#गढ़वा #सफलता : संघर्ष से सफलता तक, सरांग के इंदल कुमार सिंह की प्रेरक कहानी
- सरांग गाँव के साधारण परिवार के इंदल कुमार सिंह ने JPSC परीक्षा में सफलता हासिल की।
- जन्म 13 मार्च 1996 को सरांग पंचायत में हुआ, प्रारंभिक पढ़ाई गाँव के स्कूल से की।
- 10वीं राजकीय उच्च विद्यालय रमना से 2012 में और 12वीं 2014 में राजकीय गोविंद +2 हाई स्कूल गढ़वा से पूरी की।
- ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय से Math Honours में 2017 में 67.4% अंकों के साथ की।
- कई प्रयासों के बाद JPSC में सफलता, दूसरा प्रयास रहा निर्णायक।
- बड़े भाई बिनोद कुमार सिंह पहले से उप समाहर्ता, वर्तमान में गिरिडीह के बगोदर सरिया अनुमंडल में कार्यरत।
सरांग पंचायत के इंदल कुमार सिंह की मेहनत और लगन ने यह साबित कर दिया कि सपने चाहे कितने भी बड़े क्यों न हों, संघर्ष और दृढ़ संकल्प से उन्हें पूरा किया जा सकता है। गरीब परिवार में जन्मे इंदल की सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे प्रखंड के लिए गर्व का विषय है।
साधारण परिवार से निकलकर बनाई पहचान
इंदल कुमार सिंह का जन्म 13 मार्च 1996 को सरांग जैसे छोटे से गाँव में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने अपने गाँव के ही प्राथमिक विद्यालय से पूरी की। 10वीं की पढ़ाई राजकीय उच्च विद्यालय रमना से 2012 में और इंटरमीडिएट साइंस से 2014 में राजकीय गोविंद +2 हाई स्कूल गढ़वा से पूरी की, जहाँ उन्होंने 67.4% अंक हासिल किए। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से 2017 में गणित ऑनर्स में स्नातक किया, जिसमें भी उन्होंने 67.4% अंक प्राप्त किए।
कठिनाईयों के बावजूद जारी रखी तैयारी
स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद इंदल ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी दिल्ली में शुरू की। कई प्रयासों के बावजूद सफलता हाथ नहीं लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। निरंतर प्रयास और कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने JPSC परीक्षा में सफलता पाई।
इंदल कुमार सिंह ने कहा: “यह सफलता मेरे माता-पिता, बड़े भाई और शिक्षकों के आशीर्वाद के बिना संभव नहीं थी।”
बड़े भाई से मिली प्रेरणा
गौरतलब है कि इंदल के बड़े भाई बिनोद कुमार सिंह पहले से JPSC में चयनित होकर उप समाहर्ता बने और वर्तमान में गिरिडीह जिले के बगोदर सरिया अनुमंडल में कार्यपालक दंडाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। यह परिवार के लिए गर्व की बात है कि दोनों भाई प्रशासनिक क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं।
गाँव और समाज में खुशी की लहर
इंदल की इस सफलता पर गाँव में जश्न का माहौल है। गाँव के लोग और शिक्षकों ने उन्हें बधाई दी। डॉ. यशवंत प्रजापति, सतीश कुमार पाठक, दिलीप कुमार पाठक, बिनोद कुमार रवि (शिक्षक), सुनील कुमार यादव (शिक्षक), उमेश प्रजापति (शिक्षक), प्रदीप राम (शिक्षक), शंभु सिंह (शिक्षक) और संतोष कुमार यादव (शिक्षक) ने शुभकामनाएँ दीं।
न्यूज़ देखो: संघर्ष से सफलता तक का सफर
इंदल कुमार सिंह की कहानी यह बताती है कि साधन सीमित होने के बावजूद शिक्षा और मेहनत के बल पर सफलता पाई जा सकती है। ऐसे युवा पूरे समाज के लिए प्रेरणा हैं।
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अब बारी हमारी सोच बदलने की
इंदल की सफलता हम सभी के लिए प्रेरणा है कि अगर संकल्प मजबूत हो तो कुछ भी असंभव नहीं। आप भी अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि अधिक से अधिक लोग प्रेरित हो सकें।