Ranchi

अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद का पहला झारखंड राज्य सम्मेलन सम्पन्न, ‘उड़ान’ पुस्तक का विमोचन

  • पुरानी विधानसभा, झारखंड में अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद का पहला राज्य सम्मेलन आयोजित।
  • राष्ट्रीय सचिव अतहर फारूकी की अध्यक्षता में सम्मेलन के पहले सत्र का आयोजन।
  • स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने उर्दू को भारतीय तहज़ीब का हिस्सा बताया।
  • ‘उड़ान’ पुस्तक का विमोचन और भारतीय संविधान की प्रस्तावना का उर्दू में पाठ हुआ।
  • सांसद डॉ महुआ माजी ने उर्दू-हिंदी को परिवार का रिश्ता बताया।
  • उर्दू के विकास के लिए 13 महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित।

अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद का पहला राज्य सम्मेलन झारखंड की पुरानी विधानसभा में आयोजित किया गया। पहले सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय सचिव अतहर फारूकी ने की, जहां सम्मेलन के कंवेनर एम जेड खान ने अंजुमन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रस्तुत की। “अंजुमन की स्थापना 1882 में हुई थी और महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे महान व्यक्तित्व इससे जुड़े रहे हैं।”

विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि उर्दू का किसी विशेष धर्म से संबंध नहीं है, यह एक भारतीय तहजीब है। उन्होंने उर्दू में शिक्षा और उसके सम्मान पर जोर दिया।

“उर्दू कमजोर नहीं है, इससे प्यार करने वाले बहुत हैं।”

इस मौके पर जालिब वतनी की पुस्तक ‘उड़ान’ का विमोचन किया गया। भारतीय संविधान की प्रस्तावना को डॉ मोहम्मद रेहाना अली ने उर्दू में प्रस्तुत किया, जिसने सम्मेलन में विशेष आकर्षण जोड़ा।

सुभाषिनी अली ने उर्दू को जनप्रिय बनाने और इसे आर्थिक व्यवस्था से जोड़ने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उर्दू को मुसलमानों की भाषा समझना एक बड़ी गलतफहमी है।

“जुबान की तरक्की के लिए उसे अर्थव्यवस्था से जोड़ना होगा और उर्दू साहित्य का अनुवाद अन्य भाषाओं में होना जरूरी है।”

दूसरे सत्र में सांसद डॉ महुआ माजी ने उर्दू और हिंदी के गहरे रिश्ते पर प्रकाश डाला। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ यासीन अंसारी ने की और संचालन एम जेड खान ने किया। इस दौरान उर्दू के विकास के लिए 13 महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए:

  • उर्दू साहित्य एवं अकादमी का गठन।
  • उर्दू सेल और निदेशालय का गठन।
  • उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति।

सम्मेलन में वीना श्रीवास्तव, अपराजिता, एमएल सिंह, केके सिंह, सुशील साहिल, रेहाना, नजमा नाहिद, आलम आरा, फरहत जहां, शाजिया शबनम समेत कई साहित्यकार शामिल हुए।

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