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आदिवासी समाज में धार्मिक चेतना जगाने के उद्देश्य से शुरू होगी ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता, युवाओं को परंपराओं से जोड़ने की पहल

#डुमरी #सामाजिक_जागरूकता : जगरनाथ भगत की अगुवाई में 23 अक्टूबर से सरना समाज में धार्मिक क्विज प्रतियोगिता का शुभारंभ

डुमरी (गुमला)। सरना समाज में सामाजिक और धार्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक नई पहल की गई है। प्रखंड सरहुल पूजा समिति के पूर्व अध्यक्ष जगरनाथ भगत की अगुवाई में आगामी 23 अक्टूबर से ऑनलाइन धार्मिक क्विज प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य आदिवासी समाज के युवाओं को उनकी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक मूल्यों से पुनः जोड़ना है ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहने का महत्व समझ सकें।

युवाओं को परंपराओं से जोड़ने की सोच

जगरनाथ भगत ने बताया कि वर्तमान समय में पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण वे अपनी धार्मिक, सामाजिक और पारंपरिक जड़ों से दूर होते जा रहे हैं। यह स्थिति समाज के लिए चिंताजनक है। इसलिए उन्होंने समाज के जागरूक लोगों के साथ विचार-विमर्श कर इस सामाजिक जागरूकता अभियान की शुरुआत की।

जगरनाथ भगत ने कहा: “यह क्विज प्रतियोगिता सिर्फ जानकारी का माध्यम नहीं, बल्कि समाज में चेतना और आत्मगौरव जगाने का प्रयास है। हमारी युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति पर गर्व करना सीखना चाहिए।”

सामूहिक निर्णय से तय हुआ आयोजन

हाल ही में सरना समाज के प्रतिनिधियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि युवा वर्ग को धार्मिक मूल्यों से जोड़ने का सबसे प्रभावी तरीका प्रतियोगिता का आयोजन है। इस प्रतियोगिता के माध्यम से प्रतिभागियों को आदिवासी परंपराओं, लोककथाओं, धार्मिक विश्वासों और सामाजिक संरचनाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी।

सामाजिक एकजुटता का प्रतीक आयोजन

इस आयोजन को सफल बनाने में कई सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय प्रतिनिधि सहयोग कर रहे हैं। इनमें मुखिया संजय उरांव, समाजसेवी प्रेम प्रकाश भगत, बीरेंद्र भगत, मनोज उरांव, अनिल उरांव, सुमेश भगत, विजय भगत, मंजू कुमारी एक्का, ममता देवी, गीता एक्का, माधुरी कुमारी, दिनेश उरांव, शशि किरण कुजूर प्रमुख रूप से शामिल हैं। सभी ने मिलकर समाज के युवाओं तक इस अभियान की जानकारी पहुंचाने का संकल्प लिया है।

प्रतियोगिता का स्वरूप और उद्देश्य

यह ऑनलाइन धार्मिक क्विज प्रतियोगिता बेहद रोचक और शिक्षाप्रद होगी। इसमें आदिवासी समाज के इतिहास, परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं, और सामाजिक व्यवस्था से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। इस प्रतियोगिता के अंत में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया जाएगा। आयोजकों का कहना है कि यह सिर्फ प्रतियोगिता नहीं, बल्कि आदिवासी पहचान और गौरव की पुनर्स्थापना का प्रयास है।

समाजसेवी प्रेम प्रकाश भगत ने कहा: “इस तरह की पहल से समाज में नई ऊर्जा आएगी। युवाओं को अपने अतीत की जानकारी होगी और वे अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित होंगे।”

नई दिशा में कदम

यह प्रतियोगिता न केवल युवाओं में सामाजिक चेतना जगाने का माध्यम बनेगी, बल्कि इससे आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को भी नई दिशा मिलेगी। समाज के वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि इस पहल से युवाओं में गौरव, आत्मसम्मान और सांस्कृतिक निष्ठा की भावना प्रबल होगी।

न्यूज़ देखो: युवाओं की पहचान से जुड़ी चेतना की मिसाल

डुमरी से शुरू यह पहल बताती है कि जब समाज के जागरूक लोग आगे आते हैं, तो परिवर्तन की लहर खुद-ब-खुद फैलती है। यह आयोजन न सिर्फ सांस्कृतिक जागृति का प्रतीक है बल्कि समाज में शिक्षा और एकता की दिशा में बड़ा कदम है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

समाज में जागरूकता की लौ जगाना हम सबकी जिम्मेदारी

आज के समय में अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजना एक सामाजिक कर्तव्य है। यह पहल उस जिम्मेदारी की याद दिलाती है जो हर पीढ़ी की अपने समाज के प्रति होती है। आइए, हम सब मिलकर इस सांस्कृतिक जागृति में योगदान दें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को शेयर करें और युवाओं तक यह संदेश पहुंचाएं कि पहचान वही जो अपनी जड़ों से जुड़ी हो।

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