
#बरवाडीह #कंबलवितरणविलंब : नवंबर के अंतिम सप्ताह तक पंचायतों को सरकारी कंबल नहीं मिलने से जरूरतमंदों में निराशा गहराई—ठंड बढ़ने के बावजूद वितरण प्रक्रिया शुरू नहीं।
- बरवाडीह क्षेत्र में कड़ाके की ठंड से आमजन परेशान।
- सरकारी कंबल वितरण नवंबर के अंतिम सप्ताह तक शुरू नहीं।
- जरूरतमंदों ने प्रशासनिक देरी पर निराशा जताई।
- मुखिया बुद्धेश्वर सिंह, नीतू देवी, मंजू देवी ने कहा— पंचायत को अबतक कंबल उपलब्ध नहीं।
- कंबल मिलते ही ज़रूरतमंदों के बीच वितरण किए जाने की बात कही गई।
बरवाडीह प्रखंड क्षेत्र में ठंड ने अचानक अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। तापमान में लगातार गिरावट से लोग रात के समय ठिठुरने लगे हैं, लेकिन इसी बीच सरकारी कंबल वितरण में हो रही देरी ने गरीब और जरूरतमंद परिवारों की चिंता बढ़ा दी है। नवंबर माह के अंतिम सप्ताह तक भी पंचायतों को सरकारी कंबल उपलब्ध नहीं कराए जाने से ग्रामीणों में नाराज़गी और मायूसी साफ देखी जा रही है। कई लोगों ने व्यथा व्यक्त करते हुए कहा कि अगर ठंड के चरम के बाद कंबल मिलेगा तो उसका क्या उपयोग रह जाएगा।
ठंड बढ़ी, पर कंबल वितरण पूरी तरह ठप
पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में ठंड की तीव्रता में तेजी से वृद्धि हुई है। सुबह और रात के समय खुले क्षेत्रों में रहने वाले गरीब, बुजुर्ग, असहाय और मजदूर वर्ग के लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। इस मौसम में प्रशासन द्वारा हर वर्ष कंबल वितरण किया जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष वितरण में स्पष्ट देरी दिखाई दे रही है। ग्रामीण बताते हैं कि वे कई दिनों से पंचायत कार्यालय और जनप्रतिनिधियों से पूछताछ कर रहे हैं, लेकिन हर स्थान पर एक ही जवाब मिलता है— “अब तक कंबल नहीं आया”।
कई बुजुर्गों का कहना है कि वे सरकारी कंबल पर निर्भर रहते हैं क्योंकि बाजार से कंबल खरीदना उनके लिए संभव नहीं है। ऐसे में वितरण में देरी ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है।
पंचायत प्रतिनिधियों ने बताई वास्तविक स्थिति
ग्रामीणों की बढ़ती शिकायतों के बीच पंचायत प्रतिनिधियों ने भी स्थिति स्पष्ट की है।
मुखिया बुद्धेश्वर सिंह, नीतू देवी और मंजू देवी ने कहा कि पंचायत को अबतक प्रखंड स्तर से एक भी कंबल उपलब्ध नहीं कराया गया है।
मुखिया बुद्धेश्वर सिंह ने कहा: “जैसे ही कंबल पंचायत को मिलेगा, जरूरतमंदों के बीच तुरंत वितरण किया जाएगा। अभी समस्या यह है कि प्रखंड स्तर से ही आपूर्ति नहीं हुई है।”
जनप्रतिनिधियों ने बताया कि वे लगातार प्रखंड कार्यालय से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन अबतक कंबलों की सप्लाई शुरू नहीं की गई है। इससे पंचायत स्तर पर वितरण प्रक्रिया पूरी तरह रुकी हुई है।
जरूरतमंदों की पीड़ा और उठ रहे सवाल
ग्रामीणों का सबसे बड़ा सवाल है कि जब प्रशासन जानता है कि हर वर्ष नवंबर के अंत और दिसंबर की शुरुआत में ठंड बढ़ जाती है, तो कंबल आपूर्ति समय से पहले क्यों नहीं की जाती। कई लोगों ने यह भी कहा कि यदि ठंड अपने चरम पर पहुंचने के बाद कंबल मिलेंगे, तो उसका क्या फायदा।
गरीब परिवारों की महिलाएँ कहती हैं कि बच्चों की बीमारी का सबसे बड़ा कारण ठंड है और समय पर कंबल उपलब्ध नहीं होने से स्थिति और खराब हो सकती है। कई मजदूर परिवारों ने कहा कि रात के समय काम से लौटने पर उनके पास ठंड से बचने के साधन बेहद सीमित हैं और ऐसे में सरकारी कंबल उनका सहारा बनते हैं।
प्रशासनिक उदासीनता या व्यवस्था की कमी?
कंबल वितरण जैसी बुनियादी सामाजिक सुरक्षा योजना का नवंबर के अंतिम सप्ताह तक शुरू न होना प्रशासनिक उदासीनता की ओर इशारा करता है। पंचायती जनप्रतिनिधियों ने साफ कहा कि दोष पंचायत का नहीं बल्कि प्रखंड स्तर पर सप्लाई रुकने का है। यदि ऐसी मूलभूत योजनाओं में देरी होती रही तो गरीब तबके पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
न्यूज़ देखो: कड़कड़ाती ठंड में कंबल वितरण की देरी चिंता का विषय
कंबल वितरण जैसे जीवनरक्षक इंतज़ाम में देरी न सिर्फ प्रशासनिक कमजोरियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि ज़मीनी जरूरतों को समय पर पूरा करने की व्यवस्था कितनी कमजोर है। ग्रामीण क्षेत्र के जरूरतमंद लोग महीने की शुरुआत से ही कंबल की उम्मीद में बैठे हैं, लेकिन अबतक उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला है। प्रशासन को इस देरी को गंभीरता से लेते हुए तुरंत आपूर्ति और वितरण सुनिश्चित करना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति ठंड की मार से पीड़ित न हो।
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ठंड से बचाव है अधिकार जिम्मेदारी से निभाएं कर्तव्य
बरवाडीह की यह स्थिति हमें याद दिलाती है कि प्रशासनिक तत्परता सिर्फ योजनाएं बनाने में नहीं, बल्कि उन्हें समय पर ज़मीन पर उतारने में दिखती है। ठंड किसी के लिए भी जानलेवा हो सकती है, खासकर गरीब और असहाय लोगों के लिए। ऐसे समय में समाज के हर जागरूक नागरिक को सुचारू व्यवस्था की मांग करनी चाहिए, अपने आसपास जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचानी चाहिए और प्रशासन को जवाबदेह बनाना चाहिए।
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