
#चंदवा #शोक_समाचार : प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्य पंडित बालकृष्ण मिश्रा का उपचार के दौरान निधन, दामोदर नदी तट पर हुआ अंतिम संस्कार
- पंडित बालकृष्ण मिश्रा का सोमवार सुबह साइन नर्सिंग होम में निधन।
- वैदिक अनुष्ठान, ज्योतिष ज्ञान और सेवा-भाव के लिए क्षेत्र में सम्मानित थे।
- सोमवार दोपहर दामोदर नदी तट पर हुआ अंतिम संस्कार।
- छोटे बेटे सुधाकर मिश्रा ने दी मुखाग्नि; बड़ी संख्या में लोग रहे उपस्थित।
- दो वर्ष पूर्व बड़े बेटे प्रभाकर मिश्रा का भी निधन हो चुका है।
चंदवा, लातेहार। चंदवा प्रखंड ने सोमवार को एक प्रतिष्ठित विद्वान, आध्यात्मिक मार्गदर्शक और समाज को एकजुट रखने वाले प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व को खो दिया। क्षेत्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित बालकृष्ण मिश्रा का सोमवार सुबह लगभग 10 बजे चंदवा स्थित साइन नर्सिंग होम में उपचार के दौरान निधन हो गया। पिछले कुछ समय से वे अस्वस्थ थे और अचानक तबीयत खराब होने पर परिजन उन्हें अस्पताल लाए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी।
सम्मानित ज्योतिषाचार्य, वैदिक अनुष्ठानों के विशेषज्ञ
पंडित बालकृष्ण मिश्रा जी चंदवा और आसपास के इलाके में ज्योतिष शास्त्र, वैदिक अनुष्ठानों, धार्मिक कर्मकांडों और परंपरागत विधियों के अद्भुत ज्ञान के लिए जाने जाते थे। उनका मंत्रोच्चारण, पूजा-पद्धति और सटीक वैदिक कर्मकांड लोगों के मन में विशेष श्रद्धा पैदा करते थे।
वे सरल, मृदुभाषी और सभी वर्गों के लोगों के लिए सहज उपलब्ध रहने वाले संतस्वभाव के व्यक्ति थे। समाज में धार्मिक जागृति, सद्भाव और सेवा-भाव को बढ़ावा देना उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा था।
समाज में गहरी छाप छोड़ने वाले व्यक्तित्व
पंडित मिश्रा ने अपने जीवनकाल में हजारों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया। उनकी भविष्यवाणियाँ, ज्योतिषीय गणनाएँ और व्यवहारिक सुझाव लोगों के लिए मार्गदर्शक साबित होते रहे।
उनके स्वभाव में विनम्रता, करूणा और मानवीय संवेदनाएं स्पष्ट झलकती थीं, जिसके कारण समाज के हर तबके के लोग उनका सम्मान करते थे। उनके जाने से पूरे क्षेत्र में ऐसा शून्य बन गया है, जिसे भर पाना कठिन माना जा रहा है।
दामोदर नदी तट पर अंतिम संस्कार
सोमवार दोपहर लगभग 2 बजे चंदवा स्थित पवित्र दामोदर नदी तट पर वैदिक रीति से उनका अंतिम संस्कार किया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु, ग्रामीण, सामाजिक कार्यकर्ता और शुभचिंतक अंतिम दर्शन को पहुंचे।
धार्मिक मंत्रोच्चारण के बीच उनके छोटे बेटे सुधाकर मिश्रा ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान कई लोग भावुक हो गए और नम आंखों से अपने प्रिय पंडित को विदाई दी।
उल्लेखनीय है कि पंडित जी के बड़े बेटे, चंदवा के वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी प्रभाकर मिश्रा का दो वर्ष पूर्व गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया था। पंडित मिश्रा के पोते अनिकेत भास्कर ने बताया कि परिवार लगातार दो बड़ी क्षतियों से गहरे दुख में है और उसे समझ पाना बेहद कठिन है।
चंदवा के लिए प्रेरणा का स्तंभ
पंडित बालकृष्ण मिश्रा जी की विद्वत्ता, आस्था, मानवता और सेवा-भाव लंबे समय तक क्षेत्र के लोगों को प्रेरित करते रहेंगे। उनका जीवन समाज के लिए एक संदेश है कि ज्ञान, विनम्रता और सेवा ही व्यक्ति को महान बनाते हैं।
न्यूज़ देखो: समाज का आध्यात्मिक सहारा खोया
चंदवा इलाके ने एक ऐसे व्यक्तित्व को खोया है, जिसने अपने ज्ञान और व्यवहार से समाज को दिशा दी। उनका योगदान न केवल धार्मिक क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक एकता और मानवीय मूल्यों में भी अतुलनीय रहा है।
पंडित मिश्रा की स्मृति चंदवा के सामाजिक-धार्मिक इतिहास में सदैव जीवित रहेगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रेरणा, सद्भाव और मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाएं
संकट के दौर में समाज को एकजुट रखना ही सबसे बड़ी सेवा है।
मूल्यों और संस्कारों को आने वाली पीढ़ियों तक ले जाना हमारा दायित्व है।
सहानुभूति, सहयोग और सद्भाव के रास्ते पर समाज और मजबूत बनता है।
ऐसे महान व्यक्तित्वों से सीख लेकर हम सभी बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।
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