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आसनसोल की बबिता पहाड़िया ने रचा इतिहास, JPSC में सफलता से चमका दुमका का नाम

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#दुमका #सफलता : पहाड़िया जनजाति की पहली बेटी बनी प्रशासनिक अधिकारी
  • बबिता पहाड़िया ने JPSC परीक्षा में 337वां रैंक हासिल किया।
  • संथाल परगना के दुमका जिला के आसनसोल गांव की निवासी।
  • परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर, पिता प्राइवेट स्कूल में हेल्पर।
  • पढ़ाई गांव में रहकर, यूट्यूब और गूगल से की तैयारी।
  • मिठाई के पैसे नहीं थे, मां ने चीनी बांटकर जश्न मनाया

दुमका की बेटी बबिता पहाड़िया ने JPSC की फाइनल परीक्षा में सफलता पाकर न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे पहाड़िया समाज का नाम रोशन कर दिया। 337वीं रैंक लाकर बबिता अब झारखंड प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनेगी। उनकी सफलता की कहानी संघर्ष, दृढ़ संकल्प और मेहनत की मिसाल है।

बबिता की संघर्षपूर्ण यात्रा

आसनसोल गांव में जन्मी बबिता का परिवार बेहद साधारण है। पिता बिंदुलाल पहाड़िया एक प्राइवेट स्कूल में हेल्पर हैं। आर्थिक तंगी इतनी थी कि सफलता मिलने के बाद मिठाई खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। लेकिन मां ने खुशी जाहिर करने के लिए गांववालों को चीनी बांटी। यह दृश्य बबिता के सफर को और प्रेरक बनाता है।

शादी टाली, तानों का सामना किया

चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी बबिता ने अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी। छोटी बहन की शादी हो चुकी है, लेकिन बबिता ने सरकारी नौकरी का सपना पूरा करने के लिए अपनी शादी टाल दी। समाज से ताने मिले, रिश्तेदारों ने बातें बनाईं, लेकिन वह लक्ष्य से नहीं डगमगाईं

बबिता पहाड़िया ने कहा: “मेरे पास संसाधन नहीं थे, लेकिन हिम्मत थी। मैंने खुद पर भरोसा रखा और लगातार पढ़ाई की।”

डिजिटल शिक्षा से बनी अधिकारी

बबिता ने पढ़ाई के लिए कभी गांव नहीं छोड़ा। उन्होंने यूट्यूब और गूगल की मदद से खुद नोट्स बनाए और तैयारी की। यह दिखाता है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो सीमित संसाधन भी बड़ी सफलता दिला सकते हैं।

पहाड़िया समाज के लिए नई राह

पहाड़िया जनजाति झारखंड की आदिवासी समुदायों में से एक है, जहां शिक्षा का स्तर अभी भी कम है। ऐसे में बबिता की सफलता इस समाज के लिए नई उम्मीद और प्रेरणा है। उनका सफर इस बात का सबूत है कि बेटियां अगर अवसर और समर्थन पाएं, तो हर मुश्किल पार कर सकती हैं।

न्यूज़ देखो: हौसलों से निकली उजाला

बबिता पहाड़िया की जीत न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने दिखाया कि हिम्मत और मेहनत से हर कठिनाई को मात दी जा सकती है। अब जरूरत है कि प्रशासन और समाज ऐसे उदाहरणों से सीख लेकर लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब बदलाव की बारी हमारी

बबिता की सफलता से यह साबित होता है कि सही दिशा और संकल्प से कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। आइए, हम सब बेटियों को सपनों की उड़ान देने में मदद करें। अपनी राय कॉमेंट करें, खबर शेयर करें और इसे अपने दोस्तों तक पहुंचाएं ताकि जागरूकता फैले।

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Saroj Verma

दुमका/देवघर

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