
#धनबाद #उधना_धनबाद_रेलसेवा : प्रवासी मजदूरों और छात्रों को बड़ी राहत — 4 जुलाई से उधना से धनबाद तक नई रेल सेवा शुरू, ट्रस्ट और सांसद के प्रयास सफल
- ट्रेन संख्या 09039 उधना-धनबाद स्पेशल 4 जुलाई से शुरू
- 6 जुलाई से धनबाद से वापसी सेवा भी होगी उपलब्ध
- समस्त झारखंड समाज सेवा ट्रस्ट के प्रयासों का परिणाम
- गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने किया समर्थन
- रेल मंत्रालय स्थायी ट्रेन सेवा की प्रक्रिया में जुटा
वर्षों के संघर्ष का मिला फल, ट्रस्ट के आंदोलन ने दिलाई आवाज
गुजरात और झारखंड के बीच वर्षों से लंबित रेल संपर्क की मांग अब साकार होने जा रही है। भारतीय रेलवे ने उधना (गुजरात) से धनबाद (झारखंड) के लिए एक नई रेल सेवा ट्रेन संख्या 09039 के रूप में घोषणा की है, जो 4 जुलाई से उधना से और 6 जुलाई से धनबाद से परिचालन में आएगी।
इस सेवा को प्रारंभ में स्पेशल ट्रेन के रूप में शुरू किया जाएगा, लेकिन इसे स्थायी सेवा में बदलने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है।
ट्रस्ट और सांसद के साझा प्रयासों का परिणाम
समस्त झारखंड समाज सेवा ट्रस्ट की वर्षों की मेहनत और गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के सक्रिय समर्थन से इस रेल सेवा को मंजूरी मिली है।
ट्रस्ट के सदस्यों ने कहा: “यह हमारी सामूहिक मेहनत और जनता के समर्थन का परिणाम है, जो अब गुजरात और झारखंड को जोड़ने जा रही है।”
ट्रस्ट ने जन जागरूकता अभियान, ज्ञापन सौंपना, प्रवासी मजदूरों की व्यथा को उजागर करना जैसे कदम उठाए, जिससे रेल मंत्रालय का ध्यान इस आवश्यकता की ओर गया।
हजारों प्रवासियों और छात्रों को राहत
यह रेल सेवा विशेषकर प्रवासी मजदूरों, विद्यार्थियों और कामकाजी यात्रियों के लिए राहत लेकर आई है। गुजरात और झारखंड के बीच रोजगार, पढ़ाई और इलाज के लिए यात्रा करने वाले लोगों को अब लंबी दूरी की ट्रेन बदलने की जरूरत नहीं होगी।
ट्रेन को स्थायी रूप देने की प्रक्रिया शुरू
रेलवे ने यह स्पष्ट किया है कि फिलहाल इसे विशेष सेवा के रूप में चलाया जाएगा, लेकिन मांग को देखते हुए स्थायी ट्रेन में बदलने की दिशा में प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
जन आंदोलन और सोशल मीडिया पर लगातार सक्रियता ने इस फैसले को और अधिक बल दिया।
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा: “यदि ट्रेन की उपयोगिता और मांग बनी रही तो इसे नियमित सेवा में जल्द ही बदला जाएगा।”
न्यूज़ देखो: जनता के अधिकार की जीत, आंदोलन की आवाज बनी ट्रेन
न्यूज़ देखो इस रेल सेवा को जन सरोकार से जुड़ी एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानता है। गुजरात और झारखंड के बीच वर्षों से आवाजाही की समस्याएं झेल रहे लोगों को आखिरकार एक बड़ा समाधान मिला है।
यह सिर्फ ट्रेन नहीं, एक संघर्ष की जीत है — ट्रस्ट, सांसद और जनता की एकजुटता का परिणाम।
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