
#बासुकीनाथ #रेलवे_जलजमाव : भारी बारिश से स्टेशन परिसर डूबा — यात्रियों को बसों का सहारा, इंटरसिटी ट्रेन का रूट बदला
- मंगलवार को बासुकीनाथ रेलवे स्टेशन परिसर में तीन फीट तक जलजमाव, रेल लाइनें पूरी तरह डूबीं
- गोड्डा-दुमका-रांची इंटरसिटी का रूट बदलकर हंसडीहा-देवघर-जसीडीह भेजा गया
- कई ट्रेनें रद्द हुईं, घोरमारा स्टेशन पर मेला स्पेशल घंटों रुकी
- कांवरियों और यात्रियों को भारी दिक्कत, टिकट वापसी के लिए कतार
- पिछले वर्षों से लगातार हो रही जलजमाव की घटनाएं, रेलवे अब तक नहीं निकाल सका स्थायी समाधान
मूसलाधार बारिश ने खोली रेलवे की तैयारी की पोल
बासुकीनाथ रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को लगातार बारिश के कारण भयंकर जलजमाव की स्थिति बन गई। स्टेशन के पास रेल पटरी पूरी तरह से पानी में डूब गई, जिससे ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। इस दौरान करीब तीन घंटे तक सभी ट्रेनें रुकी रहीं, जिससे बासुकीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
रद्द और डायवर्ट हुई ट्रेनें, स्टेशन पर उमड़ी भीड़
बारिश इतनी तेज़ थी कि रेलवे ट्रैक पर करीब तीन फीट तक पानी भर गया। गोड्डा-दुमका-रांची इंटरसिटी ट्रेन को हंसडीहा के रास्ते देवघर-जसीडीह डायवर्ट किया गया। इसके अलावा कई अन्य ट्रेनों को रद्द करना पड़ा।
घोरमारा स्टेशन पर जसीडीह-दुमका मेला स्पेशल ट्रेन भी घंटों खड़ी रही, जिससे यात्रियों की भीड़ और परेशानी और बढ़ गई। कांवरियों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु और यात्री रेल टिकट काउंटर पर टिकट वापसी की मांग करते नजर आए। कई यात्री अंततः बसों से गंतव्य के लिए रवाना हुए।
वर्षा में बार-बार डूबता है स्टेशन, समाधान नदारद
यह पहली बार नहीं है जब बासुकीनाथ रेलवे स्टेशन पर जलजमाव हुआ हो। बीते कई वर्षों से हर साल बारिश के साथ यही स्थिति देखने को मिलती है, लेकिन रेलवे अब तक स्थायी समाधान नहीं निकाल पाया है। हर बार की तरह इस बार भी श्रावणी मेले के दौरान रेलवे की तैयारी सवालों के घेरे में है।
श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में पहुंच और लगातार बारिश की आशंका के बावजूद, रेलवे ने न तो प्रभावी जल निकासी का इंतजाम किया और न ही वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की। नतीजतन, श्रद्धालुओं को धार्मिक यात्रा के दौरान संकट झेलना पड़ा।
न्यूज़ देखो: बारिश ने खोल दी ‘विकास’ की बुनियाद
न्यूज़ देखो मानता है कि हर साल जलजमाव की पुनरावृत्ति सिर्फ प्राकृतिक कारण नहीं, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम है। जब एक धार्मिक पर्यटन स्थल पर बार-बार ट्रैक डूबते हैं, और श्रद्धालु रास्ता भटकते हैं, तो यह न सिर्फ यात्रियों की श्रद्धा का अपमान, बल्कि रेल प्रशासन की जवाबदेही का प्रश्न भी है। रेलवे को चाहिए कि जल निकासी के स्थायी उपाय करे और बासुकीनाथ स्टेशन को जल-जमाव मुक्त बनाए।
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सजग नागरिक जागरूक रेल सेवा की मांग करें
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