
#GiridihDPS #BaisakhiCelebration | बच्चों की प्रस्तुति ने लूटी महफिल, स्कूल परिसर में गूंजे पंजाबी गीत
- गिरिडीह के दिल्ली पब्लिक स्कूल में बैशाखी पर्व पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
- नर्सरी से छठी कक्षा तक के बच्चों ने लिया उत्सव में उत्साहपूर्ण भाग
- सिख परिधान में बच्चों ने पंजाबी लोकगीतों और नृत्यों से मोहा सबका मन
- शिक्षकों और दर्शकों ने तालियों से बढ़ाया बच्चों का उत्साह
- प्राचार्या डॉ. सोनी तिवारी ने बैशाखी के महत्व पर प्रकाश डाला
संस्कृति और उल्लास से भरा रहा बैशाखी का जश्न
गिरिडीह (झारखंड) — शहर के हरसिंगरायडीह स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में बैशाखी उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। नर्सरी से कक्षा छठी तक के छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक सिख वेशभूषा में पंजाबी गीतों और नृत्यों की प्रस्तुति से उपस्थितों का मन मोह लिया। पूरा स्कूल परिसर उत्साह और रंग-बिरंगी खुशियों से भर गया।
“छोटे-छोटे बच्चों की प्रस्तुतियां इतनी शानदार थीं कि शिक्षक-शिक्षिकाएं और अभिभावक भी तालियां बजाकर झूम उठे,”
— एक अध्यापक ने बताया।
बच्चों ने सिख संस्कृति की झलक प्रस्तुत की
कार्यक्रम में बच्चों ने ‘बोलिया पावणियाँ’ और ‘झूमे पंजाब’ जैसे पारंपरिक लोकगीतों पर धमाल मचाया। सिख समुदाय की परंपरागत पोशाक— पगड़ी, पटका, सलवार-कुर्ता में सजे बच्चों ने पूरे माहौल को पंजाबी संस्कृति की रंगत से भर दिया।
बैशाखी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
प्राचार्या डॉ. सोनी तिवारी ने कहा कि बैशाखी केवल फसल कटाई का पर्व नहीं, बल्कि सिख धर्म के लिए एक ऐतिहासिक दिन भी है। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा में यह पर्व खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
“इस प्रकार के आयोजनों से बच्चों में विविध संस्कृतियों की समझ विकसित होती है, जो भावी पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है।”
— डॉ. सोनी तिवारी, प्राचार्या
न्यूज़ देखो: बच्चों से सीखें उत्सव को जीना
बचपन की मुस्कान और संस्कृति की झलक जब एक मंच पर मिलती है, तो वह दृश्य प्रेरणादायक बन जाता है। ‘न्यूज़ देखो’ आपसे अपील करता है कि बच्चों के इन रचनात्मक आयोजनों को प्रोत्साहित करें, ताकि भारत की सांस्कृतिक विविधता अगली पीढ़ियों तक जीवित रह सके।