
#सिमडेगा #एड्स_जागरूकता : बगडेगा स्वास्थ्य उपकेंद्र में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तहत ग्रामीणों को एचआईवी-एड्स के संक्रमण, बचाव और समाधान पर विस्तृत जानकारी दी गई।
- एड्स दिवस पर बगडेगा स्वास्थ्य उपकेंद्र में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।
- कार्यक्रम जालसा रांची के निर्देश और जिला विधिक सेवा प्राधिकार सिमडेगा के तत्वाधान में हुआ।
- पीएलवी उपेंद्र कुमार ने एचआईवी संक्रमण, प्रसार और उससे जुड़ी गलतफहमियों पर विस्तृत जानकारी दी।
- पीएलवी विष्णु प्रसाद ने एड्स रोकथाम और सुरक्षित व्यवहार के मुख्य उपाय बताए।
- कार्यक्रम में एएनएम सीमा कुमारी, एएनएम सुचिता मिंस, रेणुका टोप्पो, हवा एक्का, विद्यासागर मांझी सहित ग्रामीण और बच्चे शामिल हुए।
- उपस्थित लोगों में एड्स से जुड़े मिथक दूर करने और सकारात्मक व्यवहार अपनाने को लेकर उत्साह।
एड्स दिवस के अवसर पर आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्वास्थ्य उपकेंद्र बगडेगा में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम झालसा रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार सिमडेगा के सहयोग से किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण समुदाय को एचआईवी-एड्स के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करना और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम में पीएलवी उपेंद्र कुमार और विष्णु प्रसाद ने विस्तृत व्याख्या देते हुए बताया कि एड्स के प्रति जागरूकता ही इस बीमारी से लड़ने का सबसे प्रभावी उपाय है। ग्रामीणों, महिलाओं और बच्चों ने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाग लिया, जिससे जागरूकता की महत्ता और स्पष्ट हुई।
कार्यक्रम का उद्देश्य: एचआईवी-एड्स के प्रति सही जानकारी और जागरूकता
एड्स दिवस वैश्विक स्तर पर बीमारी से लड़ने, जागरूकता फैलाने और संक्रमित लोगों के प्रति सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। बगडेगा में आयोजित यह कार्यक्रम इसी सोच को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
जिला विधिक सेवा प्राधिकार सिमडेगा ने ग्रामीण स्तर पर भी जागरूकता को पहुंचाने के लिए यह आयोजन आवश्यक बताया।
एचआईवी संक्रमण और मिथकों पर विस्तृत जानकारी
कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता पीएलवी उपेंद्र कुमार रहे। उन्होंने एचआईवी संक्रमण के कारणों, प्रसार के माध्यमों और इससे जुड़े मिथकों पर विस्तार से चर्चा की।
उपेंद्र कुमार ने कहा: “एड्स एचआईवी संक्रमण के तेज प्रसार से उत्पन्न होने वाली एक गंभीर बीमारी है। इससे बचाव का उपाय अपनाना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। यह छूने या साथ रहने से नहीं फैलता—इसलिए पीड़ित व्यक्ति से भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समाज में मौजूद गलत धारणाएं संक्रमित व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं, जिससे उन्हें उचित उपचार और सहानुभूति नहीं मिल पाती।
रोकथाम के उपाय और सुरक्षित व्यवहार पर चर्चा
दूसरे वक्ता पीएलवी विष्णु प्रसाद ने रोकथाम के उपायों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने सुरक्षित व्यवहार, जांच की आवश्यकता, समय पर उपचार और जागरूकता अभियान की भूमिका समझाई।
विष्णु प्रसाद ने कहा: “एचआईवी के प्रसार को रोकने के लिए सुरक्षित व्यवहार, समय पर जांच, परामर्श और जागरूकता सबसे आवश्यक है। किसी भी संदेह की स्थिति में तुरंत स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करना चाहिए।”
उन्होंने युवाओं और महिलाओं को विशेष तौर पर सतर्क रहने की सलाह दी तथा सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी भी साझा की।
स्वास्थ्य कर्मियों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी
कार्यक्रम में मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उपस्थिति में शामिल थे:
- एएनएम सुश्री सीमा कुमारी
- एएनएम सुचिता मिंस
- आंगनबाड़ी सेविका रेणुका टोप्पो
- सहायिका हवा एक्का
- वार्ड सदस्य विद्यासागर मांझी
इन सभी ने उपस्थित ग्रामीणों को स्वास्थ्य शिक्षा, पोषण, महिला स्वास्थ्य और बच्चों की देखभाल के संबंध में भी जागरूक किया। टीम ने यह भी बताया कि स्वास्थ्य उपकेंद्र में एचआईवी जांच और परामर्श उपलब्ध है, जिसका लाभ ग्रामीण आसानी से ले सकते हैं।
ग्रामीणों की जागरूकता और सहभागिता
कार्यक्रम में काफी संख्या में ग्रामीण और बच्चे उपस्थित रहे। लोगों ने वक्ताओं से सवाल भी पूछे, जिनका समाधान विस्तार से किया गया।
ग्रामसभा जैसी सक्रिय भागीदारी ने यह स्पष्ट किया कि ग्रामीण समुदाय अब स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ रहा है।
न्यूज़ देखो: जागरूकता ही एड्स रोकथाम की सबसे बड़ी शक्ति
यह कार्यक्रम दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान कितने महत्वपूर्ण हैं। सिमडेगा जैसे जिलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकार और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त पहल मरीजों के लिए सुरक्षा कवच का काम कर रही है। एड्स से जुड़े सामाजिक कलंक को दूर करना और सही जानकारी देना ही संक्रमण रोकथाम की दिशा में सबसे बड़ा कदम है।
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स्वस्थ समाज की ओर कदम—जागरूकता है सबसे बड़ी दवा
आज का यह कार्यक्रम हमें याद दिलाता है कि जानकारी और संवेदनशीलता ही ऐसी बीमारियों से लड़ने की पहली सीढ़ी हैं। हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है—चाहे वह खुद जागरूक बने या दूसरों को जागरूक करे।





