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एनीमिया ने पूरे परिवार को झकझोरा: 10 वर्षीय मासूम की मौत, एक ही परिवार में 4 की हालत गंभीर।

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#विशुनपुरा #स्वास्थ्य_संकट : एक ही परिवार के पांच सदस्य गंभीर एनीमिया से पीड़ित—विधायक ने भेजी मेडिकल टीम, गांव में मचा हड़कंप
  • 10 वर्षीय अंकित पाल की इलाज के दौरान मौत, पूरा गांव सदमे में।
  • एक ही परिवार के पांच सदस्य गंभीर एनीमिया की चपेट में।
  • मां शर्मिला देवी की हालत गंभीर, गढ़वा सदर अस्पताल रेफर।
  • दोनों बच्चियां निजी अस्पताल में उपचाररत, स्थिति चिंताजनक।
  • परिवार की आर्थिक स्थिति चरमराई, इलाज में खर्च हुआ सबकुछ।
  • विधायक अनंत प्रताप देव ने भेजी मेडिकल टीम, जांच व उपचार जारी।

विशुनपुरा प्रखंड के सारो गांव के पीरा टांड़ टोला में एनीमिया ने एक परिवार की जिंदगी तबाह कर दी है। परिवार के पांच सदस्य गंभीर रूप से एनीमिया से पीड़ित हैं, जबकि 10 वर्षीय मासूम अंकित पाल की मौत ने पूरे गांव में मातम फैला दिया। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर थी, जिसके कारण समय पर बेहतर उपचार न मिल पाने से हालात और बिगड़ते चले गए। अंकित के निधन के बाद गांव में शोक और भय दोनों का माहौल बन गया है, क्योंकि परिवार के अन्य सदस्य अब भी गंभीर अवस्था में हैं। विधायक अनंत प्रताप देव द्वारा डॉक्टरों की टीम भेजे जाने के बाद इलाज की प्रक्रिया तेज हुई है।

पूरे परिवार को अपनी गिरफ्त में लेता एनीमिया

सरो गांव के इस परिवार ने पिछले एक महीने में जो झेला, वह किसी भी ग्रामीण परिवार के लिए बड़ा आघात है। पिता अनिल पाल, मां शर्मिला देवी, बेटी मधु कुमारी (13), बेटी आरती कुमारी (6) और 10 वर्षीय अंकित— सभी गंभीर एनीमिया के शिकार मिले। यह स्थिति धीरे-धीरे शुरू हुई जब एक महीने पहले शर्मिला देवी के हाथ-पैर में सूजन दिखी। कुछ दिनों बाद परिवार का हर सदस्य कमजोरी और बीमारी से जूझने लगा।

तीव्र एनीमिया की स्थिति समझ न आने और समय पर व्यापक जांच न हो पाने के कारण बीमारी बढ़ती चली गई। परिवार की हालत इतनी बिगड़ गई कि 10 वर्षीय अंकित की जान नहीं बचाई जा सकी।

मां की हालत गंभीर, दो बच्चियां भी बीमार

अंकित की मौत के बाद उसकी मां शर्मिला देवी की हालत और गंभीर हो गई। उन्हें तुरंत गढ़वा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उनका इलाज जारी है। दोनों बच्चियां—मधु और आरती—वर्तमान में राबर्ट्सगंज के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं।

परिजनों ने बताया कि परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण इलाज कराने में बहुत मुश्किलें आईं। जो भी पैसा घर में था, सब इलाज में खर्च हो गया, पर इसके बावजूद अंकित की जान नहीं बच सकी।

इलाज ने खाली कर दी जेबें, किसी तरह चल रहा परिवार

परिवार के सदस्यों का कहना है कि आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने कई बार इलाज रुकने तक की स्थिति का सामना किया। बच्चों के लिए दवा, खून की जांच, अस्पताल के खर्च—सब परिवार की क्षमता से बहुत अधिक हो चुका था। परिवार के लिए यह संकट अब केवल बीमारी का नहीं, बल्कि जीविका और बचाव का भी बन गया है।

उप प्रमुख प्रतिनिधि अजय पाल ने बढ़ाया मदद का हाथ

अंकित के अंतिम संस्कार के लिए उप प्रमुख प्रतिनिधि अजय पाल ने आर्थिक सहयोग किया। उन्होंने कहा कि परिवार बेहद दयनीय स्थिति में है और सरकार व समाज दोनों को आगे आकर इस परिवार की मदद करनी चाहिए।

अजय पाल ने कहा: “यह परिवार अकेले इस संकट से नहीं लड़ सकता। प्रशासन और समाज को मिलकर मदद करनी होगी।”

विधायक अनंत प्रताप देव तुरंत सक्रिय, मेडिकल टीम भेजी

जैसे ही घटना की जानकारी विधायक अनंत प्रताप देव तक पहुँची, उन्होंने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत अनुमंडल अस्पताल से एक विशेष मेडिकल टीम गांव भेजी। टीम ने गांव पहुंचकर परिवार के सभी सदस्यों की जांच की और आवश्यक उपचार शुरू किया।

विधायक ने आश्वासन दिया कि परिवार को हर संभव चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। ग्रामीणों ने भी विधायक की तत्परता की सराहना की।

गांव में डर का माहौल, स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल

लगातार एनीमिया के गंभीर मामलों के सामने आने के बाद गांव में भय और आक्रोश दोनों का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि स्वास्थ्य विभाग समय पर गांव में जांच शिविर या निर्देश जारी करता, तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। एक ही परिवार में पांच लोगों का एनीमिया से ग्रस्त होना स्वास्थ्य प्रणाली की बड़ी विफलता को भी उजागर करता है।

पूरे परिवार के एनीमिया से ग्रसित होना मेडिकल टीम के लिए चुनौती हो सकता है। क्या किसी बीमारी से ग्रसित होकर पूरे परिवार में खून की कमी है या फिर जागरूकता के अभाव में खान पान का असर? दोनों स्थितियों में गांव के बाकी लोगों को भी ससमय जांच और जागरूकता की जरूरत है।

न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य तंत्र में लापरवाही की खुली पोल

सरो गांव की यह घटना बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य तंत्र की पहुंच अब भी बेहद कमजोर है। एक महीने तक बीमारी बढ़ती रही लेकिन न तो कोई प्राथमिक जांच हुई और न ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई निगरानी। क्या स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में कोई परिवार ऐसी त्रासदी का शिकार न हो? क्या प्रशासन गांव में व्यापक हेल्थ स्कैन और एनीमिया सर्वे करवाएगा?
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब जागरूकता और चिकित्सा पहुंच दोनों जरूरी

एनीमिया जैसी खामोश बीमारी जब पूरे परिवार को अपनी चपेट में ले ले, तो यह केवल स्वास्थ्य नहीं, व्यवस्था की विफलता का संकेत है। अब आवश्यकता है कि गांव-गांव स्वास्थ्य जांच अभियान चलाए जाएं, महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की स्क्रीनिंग अनिवार्य की जाए, और उपचार तुरंत उपलब्ध कराया जाए।
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Rajkumar Singh

विशुनपुरा, गढ़वा

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