#मेदिनीनगर #जलसंकटसड़कविवाद – रेड़मा में सड़कें खुदीं, मिट्टी का अंबार, लोगों को हो रही परेशानी; हम नेता आशुतोष तिवारी ने दी चेतावनी
- रेड़मा में जलापूर्ति योजना के नाम पर खुदी सड़कों से बढ़ी आवागमन की मुश्किलें
- पीसीसी सड़क खुदाई के बाद मलबा और मिट्टी का ढेर बना जलजमाव का कारण
- हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा नेताओं ने किया स्थल निरीक्षण, लोगों से बातचीत की
- जिला अध्यक्ष आशुतोष तिवारी ने एजेंसी पर लापरवाही का आरोप लगाया
- समस्या दूर नहीं हुई तो नगर आयुक्त और डीसी से शिकायत कर होगा आंदोलन
सड़कें खुदीं, मिट्टी का ढेर, जनता बेहाल
मेदिनीनगर (पलामू) — फेज-2 पेयजलापूर्ति योजना का कार्य मेदिनीनगर शहरी क्षेत्र के रेड़मा मुहल्ले में लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। योजना के तहत पाइपलाइन बिछाने के लिए पीसीसी सड़कों की खुदाई तो कर दी गई, लेकिन मलबा और मिट्टी को यूं ही छोड़ देने से आवागमन में दिक्कत और आने वाले दिनों में जलजमाव की आशंका बढ़ गई है।
हम नेताओं का मौका मुआयना, एजेंसी पर बरसे
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के पलामू जिला अध्यक्ष आशुतोष तिवारी और महासचिव भरत कुमार द्विवेदी ने रेड़मा का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
इस दौरान मुहल्लेवासियों ने उन्हें बताया कि काम अधूरा है, एजेंसी की ओर से किसी तरह की सुध नहीं ली जा रही।
इस पर तिवारी ने कहा:
“यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक जनहित योजना को इस तरह अव्यवस्थित ढंग से क्रियान्वित किया जा रहा है। एजेंसी को जनता की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है।”
शिकायत और कार्रवाई की चेतावनी
आशुतोष तिवारी ने कहा कि यदि यह लापरवाही जारी रही, तो वे नगर आयुक्त और उपायुक्त से मिलकर एजेंसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएंगे और कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि समस्या का समाधान शीघ्र नहीं हुआ तो आंदोलन किया जाएगा।
“हम पार्टी आम आदमी के साथ है, और शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” — आशुतोष तिवारी
न्यूज़ देखो: जिम्मेदार एजेंसियों से जनता को चाहिए जवाब
न्यूज़ देखो का मानना है कि योजनाएं जनता की सुविधा के लिए होती हैं, न कि उन्हें कष्ट देने के लिए।
सरकारी परियोजनाओं में गुणवत्ता, समयबद्धता और जवाबदेही अनिवार्य होनी चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जनता की आवाज ही लोकतंत्र की असली ताकत है
रेड़मा के लोगों की परेशानी उनकी चुप्पी से नहीं, आवाज से हल होगी।
जब नागरिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों की पहल मिलती है, तब जिम्मेदार एजेंसियों को भी जवाब देना पड़ता है।
अब वक्त है कि आवाज उठाई जाए, ताकि हर योजना का लाभ सही तरीके से पहुंचे।