी।

अनियमित मानदेय और वेतन की समस्या

एम्बुलेंस चालकों ने बताया कि उन्हें एजेंसी द्वारा नियमित रूप से मानदेय नहीं मिलता। कई बार भुगतान उनकी मेहनत के अनुरूप भी नहीं होता। कुछ चालकों ने कहा कि कभी-कभी उन्हें एक दिन का ₹100 से भी कम भुगतान मिलता है और एजेंसी हमेशा कुछ पैसा रोककर रखती है, जिससे उनके परिवार पर आर्थिक दबाव पड़ता है।

नीरज तिवारी, अध्यक्ष, 108 एम्बुलेंस संघ ने कहा: “हम मेहनत से सेवा देते हैं लेकिन हमें उसका उचित मानदेय नहीं मिलता। प्रशासनिक स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता है।”

सुरक्षा किट और गाड़ियों की मरम्मत का मुद्दा

कर्मियों ने कहा कि मरीजों को उठाते समय उन्हें ग्लव्स, मास्क और सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाते। इससे उनकी जान जोखिम में रहती है। मेराल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात सत्येंद्र चौधरी ने बताया कि उनकी गाड़ी लंबे समय से खराब है। एमवीआई से जांच भी हो गई, लेकिन मरम्मत न होने से गाड़ी खड़ी है। कई अन्य कर्मियों ने भी कहा कि मरम्मत में देरी और भुगतान न होने के कारण मैकेनिक गाड़ियां लंबे समय तक अपने पास रोक लेते हैं।

निजी एम्बुलेंस पर निर्देश

एसडीएम ने सभी निजी एम्बुलेंस संचालकों को चेतावनी दी कि वे मरीजों से निर्धारित शुल्क से अधिक न लें और मरीज को गंतव्य स्थल से पहले छोड़ने की शिकायत न मिले।

वीरेंद्र कुमार गुप्ता, निजी एम्बुलेंस प्रतिनिधि ने कहा: “हमारे किराए प्रशासन द्वारा तय हैं और हम कभी अधिक शुल्क नहीं लेते। कई बार रिम्स में यूनियन के दबाव के कारण तुरंत लौटना पड़ता है लेकिन मरीज को रास्ते में छोड़ने का सवाल ही नहीं।”

सड़क हादसों के पीड़ितों को मदद

एसडीएम ने एम्बुलेंस चालकों से कहा कि वे अधिकांश समय सड़क पर रहते हैं, इसलिए दुर्घटना ग्रस्त लोगों को देखते ही मदद करें। इस पर रितेश रंजन, वकील ठाकुर और सुजित पासवान ने साझा किया कि उन्होंने कई बार ऐसे मरीजों को अस्पताल पहुँचाया है। उनकी इस भावना पर सभाकक्ष तालियों से गूंज उठा।

अस्पताल कर्मियों से सहयोग न मिलने की शिकायत

कई चालकों ने कहा कि मरीजों को अस्पताल लाने और ले जाने में उन्हें अकेले ही मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी या होमगार्ड मदद नहीं करते। इस पर एसडीएम ने आश्वासन दिया कि अस्पताल प्रबंधन को निर्देशित किया जाएगा ताकि सहयोग सुनिश्चित हो।

न्यूनतम सुविधाओं की मांग

एम्बुलेंस कर्मियों ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों के पास जहाँ वे रहते हैं, वहाँ पेयजल, शौचालय और रहने की सुविधा की भारी कमी है। कई बार पानी तक नहीं मिलता, जिससे उन्हें विपरीत परिस्थितियों में रहना पड़ता है। इस मुद्दे को भी एसडीएम ने संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाने का आश्वासन दिया।

“राह वीर योजना” की जानकारी

एसडीएम ने चालकों को बताया कि अगर वे किसी घायल व्यक्ति की मदद कर उसे अस्पताल पहुँचाते हैं, तो उन्हें नकद इनाम और सार्वजनिक सम्मान दिया जाएगा। यह योजना न केवल लोगों की जान बचाने में मदद करेगी बल्कि एम्बुलेंस कर्मियों को प्रोत्साहन भी देगी।

संजय कुमार, एसडीएम गढ़वा ने कहा: “एम्बुलेंस कर्मियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। कई बार उनकी तत्परता से लोगों की जान बचती है। वे किसी जीवनरक्षक से कम नहीं हैं। प्रशासन उनकी समस्याओं को दूर करने का हरसंभव प्रयास करेगा।”

व्यापक सहभागिता

इस कार्यक्रम में न केवल 108 सेवा के कर्मी बल्कि निजी एम्बुलेंस, सरकारी विभाग, इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी और ममता वाहन से जुड़े कर्मी भी शामिल हुए। सभी ने मिलकर अपनी व्यावहारिक चुनौतियों को साझा किया और बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा जताई।

न्यूज़ देखो: जीवनरक्षक एम्बुलेंस कर्मियों की आवाज

यह संवाद दिखाता है कि एम्बुलेंस कर्मियों की समस्याओं को सुनना और उनके समाधान की कोशिश करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। जो लोग दूसरों की जान बचाते हैं, उनकी न्यूनतम आवश्यकताएँ पूरी करना समाज और सरकार दोनों का दायित्व है। गढ़वा में हुई इस पहल से उम्मीद की जा सकती है कि एम्बुलेंस सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सेवा में समर्पण और समाज की जिम्मेदारी

एम्बुलेंस कर्मी दिन-रात लोगों की जिंदगी बचाने में जुटे रहते हैं। अब समय है कि हम भी उनकी चुनौतियों को समझें और बदलाव में सहयोग दें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और जागरूकता फैलाने में भागीदार बनें।

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