
#गिरिडीह #सांस्कृतिकउत्सव : बगोदर स्टेडियम में झारखंड के 25वें स्थापना दिवस पर बच्चों ने लोक नृत्य और नाटक से लूटी वाहवाही
- झारखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूर्ण होने पर बगोदर खेल स्टेडियम में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम।
- विभिन्न विद्यालयों के बच्चों ने झारखंड की संस्कृति, परंपरा और लोकनृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।
- बीडीओ निशा कुमारी ने बच्चियों के साथ मिलकर झूमकर नृत्य किया, बढ़ा कार्यक्रम का उत्साह।
- एकता, संघर्ष और स्वाभिमान की झलक लिए प्रस्तुतियों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध।
- ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों ने बच्चों की प्रतिभा की खुलकर सराहना की।
गिरिडीह (बगोदर), 12 नवंबर 2025।
झारखंड राज्य के गठन की रजत जयंती पर बगोदर खेल स्टेडियम में मंगलवार को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ने पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल बना दिया। कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालयों के बच्चों ने मंच पर झारखंड की समृद्ध लोक संस्कृति, संघर्ष और गौरव की गाथा को लोकगीत, नृत्य और नाटक के माध्यम से प्रस्तुत किया।
बच्चों की प्रस्तुतियों ने बांधा समां
बगोदर के बच्चों ने “हमर झारखंड, हमर गौरव” की थीम पर पारंपरिक परिधानों में लोकनृत्य, गीत और समूह नाटक प्रस्तुत कर सभी का दिल जीत लिया। उनकी प्रस्तुतियों में राज्य की एकता, संघर्ष और स्वाभिमान की झलक साफ दिखाई दी। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से बच्चों का उत्साह बढ़ाया।
बीडीओ ने भी बढ़ाया उत्साह, मंच पर थिरकीं कदम
इस अवसर पर बगोदर की बीडीओ निशा कुमारी ने भी मंच पर पहुंचकर बच्चियों के साथ झूमकर नृत्य किया। उनके इस कदम ने बच्चों और दर्शकों दोनों में उत्साह भर दिया। बीडीओ ने कहा कि इस तरह के आयोजन न सिर्फ मनोरंजन का माध्यम हैं बल्कि बच्चों में आत्मविश्वास और सांस्कृतिक चेतना को भी प्रोत्साहित करते हैं।
जनता और अभिभावकों की रही बड़ी भागीदारी
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण, अभिभावक, जनप्रतिनिधि और अधिकारीगण मौजूद थे। सभी ने बच्चों की प्रतिभा और समर्पण की सराहना की तथा राज्य की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का संकल्प लिया। मंच से कई वक्ताओं ने कहा कि नई पीढ़ी में सांस्कृतिक जुड़ाव और अपनी मिट्टी से प्रेम जगाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।



न्यूज़ देखो: संस्कृति से ही जुड़ी है पहचान
झारखंड की असली ताकत उसकी लोक संस्कृति और परंपरा में है। बगोदर का यह कार्यक्रम याद दिलाता है कि जब नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ती है, तब राज्य की पहचान और मजबूत होती है। ऐसे आयोजन न सिर्फ मनोरंजन, बल्कि संस्कार और एकता का प्रतीक हैं।
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झारखंड की संस्कृति हम सबकी पहचान है। आइए इसे संजोएं, नई पीढ़ी को इससे जोड़ें और हर अवसर पर “हमर झारखंड” की भावना को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और संस्कृति के संरक्षण में अपना योगदान दें।





