
#रांची #रिम्सभूमिविवाद : अवैध निर्माण और फर्जी रजिस्ट्री पर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग।
रांची स्थित रिम्स परिसर की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा और निर्माण के मामले में नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अवैध निर्माण तोड़े जाने की प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन मरांडी ने इसे प्रशासनिक लापरवाही और संगठित भ्रष्टाचार का परिणाम बताया है। उन्होंने रजिस्ट्री, म्यूटेशन, नक्शा पास और रेरा अनुमोदन तक पूरे सिस्टम की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही निर्दोष फ्लैट खरीदारों को राहत देने की ठोस मांग भी रखी है।
- रिम्स की जमीन DIG ग्राउंड पर अवैध कब्जा और निर्माण का मामला।
- माननीय उच्च न्यायालय झारखंड के आदेश पर निर्माण तोड़े जाने की कार्रवाई।
- फर्जी रजिस्ट्री, म्यूटेशन और नक्शा पास होने पर गंभीर सवाल।
- बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दोषियों पर FIR की मांग।
- निर्दोष फ्लैट खरीदारों के लिए वैकल्पिक आवास या मुआवजे की मांग।
रांची के सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण संस्थानों में शामिल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) की जमीन पर हुए अवैध कब्जे और बहुमंजिला अपार्टमेंट निर्माण का मामला अब राजनीतिक और प्रशासनिक बहस का केंद्र बन गया है। इस पूरे प्रकरण को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को एक विस्तृत पत्र लिखकर राज्य सरकार और प्रशासनिक तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी उठे सवाल
बाबूलाल मरांडी ने पत्र में उल्लेख किया कि माननीय उच्च न्यायालय, झारखंड, रांची ने हाल ही में आदेश दिया है कि रिम्स की जमीन, जिसे DIG ग्राउंड के नाम से जाना जाता है, को अतिक्रमण मुक्त कराकर रिम्स प्रबंधन को सौंपा जाए। इस आदेश के आलोक में जिला प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है।
हालांकि, मरांडी ने साफ किया कि वे न्यायालय के आदेश के पालन के पक्ष में हैं, लेकिन असली सवाल यह है कि इतने बड़े स्तर पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा आखिर कैसे होने दिया गया।
फर्जी दस्तावेज और बिल्डरों की भूमिका
अपने पत्र में मरांडी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रिम्स की जमीन का एक हिस्सा फर्जी कागजात के आधार पर बाजार में बेच दिया गया, और बिल्डरों ने उस जमीन पर अपार्टमेंट बनाकर आम नागरिकों को फ्लैट बेच दिए।
उन्होंने आशंका जताई कि इसमें भ्रष्ट अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत रही है।
बाबूलाल मरांडी ने लिखा: “यह सब जानकर आभास होता है कि निश्चित रूप से छवि रंजन जैसे भ्रष्ट IAS और कुछ अन्य लोगों ने सरकारी जमीन का फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर इसे बेचा।”
आम नागरिक की गलती नहीं
मरांडी ने इस पूरे मामले में फ्लैट खरीदने वाले आम नागरिकों को पूरी तरह निर्दोष बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी आम व्यक्ति यह जांच करने में सक्षम नहीं होता कि जमीन सरकारी है या निजी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि:
- आम नागरिक के पास न तो पर्याप्त जानकारी होती है,
- न ही कानूनी और प्रशासनिक जांच के संसाधन।
यह जिम्मेदारी पूरी तरह सरकारी सिस्टम की होती है।
सिस्टम पर उठाए गए पांच बड़े सवाल
अपने पत्र में बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री से सीधे पांच अहम सवाल पूछे:
1. भ्रष्ट सिस्टम की जिम्मेदारी
क्या इस तरह के कारनामों के लिए सरकार का भ्रष्ट तंत्र जिम्मेदार नहीं है?
2. फर्जी रजिस्ट्री कैसे हुई
जब जमीन की खरीद-बिक्री के समय हर स्तर पर जांच होती है, तो रिम्स की जमीन किसी और के नाम रजिस्टर्ड कैसे हो गई? क्या तत्कालीन रजिस्ट्रार ने रिश्वत लेकर रजिस्ट्री की?
3. दाखिल-खारिज (Mutation) कैसे हुआ
रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन कैसे हो गया, जबकि इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित अंचलाधिकारी (CO) की होती है?
4. रांची नगर निगम की भूमिका
अवैध रजिस्ट्री और म्यूटेशन के बाद रांची नगर निगम ने अपार्टमेंट निर्माण के लिए नक्शा कैसे पास कर दिया, जबकि नक्शा पास करने से पहले जमीन के सभी दस्तावेजों की जांच अनिवार्य होती है?
5. रेरा की जवाबदेही
नक्शा पास होने के बाद RERA ने बिना समुचित जांच के प्रोजेक्ट को मंजूरी कैसे दे दी?
मरांडी ने इसे साफ तौर पर सरकारी तंत्र के शीर्ष स्तर पर प्रभाव के दुरुपयोग का मामला बताया।
मीडिया रिपोर्ट्स पर भी चुप्पी
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि पिछले दो-तीन दिनों से इस मामले से जुड़ी खबरें प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही हैं, लेकिन जिम्मेदार विभागों या अधिकारियों की ओर से कोई स्पष्ट जवाब सामने नहीं आया है। संबंधित खबरों की छायाप्रति मुख्यमंत्री को संदर्भ के लिए संलग्न की गई है।
तीन ठोस मांगें रखीं
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले में तीन अहम मांगें की हैं:
1. FIR और निलंबन
इस पूरे प्रकरण में शामिल रजिस्ट्रार, अंचलाधिकारी (CO), रांची नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी और RERA से जुड़े अधिकारियों पर तत्काल FIR दर्ज कर उन्हें निलंबित किया जाए और कठोर कानूनी कार्रवाई हो।
2. निर्दोष खरीदारों को वैकल्पिक आवास
जिन निर्दोष लोगों ने अवैध रूप से निर्मित अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदे हैं, उन्हें सरकार तत्काल वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराए।
3. मुआवजे की मांग
यदि सरकार वैकल्पिक आवास देने में सक्षम नहीं है, तो फ्लैट खरीदारों को उनके क्रय मूल्य की पूरी राशि सरकार वहन करे, क्योंकि यह नुकसान सरकारी भ्रष्टाचार के कारण हुआ है, न कि आम जनता की गलती से।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल तेज
बाबूलाल मरांडी के इस पत्र के बाद रिम्स जमीन विवाद ने और तूल पकड़ लिया है। विपक्ष इसे व्यवस्थित भ्रष्टाचार का उदाहरण बता रहा है, वहीं अब सरकार और प्रशासन की अगली कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
न्यूज़ देखो: रिम्स जमीन विवाद में जवाबदेही तय होना जरूरी
यह मामला सिर्फ अवैध निर्माण का नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र में गहरे बैठे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। यदि रजिस्ट्री से लेकर रेरा तक हर स्तर पर नियमों की अनदेखी हुई है, तो जिम्मेदारी तय करना अनिवार्य है। निर्दोष नागरिकों को राहत और दोषियों को सजा—यही इस प्रकरण की असली कसौटी होगी। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत
सरकारी जमीन और जनता की गाढ़ी कमाई से खिलवाड़ किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। ऐसे मामलों में पारदर्शी जांच और त्वरित कार्रवाई ही भरोसा बहाल कर सकती है।
आप क्या मानते हैं—क्या दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी? अपनी राय कमेंट करें, खबर साझा करें और जवाबदेही की इस लड़ाई को मजबूती दें।





