
#महुआडांड़ #पेंशन_समस्या : ग्रामीणों ने कहा–शिविर में फॉर्म जमा करने के बावजूद न पेंशन मंजूर हुआ न राहत मिली
- महुआडांड़ में “आपकी योजना–आपकी सरकार–आपके द्वार” शिविरों को लेकर लोगों में नाराजगी।
- बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांग लाभार्थियों के पेंशन फॉर्म महीनों से लंबित।
- ग्रामीणों का आरोप–“अधिकारियों की हर बार एक ही बात, दस्तावेज़ जांच में है।”
- कई लाभार्थी बैंक के चक्कर लगाकर थक चुके, खाते में अब तक एक रुपये तक नहीं पहुंचे।
- ग्रामीणों की मांग–सभी लंबित पेंशन फाइलों को तत्काल मंजूरी दी जाए।
सरकार द्वारा हर वर्ष चलाए जाने वाले “आपकी योजना–आपकी सरकार–आपके द्वार” कार्यक्रम को लेकर इस बार महुआडांड़ के ग्रामीणों में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। कई बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांग लोग बताते हैं कि शिविर में पेंशन योजना के आवेदन जमा करने के बाद भी महीनों बीत जाने पर एक भी फॉर्म स्वीकृत नहीं हुआ। लोग इस स्थिति से बेहद परेशान हैं क्योंकि उन्हें लगातार उम्मीद दिलाई जाती है कि शिविर में आवेदन देने के बाद जल्द ही लाभ मिल जाएगा, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है। ग्रामीणों का कहना है कि योजना सिर्फ कागज पर सक्रिय दिखती है, जमीन पर लाभार्थियों को कोई फायदा नहीं मिल रहा।
पेंशन आवेदन लटके, परेशान हुए ग्रामीण
महुआडांड़ क्षेत्र के दर्जनों ग्रामीण बताते हैं कि सरकार के शिविर में पेंशन फॉर्म जमा किए हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन फाइलें आज भी लंबित हैं। जिन बुजुर्गों को इस योजना की सबसे ज्यादा जरूरत है, वे ही सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। कई लोग रोज़ बैंक जाकर यह जानना चाहते हैं कि पेंशन आई या नहीं, लेकिन हर बार निराशा हाथ लगती है। ग्रामीण कहते हैं कि खाता देखकर लौटना अपनी मजबूरी बन चुकी है।
अधिकारियों के आश्वासन पर सवाल
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अधिकारी शिविरों में तुरंत लाभ देने की बात तो करते हैं, लेकिन उसके बाद न कोई जानकारी मिलती है, न कार्रवाई। हर बार जवाब मिलता है—“दस्तावेज़ जांच में है।” लाभार्थियों का कहना है कि अगर शिविर का उद्देश्य परेशानी कम करना है, तो फिर आवेदन महीनों तक लंबित क्यों रहते हैं? लोग यह भी मानते हैं कि कैंप लगाने से अधिक जरूरी है कि फाइलों को समय पर स्वीकृत किया जाए।
“कागजों पर नहीं, जमीन पर दिखे काम”
स्थानीय लोगों का कहना है कि शिविरों के आयोजन से ज्यादा जरूरी यह सुनिश्चित करना है कि योजनाएँ वास्तव में लाभार्थियों तक पहुँचें। एक ग्रामीण ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि योजना तभी सफल होती है जब बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों तक राहत समय पर पहुँचे, वरना ये कैंप सिर्फ सरकारी प्रदर्शन बनकर रह जाते हैं।
प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि क्षेत्र में जमा सभी लंबित पेंशन आवेदन की तत्काल समीक्षा की जाए और पात्र लाभार्थियों को बिना देरी के पेंशन प्रदान की जाए। लोगों का कहना है कि वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और दिव्यांग पेंशन जैसे सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का उद्देश्य ही कमजोर वर्गों को राहत देना है, लेकिन जब फाइलें महीनों फंस जाएं, तो पूरा लक्ष्य ही विफल हो जाता है।
न्यूज़ देखो: योजनाओं की सफलता का पैमाना जमीन पर दिखने वाला असर
महुआडांड़ की स्थिति बताती है कि योजना की सफलता सिर्फ शिविर लगाने से नहीं होती, बल्कि इस बात से होती है कि लाभार्थियों को समय पर सुविधा मिले या नहीं। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि फाइलें महीनों तक लंबित न रहें और पेंशन जैसी जीवन-निर्भर योजनाओं का लाभ सबसे पहले पात्र लोगों तक पहुँचे। ऐसी शिकायतें बार-बार सामने आना बताता है कि सिस्टम में सुधार की जरूरत बेहद जरूरी है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब समय जवाबदेही का सामाजिक योजनाओं को लाभार्थियों तक पहुँचाने की जिम्मेदारी हमारी भी
जब पेंशन जैसी जरूरी योजनाएँ रुक जाती हैं, तो इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ता है जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे में समाज और प्रशासन दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी बुजुर्ग, विधवा या दिव्यांग व्यक्ति राहत से वंचित न रहे। आप भी अपने क्षेत्र की समस्याओं को आवाज दें, जागरूकता फैलाएं और योजनाओं की निगरानी में सक्रिय भूमिका निभाएं। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें ताकि दबाव बने और पात्र लाभार्थियों को उनका अधिकार समय पर मिले।





