
#महुआडांड़ #आवास_संघर्ष : ओरसा पंचायत के ग्राम चिकनीकोना की बुजुर्ग महिला फगनी देवी का परिवार कष्टों में जीवन बिता रहा है — अपंग बेटा, बहू और दो पोते के साथ खुले आसमान तले गुजर-बसर
- 75 वर्षीय विधवा फगनी देवी झोपड़ी में अपंग बेटे और दो पोते के साथ जीवन बिता रही हैं
- बेटा परमेश्वर यादव का हाथ घर गिरने से बेकार हो गया, मजदूरी छूटी
- सरकारी आवास के लिए कई बार आवेदन, लेकिन अब तक नहीं मिली मदद
- बारिश में झोपड़ी से बाहर निकलना मजबूरी, रात को दूसरों के बरामदे में सोते हैं
- जंगल से लकड़ी बेचकर पेट पालती हैं, कोई स्थायी आय का साधन नहीं
बारिश में गिरा घर, अपंग हुआ बेटा, टूटा सहारा
महुआडांड़ प्रखंड की ओरसा पंचायत के ग्राम चिकनीकोना की रहने वाली फगनी देवी (75 वर्ष) इन दिनों गहरे संकट में हैं। उनका पुराना घर विश्वकर्मा पूजा से पहले बारिश में ढह गया, और उसी मलबे में दबकर उनके बेटे परमेश्वर यादव का एक हाथ पूरी तरह बेकार हो गया। अब वह कोई काम नहीं कर सकता, और घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी वृद्ध मां और बहू पर आ गई है।
सिर्फ झोपड़ी ही नहीं, जीवन भी जर्जर
आज फगनी देवी बिना खिड़की-दरवाज़े वाले एक झोपड़ीनुमा कमरे में बेटे, बहू और दो पोतों के साथ रहने को मजबूर हैं। बारिश के दिनों में घर में रुकना जान जोखिम में डालने जैसा है। वे बताती हैं कि सिर्फ खाना बनाने और खाने तक ही घर में रहती हैं, बाकी समय पेड़ों के नीचे या खुले में बिताना पड़ता है।
रात को किसी और के बरामदे में पूरा परिवार सोने जाता है, ताकि कम से कम सुरक्षित सो सकें। यह एक ऐसी सच्चाई है जो प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल उठाती है।
सरकार से अब तक नहीं मिली सहायता
फगनी देवी ने बताया: “आवास योजना के लिए कई बार आवेदन दिया, दो बार फोटो भी खींचकर ले गए, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली।”
फगनी देवी ने पीएम आवास योजना के तहत घर पाने के लिए कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जियो टैगिंग भी दो बार की गई, लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ी।
सूखी लकड़ी बेचकर चलता है घर का खर्च
गुजारे का कोई स्थायी साधन नहीं है। फगनी देवी जंगल से सूखी लकड़ी लाकर बाजार में बेचती हैं, जिससे जो थोड़े पैसे मिलते हैं, उसी से पूरे परिवार का पालन-पोषण करती हैं। यह आय इतनी सीमित है कि दो वक्त की रोटी जुटाना भी कठिन हो गया है।
न्यूज़ देखो: ये सिर्फ एक परिवार की नहीं, व्यवस्था की असफलता की कहानी है
न्यूज़ देखो मानता है कि ओरसा पंचायत की फगनी देवी की स्थिति प्रशासन की योजनाओं की जमीनी हकीकत बयां करती है। एक विधवा महिला जो अपने अपंग बेटे, बहू और पोतों के साथ पेड़ के नीचे जीने को मजबूर है, उसके लिए आवास योजना क्यों नहीं पहुंची? क्या जियो टैगिंग और आवेदन प्रक्रिया सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति बनकर रह गई है?
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संवेदनशील बनें, ज़रूरतमंदों की आवाज़ उठाएं
एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, हमारी जिम्मेदारी है कि ऐसी परिस्थितियों की जानकारी प्रशासन तक पहुंचाएं और उनके लिए आवाज़ बनें जिनकी कोई नहीं सुनता। इस लेख को शेयर करें, कमेंट करें और प्रशासन से मांग करें कि फगनी देवी जैसे जरूरतमंदों को त्वरित सहायता दी जाए।