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बडकाडुईल विद्यालय में क्रिसमस गैदरिंग सह वनभोज का आयोजन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से बच्चों में दिखा उत्साह

#बानो #विद्यालय_कार्यक्रम : क्रिसमस अवसर पर बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों की सहभागिता से उल्लासपूर्ण आयोजन संपन्न।

बानो प्रखंड स्थित राजकीय उच्च मध्य विद्यालय बडकाडुईल में क्रिसमस गैदरिंग सह वनभोज का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्राध्यापकों, विद्यार्थियों, अभिभावकों और सामाजिक संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी रही। यीशु मसीह के जीवन संदेशों के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने आयोजन को विशेष बनाया। बच्चों में उत्साह और सामूहिकता का भाव इस कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धि रहा।

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  • रा. उ. म. वि. बडकाडुईल, बानो में क्रिसमस गैदरिंग सह वनभोज।
  • प्राध्यापकों द्वारा मोमबत्ती जलाकर यीशु मसीह को पुष्प अर्पण
  • बच्चों व अभिभावकों ने क्रिसमस गीत और नृत्य प्रस्तुत किए।
  • सांता क्लॉस के रूप में सजे बच्चे ने टॉफी बांटकर बढ़ाया उत्साह।
  • चीनी संस्था के सदस्यों ने नुक्कड़ नाटक व गीत प्रस्तुत किए।

बानो प्रखंड के राजकीय उच्च मध्य विद्यालय बडकाडुईल में आयोजित क्रिसमस गैदरिंग सह वनभोज का माहौल उत्सव और उल्लास से भरा रहा। विद्यालय परिसर में सुबह से ही बच्चों और अभिभावकों की चहल-पहल दिखाई दी। यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व विकास और सामाजिक मूल्यों को मजबूत करने का माध्यम भी बना।

यीशु मसीह के जीवन संदेश से हुई शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्राध्यापक एवं सहयोगी शिक्षकों द्वारा मोमबत्ती जलाकर यीशु मसीह के चरनी में पुष्प अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने प्रभु यीशु के जीवन, उनके उपदेशों और मानवता के लिए दिए गए संदेशों के बारे में विद्यार्थियों को विस्तार से बताया। उन्होंने बच्चों को यह समझाया कि प्रेम, सेवा, क्षमा और भाईचारे के मूल्यों को अपने जीवन में उतारना ही क्रिसमस का वास्तविक संदेश है।

प्रधानाध्यापक ने यह भी कहा कि प्रभु यीशु के जीवन से मिलने वाली सीख आज के समय में और अधिक प्रासंगिक है, जिसे अपनाकर विद्यार्थी बेहतर इंसान बन सकते हैं।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन

कार्यक्रम के दौरान बच्चों एवं अभिभावकों द्वारा क्रिसमस गीत और नृत्य प्रस्तुत किए गए, जो दर्शकों के लिए अत्यंत आकर्षक रहे। रंग-बिरंगे परिधानों में सजे बच्चों की प्रस्तुतियों ने पूरे माहौल को जीवंत बना दिया। गीतों और नृत्यों के माध्यम से प्रेम, आनंद और शांति का संदेश दिया गया।

बच्चों की उत्सुकता उस समय और बढ़ गई जब एक बच्चे को सांता क्लॉस के रूप में सजाया गया। सांता क्लॉस बने बच्चे ने झूमते हुए बच्चों के बीच टॉफियां बांटी, जिससे सभी बच्चों के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही थी।

चीनी संस्था की सहभागिता

इस क्रिसमस गैदरिंग में चीनी संस्था के सदस्य भी उपस्थित रहे। उन्होंने नुक्कड़ नाटक और गीतों के माध्यम से बच्चों और अभिभावकों को स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाई। उनके प्रस्तुतिकरण में स्वच्छता, संतुलित जीवनशैली और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे विषयों को सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसे सभी ने सराहा।

सामूहिक प्रयास से सफल हुआ कार्यक्रम

इस आयोजन को सफल बनाने में विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों, बाल संसद के सदस्यों और विद्यालय परिवार की अहम भूमिका रही। विशेष रूप से प्रधान शिक्षक श्री केदारनाथ सिंह, शशिकांता देवी, प्रभु दयाल सिंह, द्रौपदी कुमारी, कजमील होरो, अशोक कुमार साय के साथ-साथ रसोईया शुक्रमनी देवी और रतन पती देवी ने सक्रिय योगदान दिया।

कार्यक्रम का संचालन कजमील होरो द्वारा किया गया, जिन्होंने पूरे आयोजन को सुव्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ाया। सभी सहयोगियों के सामूहिक प्रयास से कार्यक्रम अनुशासित और सफल रूप से संपन्न हुआ।

बच्चों और अभिभावकों में दिखा उत्साह

क्रिसमस गैदरिंग सह वनभोज में बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों की भी उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिली। इस तरह के आयोजन से विद्यालय और समुदाय के बीच आपसी संबंध मजबूत होते हैं। बच्चों को मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला, जिससे उनमें आत्मविश्वास का विकास हुआ।

न्यूज़ देखो: विद्यालयी आयोजनों से मजबूत होती है सामाजिक शिक्षा

यह खबर दर्शाती है कि विद्यालय केवल पढ़ाई का केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक शिक्षा का भी महत्वपूर्ण माध्यम हैं। बडकाडुईल विद्यालय में आयोजित क्रिसमस गैदरिंग ने बच्चों को धार्मिक मूल्यों, सामाजिक समरसता और सामूहिक सहभागिता का अनुभव कराया। ऐसे आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को अधिक जीवंत और प्रभावी बनाते हैं। आगे भी विद्यालय स्तर पर इस तरह की गतिविधियों की निरंतरता महत्वपूर्ण होगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

उत्सव से जुड़ता है संस्कार और सामूहिकता का भाव

क्रिसमस जैसे पर्व बच्चों के जीवन में खुशियां और सीख दोनों लेकर आते हैं। विद्यालय में आयोजित ऐसे कार्यक्रम बच्चों को संस्कृति, अनुशासन और सहयोग का महत्व समझाते हैं। यह आयोजन आने वाले समय में उनके व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होगा।

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Shivnandan Baraik

बानो, सिमडेगा

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