
#गढ़वा #खेल_उपलब्धि : राष्ट्रीय ट्रैक साइकिलिंग में अमीर रियाज ने 200 मीटर स्प्रिंट में जीता कांस्य पदक।
उत्तराखंड के रूद्रपुर में 19 से 23 दिसंबर 2025 तक आयोजित राष्ट्रीय ट्रैक साइकिलिंग चैंपियनशिप में गढ़वा के अमीर रियाज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक हासिल किया। 200 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा में उन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद मणिपुर के विद्यानंदा को पराजित किया। यह उपलब्धि उन्हें झारखंड का ऐसा पहला सीनियर साइकिलिस्ट बनाती है जिसने लगातार दो बार राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं। अमीर की यह सफलता गढ़वा ही नहीं, पूरे झारखंड के लिए गर्व का विषय है।
- प्रतियोगिता: राष्ट्रीय ट्रैक साइकिलिंग चैंपियनशिप 2025।
- आयोजन स्थल: रूद्रपुर, उत्तराखंड।
- स्पर्धा: 200 मीटर स्प्रिंट (सीनियर वर्ग)।
- पदक: कांस्य (ब्रॉन्ज)।
- विशेष उपलब्धि: सीनियर वर्ग में लगातार दो बार पदक जीतने वाले झारखंड के पहले खिलाड़ी।
गढ़वा जिले के प्रतिभाशाली साइकिलिस्ट अमीर रियाज ने राष्ट्रीय ट्रैक साइकिलिंग चैंपियनशिप में अपने जज्बे और मेहनत से एक नया इतिहास रच दिया है। 19 से 23 दिसंबर 2025 तक उत्तराखंड के रूद्रपुर में आयोजित इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में देशभर के शीर्ष साइकिलिस्टों ने हिस्सा लिया, लेकिन अमीर रियाज ने विपरीत परिस्थितियों को मात देते हुए 200 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि अमीर रियाज सीनियर वर्ग में लगातार दो बार राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले झारखंड के पहले साइकिलिस्ट बन गए हैं। उनकी इस सफलता ने गढ़वा जिले को राष्ट्रीय खेल मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाई है।
गिरने के बाद भी नहीं हारा हौसला
प्रतियोगिता के दिन अमीर रियाज के सामने हालात आसान नहीं थे। स्प्रिंट रेस की तैयारी के दौरान वे दो बार ट्रैक पर गिर पड़े, जिससे उन्हें हल्की चोटें भी आईं। ऐसे में कई खिलाड़ी मानसिक रूप से कमजोर पड़ जाते हैं, लेकिन अमीर ने हार नहीं मानी।
कहते हैं कि मेहनत के आगे किस्मत भी घुटने टेक देती है, और अमीर रियाज ने इसे सच कर दिखाया। चोट के बावजूद उन्होंने खुद को संभाला, रणनीति बदली और पूरे आत्मविश्वास के साथ रेस में उतरे।
मणिपुर के खिलाड़ी को दी करारी शिकस्त
200 मीटर स्प्रिंट के निर्णायक मुकाबले में अमीर रियाज का सामना मणिपुर के विद्यानंदा से हुआ। रेस के शुरुआती दौर में मुकाबला कड़ा रहा, लेकिन लास्ट लेप में अमीर ने शानदार गति और तकनीक का प्रदर्शन करते हुए विद्यानंदा को अच्छे खासे अंतर से पीछे छोड़ दिया।
जैसे ही अमीर ने फिनिश लाइन पार की और कांस्य पदक अपने नाम किया, ट्रैक पर मौजूद दर्शकों और टीम सदस्यों में खुशी की लहर दौड़ गई। यह जीत केवल एक पदक नहीं, बल्कि संघर्ष, धैर्य और आत्मविश्वास की जीत थी।
झारखंड साइकिलिंग के लिए ऐतिहासिक पल
अमीर रियाज की यह उपलब्धि झारखंड साइकिलिंग इतिहास में मील का पत्थर मानी जा रही है। लगातार दो बार सीनियर वर्ग में पदक जीतकर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि झारखंड के खिलाड़ी भी राष्ट्रीय स्तर पर किसी से कम नहीं हैं।
उनकी सफलता आने वाले युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।
बधाइयों का लगा तांता
अमीर रियाज की इस शानदार उपलब्धि पर खेल और सामाजिक जगत से जुड़े कई गणमान्य लोगों ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दीं।
मुख्य रूप से बधाई देने वालों में पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर, डॉ. मधु कांत पाठक, झारखंड साइकिलिंग संघ के महासचिव शैलेंद्र पाठक, कोषाध्यक्ष रणवीर सिंह, सुरजीत कुमार, राजकुमार मेहता, जितेंद्र महतो, शिव शंकर यादव, दिलीप गुप्ता, नरेश कुमार, प्रोनोति दास, अनीता यादव, राम भट्ट, प्रथम कुमार, अरविंद दुबे, अनिल पांडे, चंद्र बहादुर सिंह शामिल हैं।
इसके अलावा गढ़वा ओलंपिक संघ के संरक्षक राकेश पाल, रेखा चौबे, अनिता दत्त, वरीय उपाध्यक्ष उदय नारायण तिवारी, सचिव आलोक मिश्रा, उमेश सहाय, विजय केशरी, ओमप्रकाश तिवारी, नितिन तिवारी, मुमताज राही, रामप्रवेश तिवारी, राघवेंद्र नारायण सिंह, जितेंद्र सिन्हा, मनोज संसाई, धर्मेंद्र पाल, सत्येंद्र यादव, किशोर कुणाल, राजन कुमार, अजयकांत, सुशील तिवारी, प्रभात तिवारी, अभिषेक कुमार, दीपक कुमार सहित अनेक खेलप्रेमियों ने अमीर को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
इसकी जानकारी गढ़वा जिला साइकिलिंग संघ के कोषाध्यक्ष सह टीम प्रबंधन ओमप्रकाश गुप्ता ने दी।
युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा
खेल विशेषज्ञों का मानना है कि अमीर रियाज की यह सफलता गढ़वा और झारखंड के युवाओं को साइकिलिंग जैसे खेलों की ओर प्रेरित करेगी। सही प्रशिक्षण, अनुशासन और निरंतर अभ्यास से अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचा जा सकता है, इसका जीवंत उदाहरण अमीर रियाज हैं।

न्यूज़ देखो: मेहनत, हिम्मत और जीत की कहानी
अमीर रियाज की यह उपलब्धि बताती है कि खेल में चोट और असफलता अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत हो सकती है। सीमित संसाधनों के बावजूद झारखंड के खिलाड़ी राष्ट्रीय मंच पर परचम लहरा रहे हैं। अब जरूरत है कि ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को लगातार समर्थन और बेहतर सुविधाएं मिलें। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
खेल प्रतिभाओं का सम्मान करें, प्रोत्साहन बढ़ाएं
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खेलों में निवेश और समर्थन से ही जिले और राज्य का नाम रोशन होता है।
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