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नगवा मोहल्ला में बाबा गणिनाथ गोविन्द जी महाराज की पूजा-अर्चना धूमधाम से संपन्न

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भक्ति और समाज उत्थान का अनोखा संगम, श्रद्धालुओं ने अर्पित किए पुष्प, हुई चर्चा में शिक्षा और भाईचारे पर बल

  • नगवा मोहल्ला स्थित मथुरा बांध के पास पूजा-अर्चना का आयोजन
  • बड़ी संख्या में श्रद्धालु रहे शामिल, फूलों से सजी बाबा की प्रतिमा
  • भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चार से गूंजा वातावरण
  • समाज उत्थान को लेकर चर्चा, शिक्षा और एकता पर जोर
  • क्षेत्र के कई प्रमुख लोग कार्यक्रम में रहे मौजूद

गढ़वा। गढ़वा शहर के नगवा मोहल्ला स्थित मथुरा बांध के पास बाबा गणिनाथ गोविन्द जी महाराज की पूजा-अर्चना श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न हुई। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। बाबा गणिनाथ की प्रतिमा को पुष्पमालाओं और सुंदर फूलों से सजाया गया था। भक्तों ने क्रमवार बाबा के चरणों में फूल अर्पित किए और पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया। पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया गया और पूरा वातावरण भक्ति-भाव से ओतप्रोत हो उठा। भजन और मंत्रोच्चार से परिसर देर तक गुंजायमान रहा, जिससे श्रद्धालुओं को अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति हुई।

कार्यक्रम के बाद समाज के उत्थान और कल्याण को लेकर एक विचार-विमर्श का आयोजन भी हुआ। वक्ताओं ने कहा कि बाबा गणिनाथ गोविन्द जी महाराज का जीवन समाज के लिए प्रेरणादायक रहा है और उनकी शिक्षाओं को अपनाकर हम एक बेहतर और संगठित समाज बना सकते हैं। इस चर्चा में खासकर शिक्षा, आपसी भाईचारे और सामाजिक सहयोग की मजबूती पर बल दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि जब तक समाज में एकता और सहयोग की भावना जीवित रहेगी, तब तक समाज निरंतर प्रगति करता रहेगा। युवाओं से भी आह्वान किया गया कि वे समाज सुधार की दिशा में आगे आएं और हर वर्ग को साथ लेकर चलें।

इस अवसर पर जगनारायण, मिंटू मधेशिया, अशोक मद्धेशिया, मनोज प्रसाद उर्फ दरोगा, अंजली गुप्ता, सोनू मद्धेशिया, कृष्णा साव, जितेंद्र मद्धेशिया, श्याम सुंदर गुप्ता, अनिल बेदमी, प्रेम साव, उमेश मद्धेशिया, अमर मद्धेशिया, सोनू पनेरी, मधुर मद्धेशिया, अविनाश कुमार और संस्कार कुमार सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

“समाज तभी प्रगति कर सकता है जब उसमें भाईचारे और सहयोग की भावना मजबूत हो। युवाओं को आगे आकर समाज सुधार की दिशा में काम करना चाहिए।”

📰 न्यूज़ देखो: इस आयोजन ने न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा को प्रकट किया बल्कि समाज उत्थान के लिए सामूहिक सोच और चर्चा को भी बढ़ावा दिया।

भक्ति तब सार्थक होती है जब वह समाज कल्याण से जुड़ती है। आइए, हम भी अपने जीवन में धर्म और समाज सेवा का संतुलन बनाएँ और एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान दें।

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