
#गढ़वा #सामाजिक_सेवा : ठंड में प्रशासनिक उपेक्षा के बीच एक सामान्य युवक ने पेश की मानवता की मिसाल।
गढ़वा जिले के केतार प्रखंड अंतर्गत परती-कुशवानी पंचायत में कड़ाके की ठंड के दौरान एक मजदूर युवक द्वारा किए गए कंबल वितरण ने स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पंचायत स्तर पर किसी भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि द्वारा ठंड राहत का कोई प्रयास नहीं किया गया, जबकि बाहर मजदूरी करने वाले कमलेश यादव ने अपने निजी खर्च से 60 जरूरतमंद परिवारों को कंबल वितरित किए। यह पहल ठंड से जूझ रहे गरीब, वृद्ध और असहाय ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत बनी।
- केतार प्रखंड के परती-कुशवानी पंचायत में कंबल वितरण का आयोजन।
- कमलेश यादव, बाहर मजदूरी करने वाले युवक ने निजी खर्च से की पहल।
- 60 गरीब, वृद्ध, किसान और मजदूर परिवारों को मिले कंबल।
- कृष्ण मंदिर प्रांगण में दोपहर 12 बजे हुआ वितरण कार्यक्रम।
- पंचायत मुखिया, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्य रहे अनुपस्थित।
गढ़वा जिले के केतार प्रखंड स्थित परती-कुशवानी पंचायत में ठंड के मौसम ने जहां गरीब और असहाय परिवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, वहीं इस पंचायत में एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने व्यवस्था और संवेदनशीलता के फर्क को साफ उजागर कर दिया। जब पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधि ठंड राहत के नाम पर पूरी तरह नदारद रहे, तब एक सामान्य मजदूर युवक कमलेश यादव ने आगे बढ़कर मानवता की मिसाल पेश की।
कृष्ण मंदिर प्रांगण में हुआ कंबल वितरण
शनिवार दोपहर 12 बजे परती-कुशवानी पंचायत के कृष्ण मंदिर परिसर में कंबल वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में पंचायत के विभिन्न टोले से आए करीब 60 जरूरतमंद परिवारों को कंबल दिए गए। कंबल पाकर बुजुर्गों, महिलाओं और गरीब मजदूर परिवारों के चेहरों पर राहत साफ झलक रही थी।
इस पूरे आयोजन की खास बात यह रही कि कार्यक्रम पूरी तरह व्यक्तिगत प्रयास और निजी खर्च से संपन्न हुआ। कोई सरकारी बैनर, कोई राजनीतिक मंच या कोई औपचारिक भाषण नहीं था—सिर्फ सेवा का भाव था।
जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति पर उठे सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि ठंड के मौसम में हर वर्ष सरकार द्वारा ठंड राहत के लिए बजट और कंबल उपलब्ध कराए जाते हैं, लेकिन परती-कुशवानी पंचायत में—
- पंचायत मुखिया
- वार्ड सदस्य
- पंचायत समिति सदस्य
- जिला परिषद सदस्य
में से किसी ने भी एक भी कंबल वितरण नहीं किया। इस कारण ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है।
लोगों का कहना है कि राहत योजनाएं केवल कागजों और फाइलों तक सीमित रह गई हैं, जबकि वास्तविक सेवा आम नागरिकों द्वारा की जा रही है। पंचायत में इस मुद्दे को लेकर चर्चा और असंतोष दोनों बढ़ते जा रहे हैं।
कमलेश यादव की पहल बनी चर्चा का विषय
बाहर मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले कमलेश यादव ने कहा—
कमलेश यादव ने कहा: “समाज का कोई भी गरीब, मजदूर या बुजुर्ग ठंड में ठिठुरे—यह मैं देख नहीं सकता। सेवा ही मेरा धर्म है।”
उन्होंने बताया कि गांव में ठंड से जूझ रहे लोगों की स्थिति देखकर उन्होंने यह निर्णय लिया कि अपने स्तर से जो भी संभव होगा, वह करेंगे। उनके इस कदम को ग्रामीणों ने खुले दिल से सराहा।
युवाओं में जगी नई सामाजिक चेतना
कंबल वितरण कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी देखने को मिली। ग्रामीणों का मानना है कि कमलेश यादव की यह पहल पंचायत में एक नई सोच और सामाजिक चेतना को जन्म दे रही है। युवाओं ने कहा कि यह घटना बताती है कि बदलाव किसी पद या सत्ता से नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और इच्छाशक्ति से आता है।
पंचायत व्यवस्था पर उठता बड़ा प्रश्न
इस पूरे घटनाक्रम ने पंचायत स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब ठंड राहत के लिए सरकारी संसाधन उपलब्ध होने की बात कही जाती है, तब ज़मीनी स्तर पर जरूरतमंदों तक मदद क्यों नहीं पहुंचती—यह प्रश्न अब पंचायत के हर चौक-चौराहे पर चर्चा का विषय बन गया है।



न्यूज़ देखो: संवेदना ने निभाई जिम्मेदारी
परती-कुशवानी पंचायत की यह घटना दिखाती है कि जब व्यवस्था मौन हो जाती है, तब समाज का एक जागरूक नागरिक आगे बढ़कर जिम्मेदारी निभाता है। यह सिर्फ कंबल वितरण नहीं, बल्कि व्यवस्था को आईना दिखाने वाली पहल है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सेवा पद से नहीं, संवेदना से होती है
ठंड में किसी को राहत देना सबसे बड़ा मानवीय कार्य है।
कमलेश यादव जैसे प्रयास समाज को नई दिशा दिखाते हैं।
यदि आपके क्षेत्र में भी जरूरतमंद हैं, आगे आएं और मदद करें।
इस खबर को साझा करें, अपनी राय दें और मानवीय पहल को मजबूती दें।





