
#मोहम्मदगंज #सरकारी_नियुक्ति : जेएसएससी सीजीएल परीक्षा में चयनित होकर क्षेत्र का नाम रोशन किया।
पलामू जिले के मोहम्मदगंज प्रखंड के लिए गर्व का क्षण सामने आया है, जब स्थानीय युवक अशलेश्वर कुमार का चयन श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी पद पर हुआ। जेएसएससी द्वारा आयोजित सीजीएल परीक्षा के माध्यम से चयनित होने के बाद उन्हें रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित नियुक्ति समारोह में नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर राज्य सरकार के कई शीर्ष मंत्री मौजूद रहे। अशलेश्वर कुमार की सफलता ने न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र में खुशी और प्रेरणा का माहौल बनाया है।
- मोहम्मदगंज स्टेशन रोड निवासी अशलेश्वर कुमार का चयन।
- जेएसएससी सीजीएल परीक्षा के माध्यम से श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी बने।
- रांची मोरहाबादी मैदान में हुआ नियुक्ति समारोह।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत कई मंत्री रहे उपस्थित।
- पत्रकार शंभू चौरसिया के पुत्र हैं अशलेश्वर कुमार।
पलामू जिले के मोहम्मदगंज प्रखंड से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जिसने पूरे क्षेत्र को गौरवान्वित कर दिया है। स्थानीय स्टेशन रोड निवासी और वरिष्ठ पत्रकार शंभू चौरसिया के पुत्र अशलेश्वर कुमार ने कड़ी मेहनत और लगन के बल पर सरकारी सेवा में स्थान हासिल किया है। जेएसएससी द्वारा आयोजित सीजीएल परीक्षा में सफलता प्राप्त कर वे श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के पद पर चयनित हुए हैं।
यह उपलब्धि केवल एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर बड़े सपने देखते हैं।
रांची में भव्य समारोह, मिला नियुक्ति पत्र
मंगलवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित भव्य नियुक्ति समारोह में अशलेश्वर कुमार को औपचारिक रूप से नियुक्ति पत्र सौंपा गया। इस समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर, श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के मंत्री संजय प्रसाद यादव सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
सरकारी मंच से जब अशलेश्वर कुमार का नाम पुकारा गया और उन्हें नियुक्ति पत्र मिला, तो यह पल उनके परिवार के लिए भावुक और गर्व से भरा रहा।
परिवार और क्षेत्र में खुशी की लहर
जैसे ही अशलेश्वर कुमार की नियुक्ति की खबर मोहम्मदगंज पहुंची, पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। रिश्तेदारों, शुभचिंतकों और स्थानीय लोगों ने मिठाइयां बांटकर खुशी जाहिर की।
एक पत्रकार परिवार से आने वाले अशलेश्वर कुमार की इस सफलता को लोग क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में देख रहे हैं। स्थानीय युवाओं में भी इस खबर से नई ऊर्जा और उत्साह देखने को मिला।
सफलता पर अशलेश्वर कुमार की प्रतिक्रिया
अपनी सफलता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अशलेश्वर कुमार ने इसे सामूहिक प्रयास का परिणाम बताया। उन्होंने कहा:
अशलेश्वर कुमार ने कहा: “इस उपलब्धि का श्रेय मैं अपनी माता रेणु देवी, पिता शंभू प्रसाद, अपने अनुज अभिषेक कुमार और अक्षय कुमार के निरंतर सहयोग, प्रोत्साहन और अपने गुरुओं के मार्गदर्शन को देता हूं। बिना उनके समर्थन के यह संभव नहीं होता।”
उन्होंने झारखंड सरकार और जेएसएससी के प्रति भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे अपने दायित्वों का पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे।
छात्र जीवन से ही रहे मेधावी
अशलेश्वर कुमार की सफलता अचानक नहीं आई है। वे छात्र जीवन से ही मेधावी, अनुशासित और परिश्रमी रहे हैं। स्कूल और कॉलेज स्तर पर उन्होंने विभिन्न परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।
स्थानीय शिक्षकों के अनुसार, अशलेश्वर पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक विषयों में भी गहरी रुचि रखते थे। श्रम कानूनों और सामाजिक न्याय से जुड़े विषयों में उनकी रुचि ने ही उन्हें इस पद तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया।
स्थानीय शिक्षा व्यवस्था पर भी बढ़ा भरोसा
अशलेश्वर कुमार की उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि स्थानीय स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई कर, सीमित संसाधनों के बावजूद, बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। उनकी सफलता ने यह संदेश दिया है कि आत्मविश्वास, सही मार्गदर्शन और निरंतर मेहनत से कोई भी युवा सरकारी सेवा में स्थान पा सकता है।
मोहम्मदगंज जैसे छोटे कस्बे से निकलकर राज्य स्तरीय पद पर चयनित होना पूरे पलामू जिले के लिए गर्व की बात है।
युवाओं के लिए बनी प्रेरणा
आज जब प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है, अशलेश्वर कुमार की कहानी युवाओं को यह विश्वास दिलाती है कि कठिनाइयों के बावजूद सफलता संभव है। कई स्थानीय युवाओं ने कहा कि वे अब और अधिक लगन के साथ पढ़ाई करेंगे और अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
न्यूज़ देखो: छोटे कस्बों से बड़ी उड़ान की कहानी
अशलेश्वर कुमार की सफलता यह दिखाती है कि प्रतिभा किसी बड़े शहर की मोहताज नहीं होती। सवाल यह है कि क्या ऐसी सफलताओं को देखकर प्रशासन स्थानीय स्तर पर कोचिंग और मार्गदर्शन की सुविधाएं बढ़ाएगा। यह कहानी व्यवस्था और समाज दोनों के लिए आत्ममंथन का विषय है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सपनों को पंख देती मेहनत की ताकत
अशलेश्वर कुमार की यह यात्रा हर उस युवा के लिए संदेश है, जो सीमित संसाधनों के कारण खुद को पीछे मानता है। मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास से कोई भी मंजिल दूर नहीं। यदि आपको यह कहानी प्रेरणादायक लगी हो, तो इसे दूसरों तक पहुंचाएं, अपनी राय कमेंट में साझा करें और ऐसे प्रयासों को समर्थन दें जो युवाओं को आगे बढ़ने की राह दिखाते हैं।





