
#महुआडांड़ #बांस_विकास : परिक्षेत्र के 225 हेक्टेयर में बांस संरक्षण कार्य, सैकड़ों मजदूरों के लिए रोजगार सृजन का मार्ग
- दक्षिणी वन प्रमंडल के बारेसांढ़ परिक्षेत्र में 225 हेक्टेयर में बांस विकास योजना शुरू।
- योजना में टावर डोंगरी, बुटहट, भगवा लता, जमुना पानी, डूमरकोना, बुढ़ा अंबा समेत कई बीट शामिल।
- ग्रामीणों के अनुसार योजना स्थानीय विधायक रामचंद्र सिंह की पहल पर स्वीकृत।
- मजदूरों को ₹433 प्रतिदिन की दर से भुगतान, सभी स्थल पर मास्टर रोल अनिवार्य।
- पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में रहने वाले सैकड़ों लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने की उम्मीद।
महुआडांड़ प्रखंड के बारेसांढ़ वन क्षेत्र में बांस विकास और संरक्षण योजना की शुरुआत के साथ ही पलामू टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाले ग्रामीणों के लिए रोजगार का एक बड़ा अवसर खुल गया है। वन विभाग द्वारा इस योजना के पहले चरण में कुल 225 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है, जिससे बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूरों को काम मिलेगा और पलायन की समस्या में भी कमी आने की उम्मीद है।
किन-किन क्षेत्रों में होगा बांस संरक्षण कार्य
वन विभाग ने परिक्षेत्र के कई महत्वपूर्ण बीट क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से कार्य शुरू करने का निर्णय लिया है। निर्धारित क्षेत्रों में निम्नानुसार बांस रोपण, मिट्टी चढ़ाने, सुरक्षा व्यवस्था और संरक्षण कार्य किया जाएगा—
- टावर डोंगरी (बीसी-3) – 50 हेक्टेयर
- बुटहट (बीसी-4) – 25 हेक्टेयर
- भगवा लता (बीसी-6) – 25 हेक्टेयर
- जमुना पानी (बीसी-12) – 50 हेक्टेयर
- डूमरकोना – 25 हेक्टेयर
- बुढ़ा अंबा – 50 हेक्टेयर
इन सभी क्षेत्रों में बांस-बखार के संरक्षण, पौधों की देखरेख और प्राकृतिक पुनर्जनन को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक तरीके से कार्य कराया जाएगा।
विधायक की पहल से मिली मंजूरी, ग्रामीणों ने जताया आभार
स्थानीय लोगों ने बताया कि बांस विकास योजना को मंजूरी दिलाने में विधायक रामचंद्र सिंह की विशेष भूमिका रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि—
“योजना का उद्देश्य वन क्षेत्र से जुड़े मजदूरों को स्थानीय स्तर पर स्थायी रोजगार देना है, ताकि उन्हें रोज़गार की तलाश में बाहर पलायन न करना पड़े।”
विधायक की इस पहल से मजदूर परिवारों में खुशी की लहर है और लोगों ने सरकार से ऐसी योजनाएँ लगातार जारी रखने की मांग की है।
मजदूरों को ₹433 प्रतिदिन मजदूरी, पारदर्शिता के लिए मास्टर रोल अनिवार्य
योजना के अंतर्गत काम करने वाले सभी मजदूरों को ₹433 प्रतिदिन की दर से मजदूरी दी जाएगी।
वन विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक कार्यस्थल पर मास्टर रोल अनिवार्य रूप से तैयार किया जाए, ताकि भुगतान में किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो।
साथ ही चेतावनी भी जारी की गई है कि—
यदि किसी स्तर पर अनियमितता पाई गई, तो संबंधित कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय रोजगार का नया मार्ग, वन संसाधन संरक्षण की व्यापक पहल
बांस विकास योजना से एक तरफ जहाँ सैकड़ों ग्रामीणों को काम मिलेगा, वहीं दूसरी ओर वन विभाग का लक्ष्य है कि जंगलों में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और पुनर्विकास सुनिश्चित हो। यह योजना पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
न्यूज़ देखो : वन क्षेत्र में रोजगार के नए मॉडल की मजबूत शुरुआत
बारेसांढ़ परिक्षेत्र में शुरू हुई बांस विकास योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था और वन संरक्षण—दोनों को एक साथ मजबूत करने का उदाहरण है। ऐसी योजनाएँ न सिर्फ आजीविका बढ़ाती हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का मार्ग भी प्रशस्त करती हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रकृति की रक्षा करें, योजना का लाभ उठाएँ
स्थानीय संसाधनों से जुड़े रोजगार को बढ़ावा देना सभी की जिम्मेदारी है।
ग्रामीण इस योजना का पूरा लाभ उठाएं और कार्यस्थलों पर नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करें।
वन संरक्षण में सहयोग कर क्षेत्र की पर्यावरणीय विरासत को मजबूत बनाएं।
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