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सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज सिमडेगा में संविधान दिवस पर जागरूकता और गरिमा से भरा समारोह

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#सिमडेगा #संविधान_दिवस : सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज में आयोजित विशेष कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संविधान की भावना, मूल्यों और नागरिक कर्तव्यों के प्रति प्रेरित किया गया।
  • सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज सिमडेगा में संविधान दिवस का आयोजन सेमिनार हॉल में सम्पन्न हुआ।
  • कार्यक्रम में डॉ. फा. रोशन बा: और डॉ. जयंत कश्यप विशेष तौर पर उपस्थित रहे।
  • आयोजन का नेतृत्व राजनीति विज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. निशा रानी धनवार ने किया।
  • छात्राओं तनिया डुंगडुंग, करुणा कुमारी, वर्षा कुमारी, प्रतिभा ने संविधान की प्रासंगिकता पर विचार रखे।
  • विद्यार्थियों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना दोहराई और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता जताई।
  • मंच संचालन साक्षी ने किया और आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

26 नवम्बर के उपलक्ष्य में 29 नवम्बर को सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज सिमडेगा में संविधान दिवस अत्यंत गरिमामय वातावरण में मनाया गया। कार्यक्रम का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों में भारतीय संविधान की मूल भावना, उसके सिद्धांतों, अधिकारों और नागरिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। सेमिनार हॉल में आयोजित इस समारोह में कॉलेज के प्राध्यापक एवं विभागीय शिक्षकों की सक्रिय उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी सारगर्भित बनाया। बड़ी संख्या में शामिल हुए विद्यार्थियों ने संविधान की प्रस्तावना दोहराकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की।

संविधान दिवस समारोह: उद्देश्य और संदेश

सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज में आयोजित इस समारोह ने विद्यार्थियों को संविधान को मात्र एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा समझने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने संविधान में निहित स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व के सिद्धांतों पर विस्तार से चर्चा की।

मुख्य अतिथियों के विचार

संविधान दिवस कार्यक्रम में कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. फा. रोशन बा: तथा आईक्युएसी कोऑर्डिनेटर डॉ. जयंत कश्यप ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की महत्ता बढ़ाई।

डॉ. फा. रोशन बा: ने कहा: “संविधान को समझना और उसके आदर्शों को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची नागरिकता का आधार है। संविधान हमें जिम्मेदारी और कर्तव्य दोनों का बोध कराता है।”

डॉ. जयंत कश्यप ने कहा: “भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निहित मूल्य तभी सार्थक होंगे जब छात्र इन्हें समाज में व्यवहारिक रूप से लागू करें।”

आयोजन की जिम्मेदारी और विभागीय योगदान

इस कार्यक्रम का नेतृत्व राजनीति विज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. निशा रानी धनवार ने किया। विभाग के अजय कुमार ने भी आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कार्यक्रम को सुव्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए विभाग द्वारा सक्रिय सहयोग सुनिश्चित किया गया।

छात्राओं ने रखे अपने विचार

राजनीति विज्ञान विभाग की छात्राएँ तनिया डुंगडुंग, करुणा कुमारी, वर्षा कुमारी, और प्रतिभा ने संविधान दिवस के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। छात्राओं ने भारतीय संविधान को एक “जीवंत दस्तावेज़” बताते हुए कहा कि आजादी के बाद से लेकर आज तक इसकी उपयोगिता लगातार बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना देश के प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता, समानता और न्याय का आश्वासन देती है और राष्ट्र के भविष्य को एक सुदृढ़ दिशा प्रदान करती है।

प्रस्तावना का सामूहिक वाचन

कार्यक्रम के दौरान भारतीय संविधान की प्रस्तावना को सामूहिक रूप से पढ़ा गया, जिससे विद्यार्थियों में संवैधानिक चेतना और मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना और अधिक सुदृढ़ हुई। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने संविधान के संरक्षण और पालन का संकल्प दोहराया।

मंच संचालन और सहभागिता

समारोह का मंच संचालन साक्षी ने किया, जिन्होंने कार्यक्रम के क्रम को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया। कॉलेज के प्रशासन ने भी कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बड़ी संख्या में उपस्थित छात्र-छात्राओं ने संविधान के सिद्धांतों को जीवन में अपनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

कॉलेज प्रशासन ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल शैक्षणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भविष्य के नागरिकों को सही दिशा देने का माध्यम भी हैं।

न्यूज़ देखो: संविधान की चेतना बढ़ाने वाली सराहनीय पहल

सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज सिमडेगा का यह कार्यक्रम शिक्षा संस्थानों में संविधान और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को मजबूत करने की दिशा में एक उत्कृष्ट पहल है। ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में संवैधानिक मूल्यों की समझ बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देते हैं। संस्थान द्वारा छात्रों को जागरूक करने की यह सक्रिय भूमिका सराहनीय है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संविधान की रोशनी से समाज को मजबूत करें

संविधान दिवस सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझने का अवसर है। जब युवा पीढ़ी संविधान की भावना को आत्मसात कर लेती है, तभी समाज में सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत होती है। शिक्षा संस्थानों, परिवारों और समुदायों का दायित्व है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाएं।
आप भी बताएं—संविधान का कौन सा मूल्य आपको सबसे अधिक प्रेरित करता है? अपनी राय कमेंट में लिखें, इस खबर को साझा करें और संवैधानिक जागरूकता को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें।

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Satyam Kumar Keshri

सिमडेगा नगर क्षेत्र

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