पलामू जिले के सुधना स्थित बालिका गृह में हुए यौन शोषण के मामले में जांच में गंभीर सच्चाई सामने आई है। पुलिस की जांच के दौरान यह पाया गया कि बालिका गृह के कुछ कर्मचारी और अधिकारी इस अपराध में संलिप्त थे।
फिर से जांच कराने की तैयारी कर रहे पलामू डीसी
बालिका गृह यौन शोषण मामले में कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, दो बच्चियों के यौन शोषण से पहले भी वहां अन्य बच्चियों के साथ यौन दुर्व्यवहार और मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना की घटनाएँ हुई थीं। कई बार बच्चियाँ बालिका गृह से भाग भी चुकी थीं, लेकिन प्रशासन ने इन घटनाओं को दबा दिया था और कभी भी किसी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई। इससे पूरे सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं। लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि इतने दिनों तक प्रशासन चुप क्यों रहा और क्यों किसी जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कदम नहीं उठाया गया। क्या इसमें उच्च पदस्थ अधिकारी या बाहरी लोग भी शामिल हैं? इन सवालों का जवाब अब तलाशा जा रहा है। इस बीच, पलामू उपायुक्त मामले को गंभीरता से लेकर नई जांच कराने की योजना बना रहे हैं।
गंभीर आरोप और खुलासे
- काउंसलर की संलिप्तता: जांच में यह बात सामने आई है कि बालिका गृह की काउंसलर भी इस मामले में शामिल थी। लड़कियों ने पुलिस से यह जानकारी साझा की कि बालिका गृह से बाहर जाने के लिए अधिकारियों को खुश करने की शर्त रखी जाती थी।
- सुपरिटेंडेंट राम प्रताप पर आरोप: एक बच्ची ने आरोप लगाया कि दीपावली और छठ के बीच आरोपी राम प्रताप ने उसे अपने घर ले जाकर यौन शोषण किया। दूसरी बच्ची ने भी बताया कि उसके साथ भी सुपरिटेंडेंट ने गलत काम करने की कोशिश की थी।
- महिला कर्मी की भूमिका: जांच में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई, जिसमें एक महिला कर्मी द्वारा लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरें ली गई और उन्हें भेजा गया।
पुलिस कार्रवाई
एएसपी राकेश सिंह ने बताया कि जांच के दौरान यह साबित हुआ कि लड़कियों का यौन शोषण किया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस मामले की गंभीरता को समझते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है।
यह मामला बालिका गृह की प्रबंधन प्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है। पुलिस द्वारा की जा रही इस जांच के बाद और भी तथ्य सामने आ सकते हैं, जिनसे इस अपराध में शामिल सभी आरोपियों को सजा दिलाई जा सकेगी।