
#दुमका #प्रधानमंत्रीविश्वकर्मायोजना : एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में कारीगरों और शिल्पकारों को दी गई योजना की विस्तृत जानकारी।
- भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय द्वारा दुमका में पीएम विश्वकर्मा योजना पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- कार्यक्रम का उद्घाटन 09 अक्टूबर 2025 को जिला उद्योग केंद्र, दुमका में श्री आशुतोष कुमार सिंह, एलडीएम दुमका, और अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
- श्री दीपक कुमार, सहायक निदेशक, ने योजना के उद्देश्यों और 18 पारंपरिक विद्याओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
- लाभार्थियों को 15 हजार रुपये के ई-वाउचर, प्रशिक्षण स्टाइपेंड, और कोलेटरल फ्री ऋण की सुविधा पर चर्चा हुई।
- तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स के माध्यम से उत्पादों की बिक्री के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया।
- 110 से अधिक शिल्पकारों ने भाग लेकर योजना की जानकारी प्राप्त की और कई ने मौके पर उद्यम पंजीकरण कराया।
दुमका में गुरुवार को आयोजित इस विशेष जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को योजनाओं से जोड़ना था। भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय की धनबाद शाखा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय कारीगर शामिल हुए। आयोजन स्थल जिला उद्योग केंद्र, दुमका रहा, जहां सुबह 10:30 बजे दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
योजना के उद्देश्य और लाभार्थियों के अधिकार
कार्यक्रम के संयोजक श्री दीपक कुमार (आईईडीएस, सहायक निदेशक) ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत 18 पारंपरिक विधाओं जैसे कि बढ़ई, सुनार, लोहार, राजमिस्त्री, मोची, दर्जी, धोबी, नाई, मछली जाल बनाने वाले, मूर्तिकार, और कुम्हार आदि को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि चयनित लाभार्थियों को 5 से 7 दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें उन्हें 500 रुपये प्रतिदिन स्टाइपेंड और 15,000 रुपये के ई-वाउचर के रूप में टूल किट प्रदान की जाएगी।
इसके अलावा, योजना के अंतर्गत पहले चरण में एक लाख रुपये और दूसरे चरण में दो लाख रुपये तक का कोलेटरल-फ्री ऋण (केवल 5 प्रतिशत ब्याज दर पर) देने की व्यवस्था है। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद लाभार्थियों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचान पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।
अतिथियों ने बढ़ाया उत्साह
मुख्य अतिथि श्री आशुतोष कुमार सिंह, एलडीएम, दुमका, ने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को 17 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटली लॉन्च किया गया था। यह योजना पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को आर्थिक सहायता देकर उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने उपस्थित सभी कारीगरों से अधिक से अधिक संख्या में पंजीकरण कराने का आग्रह किया।
श्री आशुतोष कुमार सिंह ने कहा: “यह योजना आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक ठोस पहल है, जिससे पारंपरिक कारीगर डिजिटल युग से जुड़ सकेंगे।”
सम्मानित अतिथि श्री के.एन. सिंह, उपाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, झारखंड, ने भी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह योजना गांव-गांव के शिल्पकारों के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कि सरकार की यह पहल पारंपरिक हुनर को पुनर्जीवित करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।
डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स पर प्रशिक्षण
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में श्री शशि भूषण कुमार, एक्सपर्ट फैकल्टी, डिजिटल मार्केटिंग एवं ई-कॉमर्स, ने प्रतिभागियों को ऑनलाइन व्यापार की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि आज के दौर में हर शिल्पकार अपने उत्पादों को डिजिटल माध्यम से देशभर में बेच सकता है। उन्होंने प्रोडक्ट की कीमत निर्धारण, पैकेजिंग, लेबलिंग और ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर ऑनबोर्डिंग की प्रक्रिया को सरल भाषा में समझाया।
दूसरे सत्र में श्री दास कुमार एक्का, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, दुमका, ने योजना के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया, पात्रता शर्तें, और झारखंड सरकार की सहायक योजनाओं की जानकारी दी। वहीं श्री अजीत कुमार, वरिष्ठ प्रबंधक, आईपीपीबी, दुमका, ने लाभुकों को यूपीआई क्यूआर कोड जारी किए ताकि वे डिजिटल भुगतान को आसानी से अपना सकें।
उद्यम पंजीकरण और स्थानीय सहभागिता
शिविर में RAMP योजना के तहत कुल 20 उद्यमियों का ऑन-स्पॉट उद्यम पंजीकरण कराया गया। ई.ओ.डी.बी. मैनेजर श्री मनोज कुमार प्रमाणिक ने सभी उपस्थित उद्यमियों को एमएसएमई अंतर्गत पंजीकरण प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी।
कार्यक्रम के अंत में कुणाल, यंग प्रोफेशनल, ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी अतिथियों और प्रतिभागियों के सहयोग की सराहना की। पूरे आयोजन में एमएसएमई विकास कार्यालय, धनबाद के अधिकारियों का सक्रिय योगदान रहा।
न्यूज़ देखो: हुनर से आत्मनिर्भरता की राह
दुमका का यह कार्यक्रम सिर्फ़ एक जागरूकता अभियान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की जड़ों को मज़बूत करने की दिशा में बढ़ता कदम है। पीएम विश्वकर्मा योजना ने पारंपरिक कारीगरों को फिर से राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ने की संभावना जगाई है। यह दिखाता है कि जब नीति और प्रयास एक साथ चलते हैं, तो ग्रामीण प्रतिभा भी वैश्विक बाज़ार में अपनी पहचान बना सकती है।
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कारीगरी और शिल्प भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। अब समय है कि हम अपने पारंपरिक हुनर को नई तकनीक और आत्मनिर्भरता के साथ जोड़ें। हर कारीगर का प्रयास भारत की आर्थिक मजबूती में योगदान है।
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