
#कुरडेग #आयुषस्वास्थ्यशिविर : आयुर्वेद और होम्योपैथी पद्धति से 112 मरीजों की जांच कर निःशुल्क दवा वितरण किया गया
- कसडेगा बाजारटांड़, कुरडेग प्रखंड में आयुष स्वास्थ्य शिविर आयोजित।
- शिविर डॉ सुभद्रा कुमारी (जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी) के निर्देश पर लगा।
- डॉ आशीष उरांव की देखरेख में 112 मरीजों की स्वास्थ्य जांच की गई।
- घुटना, कमर, सायटिका, गठिया, गैस, पेट दर्द सहित कई बीमारियों का उपचार किया गया।
- शिविर में योग शिक्षक घनश्याम यादव, देवनारायण, अंजनी, जोशीला, एवं सहिया साथियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कुरडेग प्रखंड के कसडेगा बाजारटांड़ में शनिवार को एक महत्वपूर्ण और सार्थक स्वास्थ्य पहल देखने को मिली, जब जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुभद्रा कुमारी के निर्देशानुसार आयुष स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में आयुष प्रणाली के अंतर्गत होम्योपैथी और आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार उपलब्ध कराया गया। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को देखते हुए यह शिविर स्थानीय लोगों के लिए काफी राहत भरा साबित हुआ।
होम्योपैथी और आयुर्वेद पद्धति से 112 मरीजों की जांच
शिविर के दौरान आयुष चिकित्सक डॉ आशीष उरांव की देखरेख में कुल 112 मरीजों की स्वास्थ्य जांच की गई। मरीजों को उनकी बीमारी के अनुसार आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक पद्धति से निःशुल्क दवा दी गई।
ग्रामीण इलाकों में प्रचलित और आम समस्याओं जैसे घुटनों का दर्द, कमर दर्द, सायटिका, गठिया, गैस, पेट दर्द और अन्य हड्डी तथा नस-तंत्र संबंधी रोगों का विशेष तौर पर उपचार किया गया।
शिविर में मौजूद एक ग्रामीण ने कहा, “हमें गांव में ऐसा शिविर मिलना बड़ी राहत है। डॉक्टरों ने ध्यान से हमारी समस्या सुनी और सही दवा भी दी।”
स्वास्थ्य शिविर में टीम का महत्वपूर्ण योगदान
शिविर को सफल बनाने में कई सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा। योग शिक्षक घनश्याम यादव, देवनारायण जी, अंजनी जी, जोशीला जी और सहिया साथी जसवन्ती इंदवार, दुलत्ती जी तथा असुन्ता जी ने पूरे आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई।
इन सभी ने मरीजों के पंजीकरण, मार्गदर्शन, स्वास्थ्य जांच में सहयोग और दवा वितरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शिविर में पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि इस तरह के स्वास्थ्य कैंप से उन्हें घर के नजदीक इलाज की सुविधा मिलती है, जिससे शहर जाने की आवश्यकता कम हो जाती है।
ग्रामीणों के लिए बना सहारा—आयुष चिकित्सा की पहल
कुरडेग और आसपास के कई गांवों में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, जिसके कारण ग्रामीण अक्सर छोटे-छोटे रोगों के लिए भी इलाज नहीं करा पाते। ऐसे में आयुष चिकित्सा पर आधारित यह शिविर उनके लिए एक किफायती और प्रभावी विकल्प के रूप में सामने आया है।
आयुष पद्धतियों का उद्देश्य शरीर को प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ बनाना है। ग्रामीणों का मानना है कि आयुर्वेद और होम्योपैथी की दवाएं बिना किसी दुष्प्रभाव के लंबे समय तक असर करती हैं।
कई महीनों से बीमार मरीजों को मिली राहत
शिविर में कई ऐसे ग्रामीण पहुंचे जो महीनों से घुटनों और कमर के दर्द से परेशान थे, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उचित इलाज नहीं करा पा रहे थे। जांच के दौरान चिकित्सकों ने उन्हें रोगों के मूल कारणों की पहचान कर बेहतर सुझाव और औषधियां दीं।
कई महिलाओं ने कहा कि घरेलू काम-काज और खेतों में मेहनत के कारण उनके जोड़ों और नसों में दर्द बना रहता है। इस शिविर ने उन्हें राहत की उम्मीद दी है।
न्यूज़ देखो: आयुष चिकित्सा ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए उम्मीद
कुरडेग में आयोजित आयुष शिविर यह स्पष्ट करता है कि यदि स्वास्थ्य सेवाएं गांव तक पहुंचें, तो लोगों को तुरंत और प्रभावी राहत मिल सकती है। आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियाँ ग्रामीण जीवनशैली के अनुरूप होती हैं और उनका असर भी स्थायी होता है। प्रशासन को ऐसे स्वास्थ्य शिविरों को और भी नियमित बनाना चाहिए ताकि स्वास्थ्य सुविधाएं हर घर तक पहुंच सकें। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्वास्थ्य है आधार—जागरूक बनें, स्वस्थ रहें
स्वास्थ्य शिविरों का लाभ तभी अधिक होगा जब हम नियमित जांच कराएँ और अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियाँ हमारे शरीर को सुरक्षित तरीके से स्वस्थ रखती हैं। आप भी अपने परिवार और गांव में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाएँ। इस खबर को साझा करें और कमेंट में बताएं कि आपके क्षेत्र में ऐसे शिविर कितनी बार आयोजित होते हैं।





