Site icon News देखो

वीर शहीदों की प्रतिमाओं से छेड़छाड़ पर उबाल: बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर लगाया आदिवासी समाज की उपेक्षा का आरोप

#रांची #आदिवासीअस्मिता : हजारीबाग में नीलांबर-पीतांबर चौक की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटना पर विपक्ष ने सरकार को घेरा—मरांडी बोले शहीदों का अपमान असहनीय

झारखंड में लगातार वीर शहीदों और आदिवासी अस्मिता से जुड़े प्रतीकों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आ रही हैं। हजारीबाग के नीलांबर-पीतांबर चौक पर 1857 की क्रांति के शहीदों की प्रतिमाओं को क्षतिग्रस्त किया गया, जिसमें परंपरागत धनुष तक को तोड़ दिया गया। यह घटना आदिवासी समुदाय और आमजन दोनों के लिए गहरी चिंता का विषय बन गई है। इससे पहले भी सिद्धो-कान्हो की प्रतिमा से छेड़छाड़ की घटना ने राज्य में आक्रोश की लहर पैदा की थी।

विपक्ष का तीखा हमला

झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि यह केवल मूर्तियों से छेड़छाड़ नहीं, बल्कि वीर शहीदों का अपमान और आदिवासी अस्मिता पर सीधा हमला है।

बाबूलाल मरांडी ने कहा: “सरकार आदिवासी समाज की सुरक्षा करने में नाकाम है। वीर शहीदों की प्रतिमाएं भी सुरक्षित नहीं हैं। अपराधियों को सजा देने के बजाय सरकार जनता की आवाज दबा रही है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार आदिवासी हितों की रक्षा करने के बजाय गुंडों और माफियाओं को संरक्षण दे रही है।

बढ़ता जनाक्रोश

घटना के बाद स्थानीय संगठनों और समाजसेवियों ने कड़ी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यदि दोषियों पर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। प्रतिमाओं की सुरक्षा और आदिवासी परंपराओं के सम्मान की मांग अब जनआंदोलन का रूप लेने लगी है।

आदिवासी अस्मिता पर चोट

आदिवासी समाज का मानना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल उनकी भावनाओं को आहत करती हैं, बल्कि उनकी संस्कृति और इतिहास को मिटाने की साजिश भी प्रतीत होती हैं। बार-बार होने वाली प्रतिमा क्षति ने लोगों में असुरक्षा और असंतोष की भावना पैदा कर दी है।

न्यूज़ देखो: शहीदों का सम्मान सिर्फ भाषणों से नहीं कर्मों से होगा

यह घटना सरकार और प्रशासन की संवेदनहीनता उजागर करती है। शहीदों की प्रतिमाओं का अपमान रोकना और दोषियों को कड़ी सजा दिलाना राज्य की जिम्मेदारी है। यदि सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती तो जनता का आक्रोश और गहराएगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अस्मिता की रक्षा सबकी जिम्मेदारी

अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर शहीदों की स्मृतियों और आदिवासी अस्मिता की रक्षा करें। मूर्तियों और प्रतीकों की सुरक्षा केवल प्रशासन की ही नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा कर जागरूकता फैलाएं।

Exit mobile version