बरवाडीह: छेचा उप स्वास्थ्य केंद्र बंद, नया आयुष्मान मंदिर चपरी में शिफ्ट — ग्रामीणों में गहरा असंतोष

#लातेहार #स्वास्थ्यविवाद — कार्यशील भवन छोड़कर सेवा हटाई, मरीजों को झोलाछाप के भरोसे छोड़ा गया

एकतरफा बदलाव से ग्रामीणों की पीड़ा बढ़ी

लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड स्थित छेचा गांव में वर्षों से संचालित उप स्वास्थ्य केंद्र को अचानक बंद कर दिया गया, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। यह केंद्र न सिर्फ वर्षों से सेवा दे रहा था, बल्कि उसकी इमारत पूरी तरह सुरक्षित और सुचारू थी, जिसमें सरकार ने लगभग 52 लाख रुपये खर्च किए थे।

इसके बावजूद, स्वास्थ्य विभाग ने बिना स्थानीय सहमति के इस पुराने केंद्र को बंद कर दिया और लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित चपरी गांव में नवनिर्मित ‘आरोग्य आयुष्मान मंदिर’ में स्वास्थ्य सेवाएं स्थानांतरित कर दीं। यह फैसला ग्रामीणों के लिए न केवल असहज है, बल्कि उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा पर भी खतरा बन गया है।

बुजुर्ग और महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित

छेचा और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले बुजुर्ग, महिलाएं और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज अब चिकित्सा सेवा तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर की दूरी तय करने को मजबूर हैं। यह रास्ता उनके लिए थकाऊ और जोखिम भरा बन गया है। परिणामस्वरूप, कई मरीज झोलाछाप डॉक्टरों या प्रखंड मुख्यालय पर निर्भर हो गए हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।

ग्रामीणों की मांग : पुराने भवन को पुनः चालू किया जाए

गांव के स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से मांग की है कि या तो छेचा के पुराने भवन को फिर से चालू किया जाए, या फिर दोनों स्थानों पर समानांतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी संसाधनों का सही उपयोग जरूरी है, और जनता की सुविधा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

स्वास्थ्य विभाग के बयान ने बढ़ाई असमंजस की स्थिति

इस पूरे प्रकरण पर चिकित्सा प्रभारी जयंत लकड़ा ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया:

“2024 में छेचा उप स्वास्थ्य केंद्र के नाम पर भवन का निर्माण हुआ था, लेकिन 2025 में आयुष आयोग द्वारा चपरी में नया केंद्र बना। सिविल सर्जन के आदेश पर स्वास्थ्य सेवाएं वहां स्थानांतरित कर दी गई हैं। भवन निर्माण विभाग द्वारा दो भवन क्यों बने, इसकी जानकारी विभाग को भी नहीं थी।”
— जयंत लकड़ा

इस बयान से यह स्पष्ट हो रहा है कि विभागीय समन्वय और नियोजन में बड़ी खामियां रही हैं, जिससे जनता को नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक तरफ लाखों रुपये खर्च कर भवन बनाया गया, दूसरी तरफ बिना उपयोग के उसे बंद कर दिया गया — यह सरकारी संसाधनों की बर्बादी भी मानी जा रही है।

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