
#सिमडेगा : ठेठईटांगर ब्लॉक सभागार में कारीगरों और शिल्पकारों के लिए व्यापक जानकारी एवं प्रशिक्षण आधारित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- एमएसएमई-विकास कार्यालय, रांची द्वारा ठेठईटांगर में एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।
- उपायुक्त सिमडेगा कंचन सिंह ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन किया।
- कार्यक्रम की संयोजक ज्योत्सना गुड़िया, सहायक निदेशक, ने योजना के उद्देश्य और लाभों की विस्तृत जानकारी दी।
- प्रशिक्षण, स्टाइपेंड, टूल किट एवं 3 लाख रुपए तक के कोलेटरल फ्री ऋण की सुविधा पर विशेष जोर।
- 120 से अधिक पारंपरिक कारीगरों एवं शिल्पकारों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
- विभिन्न बैंकों के शाखा प्रबंधकों, जिला उद्योग केंद्र तथा इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की टीमों ने प्रतिभागियों को संबोधित किया।
सिमडेगा जिले के ठेठईटांगर ब्लॉक सभागार में भारत सरकार की पीएम विश्वकर्मा योजना के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक दिवसीय विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम एमएसएमई मंत्रालय के एमएसएमई-विकास कार्यालय, रांची द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें जिले के 18 पारंपरिक विद्याओं से जुड़े कारीगरों और शिल्पकारों को योजना के लाभ, पात्रता, प्रशिक्षण, ऋण सहायता एवं अन्य सुविधाओं की विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम में उपायुक्त सिमडेगा कंचन सिंह, विभिन्न बैंक अधिकारी, जिला उद्योग केंद्र के विशेषज्ञ और कई विभागीय प्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिन्होंने प्रतिभागियों को मार्गदर्शन दिया और प्रश्नों का समाधान किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन और उद्बोधन
कार्यक्रम का उद्घाटन उपायुक्त कंचन सिंह तथा मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। उद्घाटन सत्र में कृष्णा राव, यंग प्रोफेशनल, ने मुख्य अतिथि और अतिथियों का स्वागत किया।
इस जागरूकता कार्यक्रम की संयोजक ज्योत्सना गुड़िया, सहायक निदेशक, एमएसएमई-विकास कार्यालय, ने योजना का विस्तृत उद्देश्य प्रस्तुत करते हुए बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना में 18 पारंपरिक शिल्प और कारीगरी कौशल को शामिल किया गया है। उन्होंने प्रशिक्षण अवधि, 500 रुपए प्रतिदिन स्टाइपेंड, 15,000 रुपए के टूल किट ई-वाउचर, और कोलेटरल फ्री ऋण (1 लाख + 2 लाख रुपए) की व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
ज्योत्सना गुड़िया ने कहा: “यह योजना पारंपरिक कौशलों को संरक्षित करते हुए उन्हें आधुनिक आर्थिक अवसरों से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
प्रतिष्ठित अधिकारियों का संबोधन
कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित अधिकारियों ने प्रतिभागियों को संबोधित किया और योजना के महत्व को स्पष्ट किया। इनमें शामिल थे:
- नूतन मिंज, प्रखंड विकास पदाधिकारी, ठेठईटांगर
- शनीश अभिषेक, एलडीएम, बैंक ऑफ इंडिया
- भूपेश कुमार चौधरी, शाखा प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक
- अभिषेक गर्ग एवं नीरज राज आनंद, शाखा प्रबंधक, केनरा बैंक
- एफ्रेम एक्का, शाखा प्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक
- अपूर्व मंजूल मुंडु, शाखा प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया
- श्रवण कुमार महतो, शाखा प्रबंधक, झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक
सभी अधिकारियों ने कारीगरों से योजना का लाभ उठाकर अपने व्यवसाय को बेहतर दिशा देने की अपील की।
उपायुक्त का संवाद और निर्देश
अपने संबोधन में उपायुक्त कंचन सिंह ने योजना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। उन्होंने स्थल पर मौजूद कारीगरों से संवाद कर उनकी समस्याएँ भी सुनीं और संबंधित अधिकारियों को समाधान हेतु आवश्यक निर्देश दिए।
कंचन सिंह ने कहा: “यह योजना आपके कौशल को पहचान देने के साथ-साथ आपकी आय बढ़ाने और बाजार से जोड़ने का अवसर भी देती है। सभी कारीगर इस योजना का लाभ अवश्य लें।”
तकनीकी सत्र: प्रशिक्षण, बाजार और डिजिटल सुविधा
दोपहर के तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों ने कारीगरों को व्यावहारिक जानकारी दी:
- मोहम्मद सलमान खुर्शीद, ईओडीबी मैनेजर, जिला उद्योग केंद्र, ने
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उत्पाद विक्रय,
- पैकेजिंग और लेबलिंग,
- ऑनलाइन मार्केटिंग और कीमत निर्धारण की प्रक्रिया समझायी।
- संदीप भगत, इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक, ने
- लाभुकों को यूपीआई क्यूआर कोड बनाकर दिया
- डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दिया।
- आशीष कोंगाड़ी, डीईसी, जिला उद्योग केंद्र, ने
- योजना में रजिस्ट्रेशन की चरणबद्ध प्रक्रिया
- उद्यम पंजीकरण
- पात्रता और झारखंड सरकार की सहायता योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम के अंत में प्रमोद कुमार, एसटीओ, एमएसएमई-विकास कार्यालय, रांची, ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन किया।
बड़ी भागीदारी और सफल आयोजन
इस जागरूकता कार्यक्रम में 120 से अधिक कारीगरों और शिल्पकारों ने भाग लिया और योजना को लेकर विस्तृत जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम को सफल बनाने में जिला उद्योग केंद्र की किम्मी कुमारी एवं उषा केरकेट्टा का विशेष योगदान रहा।
न्यूज़ देखो: कारीगरों के लिए सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम
यह कार्यक्रम साबित करता है कि सरकारी योजनाएँ तभी प्रभावी होती हैं जब उन्हें जमीनी स्तर पर सही तरीके से पहुँचाया जाए। पारंपरिक कौशल की आर्थिक उन्नति के लिए ऐसी पहल अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल कारीगरों की आजीविका सुधरेगी बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
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कौशल को सम्मान दें, अवसरों को अपनाएँ
पारंपरिक कारीगर हमारी सांस्कृतिक धरोहर के वाहक हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना उनके कौशल को नई उड़ान देने का अवसर प्रदान करती है। यदि आप भी किसी पारंपरिक कला से जुड़े हैं, तो आगे आएँ, जागरूक बनें और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपने भविष्य को सशक्त बनाएं।
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