
#गढ़वा #AYUSH_भर्ती : योग प्रशिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी से स्थानीय योग्य उम्मीदवारों का हक़ छीना गया
- गढ़वा जिले की AYUSH योग प्रशिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद सामने आया।
- जितेंद्र कुमार यादव और शंकर चौधरी ने रिश्वत लेकर अयोग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति कराई।
- एक ही परिवार के चार सदस्य नियुक्त किए गए, जिससे भाई-भतीजावाद का खुलासा हुआ।
- कई योग्य और अनुभव वाले उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया गया।
- भर्ती में दूरी मानक 3–5 किमी का उल्लंघन कर 65 किमी के दायरे में चयन किया गया।
- अयोग्य चयन से प्रशिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होने और विभाग की छवि धूमिल होने की संभावना।
गढ़वा जिले में आयुष विभाग की योग प्रशिक्षक भर्ती ने स्थानीय योग्य उम्मीदवारों और समाज में भारी चिंता पैदा कर दी है। योग्य उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि भर्ती में नियमों की अवहेलना, रिश्वत और भाई-भतीजावाद हुआ, जिससे सरकारी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए। यह घटना न केवल भर्ती की विश्वसनीयता को प्रभावित करती है बल्कि योग्य उम्मीदवारों के हक़ और प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर भी गंभीर असर डालती है।
भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएँ
शिकायतकर्ताओं के अनुसार, आयुष CHO रंका के जितेंद्र कुमार यादव और लिपिक सह भंडार पाल शंकर चौधरी ने अयोग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए रिश्वत ली। इस भर्ती का अंतिम सूची ज्ञापांक 175/2025, दिनांक 12/11/2025 के माध्यम से जारी किया गया।
भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी मिसाल यह रही कि एक ही परिवार के चार सदस्य—पति, पत्नी और उनकी दो बेटियाँ—को नियुक्त किया गया, जिससे भाई-भतीजावाद पूरी तरह उजागर हुआ।
योग्यता और अनुभव की अनदेखी
कई चयनित उम्मीदवारों को योग प्रशिक्षण का पर्याप्त अनुभव नहीं था। उदाहरण के लिए, शहजाद आलम को योग प्रशिक्षक के बजाय शारीरिक शिक्षक प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त किया गया। इसके अलावा, लक्ष्मण राम और शंकर प्रिय राम जैसी दोहरी तनख्वाह वाले उम्मीदवारों को भी नियुक्त किया गया, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
दूरी और सेवा मानक का उल्लंघन
भर्ती में दूरी मानक 3–5 किलोमीटर का उल्लंघन करते हुए 65 किलोमीटर के दायरे में चयन किया गया। इससे स्थानीय योग्य उम्मीदवारों को अवसर नहीं मिला। कुछ योग्य उम्मीदवारों का दावा है कि उन्होंने NGO हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन के माध्यम से 2-3 वर्ष योग प्रशिक्षण का अनुभव प्राप्त किया, लेकिन उन्हें भर्ती से बाहर रखा गया।
प्रभाव और मांगें
योग्य प्रशिक्षकों की जगह अयोग्य उम्मीदवारों का चयन प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। शिकायतकर्ताओं ने उपायुक्त से मांग की है कि ज्ञापांक 175/2025 द्वारा सभी नियुक्तियों को रद्द किया जाए और जितेंद्र कुमार यादव एवं शंकर चौधरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही उन्होंने पारदर्शी प्रक्रिया के तहत पुनः भर्ती कराने की अपील की है।
न्यूज़ देखो: गढ़वा AYUSH भर्ती घोटाला और भ्रष्टाचार का खुलासा
यह खबर प्रशासन और राज्य स्तर पर भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर करती है। योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी और अयोग्य लोगों का चयन विभाग की छवि और प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर गंभीर असर डालता है। यह स्पष्ट करता है कि भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद रोकने के लिए सख्त निगरानी और नियमों का पालन आवश्यक है।
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जागरूक नागरिक बनें और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाएँ
जब सरकारी भर्ती और सामाजिक अधिकारों पर सवाल उठते हैं, तो हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वे सजग रहें। योग्य उम्मीदवारों के हक़ की रक्षा करना और पारदर्शी प्रणाली की मांग करना हम सभी का कर्तव्य है। अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और भ्रष्टाचार के खिलाफ सक्रिय कदम उठाएँ। इस खबर को साझा करें, अपने समाज में जागरूकता फैलाएँ और कमेंट में अपनी राय व्यक्त करें ताकि पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित हो सके।





