#डाल्टनगंज #मानवताकीमिसाल – गरीब पिता से 60 हजार की मांग पर खड़ा हुआ विवाद — ट्वीट के बाद माफ हुआ बकाया, 8 वर्षीय बालक का शव सौंपा गया परिवार को
- भीम आर्मी और आसपा की पहल पर SH अस्पताल ने मानवता दिखाई
- गरीबी के कारण परिजन शव ले जाने में असमर्थ थे
- अस्पताल ने 60,000 रुपये की बकाया राशि माफ की
- प्रदेश सचिव नागमणि रजक के ट्वीट से हरकत में आया प्रशासन
- अस्पताल में आसपा और भीम आर्मी के कई नेता पहुंचे
डाल्टनगंज अस्पताल में सामने आया भावनात्मक मामला
डाल्टनगंज स्थित SH अस्पताल में सोमवार को एक गरीब पिता को उसके मृत बच्चे का पार्थिव शरीर सौंपा गया, जब भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी (आसपा) के हस्तक्षेप और संगठन के प्रदेश सचिव नागमणि रजक के ट्वीट के बाद अस्पताल प्रशासन ने बकाया राशि माफ करते हुए मानवता का परिचय दिया।
इलाज के दौरान बच्चे की हुई मौत, 60 हजार रुपये की मांग
पांडु निवासी सुनील राम ने अपने बेटे को 2 जून को SH अस्पताल में भर्ती कराया था। लेकिन 8 जून को इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल ने शव सौंपने के एवज में 60,000 रुपये की बकाया राशि मांगी। गरीब परिवार इतने पैसों का इंतजाम नहीं कर पाया जिससे विवाद की स्थिति बन गई।
आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी ने की पहल
मामले की जानकारी मिलते ही भीम आर्मी पलामू जिला अध्यक्ष चंदू राम और आजाद समाज पार्टी के पदाधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से बात की और परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में विस्तार से बताया।
“डॉक्टरों से बातचीत में उन्होंने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए बाकी बची राशि माफ कर दी और पार्थिव शरीर परिवार को सौंपा गया,” — चंदू राम, जिला अध्यक्ष, भीम आर्मी
ट्वीट के बाद अस्पताल हरकत में आया
प्रदेश संगठन सचिव नागमणि रजक द्वारा ट्वीट कर मामले को उठाने के बाद यह घटना और तेज़ी से सुर्खियों में आई।
प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन ने संवेदनशीलता दिखाते हुए निर्णायक कदम उठाया और शव परिजनों को सौंप दिया।
“हर अस्पताल को गरीबों के प्रति मानवता दिखानी चाहिए। SH अस्पताल ने जो किया, वह अनुकरणीय है,” — सुहैल अंसारी, वरीय उपाध्यक्ष, आजाद समाज पार्टी
दर्जनों कार्यकर्ता रहे उपस्थित
इस मौके पर आसपा जिला सचिव प्रमोद कुमार, महासचिव सीताराम दास, भीम आर्मी उपाध्यक्ष यशवंत पासवान समेत दर्जनों कार्यकर्ता मौके पर मौजूद रहे और पीड़ित परिवार को सहारा दिया।
न्यूज़ देखो: जब सिस्टम चुप रहे, तब आवाज बनते हैं लोग
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि मानवता, संगठन की शक्ति और सामाजिक चेतना के माध्यम से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है। न्यूज़ देखो ऐसे ही न्याय और संवेदनशीलता से जुड़े मुद्दों को उठाने और दिखाने में विश्वास रखता है —
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
इंसानियत से बड़ी कोई नीति नहीं होती
SH अस्पताल का यह कदम एक प्रेरणा है — गरीबी कभी भी अंतिम निर्णय की वजह नहीं बननी चाहिए।
इस समाज को ज़रूरत है अधिक संवेदनशील संस्थाओं और जागरूक संगठनों की, जो बिना भेदभाव के आम जनता की समस्याओं के लिए आवाज उठाएं।
आइए, इस मानवता के संदेश को और आगे फैलाएं।